मंगलुरु: कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने निजी अस्पताल की मोर्चरी में शव के साथ लापरवाही के मामले में मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. उपभोक्ता आयोग ने यह फैसला मंगलुरु के डेरालाकट्टे स्थित एक निजी अस्पताल को सुनाया है.
मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए, जिन्होंने शवगृह में रखे शव के सड़ने की शिकायत की थी. आयोग ने आदेश दिया कि 'यदि मुआवजा समय पर नहीं दिया गया तो इस राशि में 8 प्रतिशत ब्याज जोड़ा जाएगा.' जानकारी के अनुसार विल्सन एलन फर्नांडीस का 25 अक्टूबर 2019 को निधन हो गया.
शव को डेरालाकट्टे इलाके के एक निजी अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है. इसके लिए अस्पताल को 2,250 रुपये दिए गए थे. 27 अक्टूबर 2019 को अस्पताल ने मृतक के भाई नेल्सन को फोन पर रेफ्रिजरेटर खराब होने की बात कही और शव ले जाने को कहा. लेकिन जब नेल्सन ने शव देखा तो वह सड़ चुका था.
इस बारे में पूछे जाने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा कि जिस रेफ्रिजरेटर में शव रखा गया था, उसमें दिक्कत होने के कारण ऐसा हुआ. इसके चलते मृतक के परिजनों ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. नेल्सन ने अपनी शिकायत में कहा कि यह अस्पताल की लापरवाही और सेवा में कमी की वजह से हुआ. शव के क्षत-विक्षत होने के कारण मृतक को श्रद्धांजलि देना भी असंभव हो गया.
लेकिन अस्पताल ने परिजनों को बताया कि समस्या इसलिए थी क्योंकि रेफ्रिजरेटर अप्रत्याशित रूप से खराब हो गया था. अस्पताल ने यह भी कहा कि अगर संबंधित लोग हमारे सूचना देते ही शव ले जाते तो वह सड़ता नहीं. इसके बाद मृतक विल्सन के परिजनों ने इस संबंध में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज करा दी.
आयोग में जांच हुई और निष्कर्ष निकला कि मामला अस्पताल की लापरवाही और सेवा विफलता का है. फैसले में मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया. मैंगलोर के वकील ए दिनेश भंडारी और केएसएन अडिगा ने शिकायतकर्ता की ओर से बहस की.