गुवाहाटी : असम सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि वह कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के मूल्यांकन फॉर्मूले में उस विवादास्पद उपनियम को वापस ले लेगी, जिसमें कहा गया है कि शिक्षक बनने या सरकारी नौकरी करने की चाह रखने वाले विद्यार्थियों को कोविड -19 की स्थिति में सुधार होने पर इम्तिहान देना होगा.
पिछले हफ्ते फॉर्मूले की अधिसूचना के बाद भारी विरोध पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू), ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) जैसे संगठनों के बीच बैठक में उपनियम को वापस लेने का फैसला हुआ.
राज्य सरकार ने कहा था कि 2021 में परीक्षा रद्द कर दी गई है, इसलिए इस वर्ष के परीक्षार्थियों को पिछले और भविष्य के छात्रों के समान बनाने के लिए एक विशेष इम्तिहान की जरूरत है ताकि और भविष्य में मुकदमों से बचा जा सके.
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में कहा, 'विस्तृत चर्चा के बाद वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति के संबंध में सहमति बनी. निर्णय के अनुसार, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर वैकल्पिक मूल्यांकन फार्मूले के संबंध में जारी शासनादेश के उपनियम पांच को हटा दिया जाएगा.'
उसमें कहा गया है कि फॉर्मूले के तहत दिए गए प्रमाण पत्र और मार्कशीट उच्च शिक्षा और नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए मान्य होंगे.
बयान में कहा गया है कि हालांकि, बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अगर जरूरी समझा गया तो स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए समकक्ष परीक्षा आयोजित की जा सकती है.
अधिसूचना का उपनियम पांच कहता है कि जो छात्र शिक्षक बनने या राज्य सरकार में नौकरी करने की चाह रखते हैं और इनमें भर्ती 10वीं या 12वीं कक्षा के परिणाम के आधार पर होती है, उन छात्रों को कोविड की स्थिति सुधरने पर कक्षा 12वीं की परीक्षा देनी होगी.