ETV Bharat / bharat

Rajasthan Assembly Election 2023 : सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए कांग्रेस की रणनीति, नए उम्मीदवार चयन मानदंड तैयार करेगी पार्टी - Assembly Election 2023

राजस्थान समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 (Rajasthan assembly election 2023) का एलान हो गया है. कांग्रेस के एक आंतरिक सर्वे में राजस्थान के कुछ विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (anti incumbency against Rajasthan MLAs) की बात सामने आई है. ऐसे में नए उम्मीदवार तय करने के लिए पार्टी कुछ मानदंड तैयार करेगी (Congress new candidate selection criteria). ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Rajasthan Assembly Election 2023
कांग्रेस
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 3:35 PM IST

नई दिल्ली: एक आंतरिक सर्वेक्षण में पार्टी के 30 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर दिखाए जाने के बाद कांग्रेस (Congress) राजस्थान में उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट (candidate selection in Rajasthan) करने के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है. पार्टी सामाजिक कारकों, जातिगत समीकरणों और जीतने की क्षमता के आधार पर नए मानदंड तैयार करेगी (Congress new candidate selection criteria).

एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव वीरेंद्र राठौड़ ने ईटीवी भारत से कहा कि 'हम नए निष्कर्षों के आलोक में सामाजिक कारकों, जाति समीकरणों और जीतने की संभावना के आधार पर उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग के लिए नए मानदंड तैयार करेंगे. इससे अगर कोई सत्ता विरोधी लहर हो तो ध्यान रखा जा सकेगा.'

उनके सहयोगी एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव काजी निज़ामुद्दीन (AICC secretary in charge of Rajasthan Qazi Nizamuddin) ने कहा कि जब कोई पार्टी पांच साल तक सत्ता में रहती है तो एक निश्चित प्रतिशत सत्ता विरोधी लहर स्वाभाविक है (Rajasthan Assembly Election 2023).

काजी ने ईटीवी भारत को बताया, 'कुछ विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हो सकती है. सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए यह अपेक्षित है. मतदाता कुछ सांसदों से प्रभावित नहीं हो सकते हैं. लेकिन समग्र रूप से पार्टी के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. लोग गहलोत सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों और शुरू की गई सामाजिक कल्याण योजनाओं की सराहना करते हैं.'

एआईसीसी पदाधिकारी ने सत्ता विरोधी लहर की खबरों को बढ़ावा देने के लिए भाजपा और कांग्रेस के भीतर कुछ असंतुष्ट तत्वों को जिम्मेदार ठहराया. काजी निज़ामुद्दीन (Qazi Nizamuddin) ने कहा कि 'बीजेपी को गहलोत सरकार से लड़ना मुश्किल हो रहा है. इसलिए, वे कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए सत्ता विरोधी लहर के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं. हमारी पार्टी के भीतर कुछ लोग जो जानते हैं कि उन्हें नामांकन नहीं मिल रहा है, वे भी इस तरह की गलत सूचना के पीछे हो सकते हैं.'

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 में से 100 सीटें जीती थीं. एआईसीसी द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार, कम से कम 30 सांसदों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है और वे अपना नामांकन खो सकते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि सबसे पुरानी पार्टी के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, जो हर पांच साल में सरकारें बदलने की तीन दशक पुरानी प्रवृत्ति को चुनौती देने की कोशिश कर रही है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अब, कई विधायक जिनकी गर्दन फंसी हुई है, उन्होंने आलाकमान से इस तथ्य पर विचार करने का आग्रह किया है कि जब पार्टी को विद्रोह का सामना करना पड़ा तो वे वफादार बने रहे.

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट दोनों के खेमों के विधायकों द्वारा वफादारी कारक का आह्वान किया जा रहा है. पायलट ने 2020 में अपने लगभग 20 समर्थक विधायकों के साथ विद्रोह का नेतृत्व किया था, जब उन्होंने मुख्यमंत्री को मात देने के लिए हरियाणा के मानेसर में एक रिसॉर्ट में डेरा डाला था, जबकि गहलोत के समर्थकों ने 2022 में आलाकमान की अवहेलना की थी, जब कांग्रेस राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना चाहती थी.

पायलट ने अपने विद्रोह को पार्टी पदाधिकारियों की वास्तविक चिंताओं को उठाने के रूप में समझाया था, जबकि गहलोत ने अपने समर्थक सांसदों के आचरण पर पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से माफी मांगी थी.

अब, गहलोत और पायलट दोनों खेमे आलाकमान से गुहार लगा रहे हैं कि अगर सत्ता विरोधी लहर के कारण ऐसा होता है तो प्रतिद्वंद्वी समूह के विधायकों को टिकट खोना चाहिए.

सोमवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए दिल्ली में मौजूद गहलोत ने इस मुद्दे पर मंगलवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की, इस संकेत के बीच कि अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की राजस्थान में उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए इस सप्ताह के अंत में बैठक होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें

नई दिल्ली: एक आंतरिक सर्वेक्षण में पार्टी के 30 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर दिखाए जाने के बाद कांग्रेस (Congress) राजस्थान में उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट (candidate selection in Rajasthan) करने के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है. पार्टी सामाजिक कारकों, जातिगत समीकरणों और जीतने की क्षमता के आधार पर नए मानदंड तैयार करेगी (Congress new candidate selection criteria).

एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव वीरेंद्र राठौड़ ने ईटीवी भारत से कहा कि 'हम नए निष्कर्षों के आलोक में सामाजिक कारकों, जाति समीकरणों और जीतने की संभावना के आधार पर उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग के लिए नए मानदंड तैयार करेंगे. इससे अगर कोई सत्ता विरोधी लहर हो तो ध्यान रखा जा सकेगा.'

उनके सहयोगी एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव काजी निज़ामुद्दीन (AICC secretary in charge of Rajasthan Qazi Nizamuddin) ने कहा कि जब कोई पार्टी पांच साल तक सत्ता में रहती है तो एक निश्चित प्रतिशत सत्ता विरोधी लहर स्वाभाविक है (Rajasthan Assembly Election 2023).

काजी ने ईटीवी भारत को बताया, 'कुछ विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हो सकती है. सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए यह अपेक्षित है. मतदाता कुछ सांसदों से प्रभावित नहीं हो सकते हैं. लेकिन समग्र रूप से पार्टी के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. लोग गहलोत सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों और शुरू की गई सामाजिक कल्याण योजनाओं की सराहना करते हैं.'

एआईसीसी पदाधिकारी ने सत्ता विरोधी लहर की खबरों को बढ़ावा देने के लिए भाजपा और कांग्रेस के भीतर कुछ असंतुष्ट तत्वों को जिम्मेदार ठहराया. काजी निज़ामुद्दीन (Qazi Nizamuddin) ने कहा कि 'बीजेपी को गहलोत सरकार से लड़ना मुश्किल हो रहा है. इसलिए, वे कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए सत्ता विरोधी लहर के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं. हमारी पार्टी के भीतर कुछ लोग जो जानते हैं कि उन्हें नामांकन नहीं मिल रहा है, वे भी इस तरह की गलत सूचना के पीछे हो सकते हैं.'

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 में से 100 सीटें जीती थीं. एआईसीसी द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार, कम से कम 30 सांसदों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है और वे अपना नामांकन खो सकते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि सबसे पुरानी पार्टी के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, जो हर पांच साल में सरकारें बदलने की तीन दशक पुरानी प्रवृत्ति को चुनौती देने की कोशिश कर रही है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अब, कई विधायक जिनकी गर्दन फंसी हुई है, उन्होंने आलाकमान से इस तथ्य पर विचार करने का आग्रह किया है कि जब पार्टी को विद्रोह का सामना करना पड़ा तो वे वफादार बने रहे.

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट दोनों के खेमों के विधायकों द्वारा वफादारी कारक का आह्वान किया जा रहा है. पायलट ने 2020 में अपने लगभग 20 समर्थक विधायकों के साथ विद्रोह का नेतृत्व किया था, जब उन्होंने मुख्यमंत्री को मात देने के लिए हरियाणा के मानेसर में एक रिसॉर्ट में डेरा डाला था, जबकि गहलोत के समर्थकों ने 2022 में आलाकमान की अवहेलना की थी, जब कांग्रेस राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना चाहती थी.

पायलट ने अपने विद्रोह को पार्टी पदाधिकारियों की वास्तविक चिंताओं को उठाने के रूप में समझाया था, जबकि गहलोत ने अपने समर्थक सांसदों के आचरण पर पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से माफी मांगी थी.

अब, गहलोत और पायलट दोनों खेमे आलाकमान से गुहार लगा रहे हैं कि अगर सत्ता विरोधी लहर के कारण ऐसा होता है तो प्रतिद्वंद्वी समूह के विधायकों को टिकट खोना चाहिए.

सोमवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए दिल्ली में मौजूद गहलोत ने इस मुद्दे पर मंगलवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की, इस संकेत के बीच कि अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की राजस्थान में उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए इस सप्ताह के अंत में बैठक होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.