नई दिल्ली : कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सोमवार को देश में मौजूदा कोविड -19 स्थिति पर चर्चा की. पार्टी ने महामारी की दूसरी लहर को गंभीर आपदा और मोदी सरकार की उदासीनता, असंवेदनशीलता और अक्षमता का प्रत्यक्ष परिणाम करार दिया.
बैठक के दौरान पारित प्रस्ताव में कहा गया है, कांग्रेस वर्किंग कमेटी का मानना है कि यह राष्ट्रीय एकता, उद्देश्य और संकल्प की अटूट भावना दिखाने का समय है. इस क्रम में यह एक वास्तविकता बन सकती है. प्रधानमंत्री मोदी को अपने व्यक्तिगत एजेंडे के साथ लोगों की सेवा करनी चाहिए.
कोविड -19 की दूसरी लहर को देखते हुए कांग्रेस ने कहा, महामारी की दूसरी लहर एक बड़ी आपदा है. यह केंद्र की मोदी सरकार द्वारा वैज्ञानिक सलाह को नजरंदाज करने का परिणाम है.
सीडब्ल्यूसी ने मोदी सरकार के टीकाकरण की रणनीति पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि वैक्सीन की सकल आपूर्ति अपर्याप्त है, फिर भी सरकार ठोस तथ्यों से इनकार करती है. मूल्य निर्धारण नीति अपारदर्शी और भेदभावपूर्ण है.
बैठक में कहा गया कि टीकाकरण की रणनीति आर्थिक और अन्य सभी तर्कों के विपरीत है. साथ ही आर्थिक और अन्य सभी तर्कों के विपरीत, सरकार ने राज्य सरकारों को 18-44 वर्ष की आबादी के टीकाकरण के लिए वित्तीय जिम्मेदारी दी है, जो पहले से ही गंभीर वित्तीय परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वॉक-इन विकल्प के बिना अनिवार्य ऑनलाइन पंजीकरण हमारे लाखों लोगों को वंचित कर देगा.
यह जानकारी भी दी गई कि 17 अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को टीका आपूर्ति और कवरेज बढ़ाने के विषय में पांच विशिष्ट सुझाव दिए थे.
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पार्टी ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री के सुझावों को रचनात्मक भावना के साथ लेने के बजाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देने के निर्देश दिए गए.
कांग्रेस कार्य समिति ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से मरने वालों के सरकारी आंकड़ों, मौत के मामलों को कथित तौर पर दर्ज न किए जाने को लेकर सवाल उठाए. सीडब्ल्यूसी ने कहा कि समाधान चुनौतियां का सामना करने में है, सच छिपाने में नहीं. सीडब्ल्यूसी ने कहा कि यह स्थिति मोदी सरकार की नाकामी का सबूत है.
वहीं, सेंट्रल विस्टा परियोजना का उल्लेख करते हुए प्रस्ताव में दावा किया गया कि यह जनता के पैसे की बर्बादी है.
कार्य समिति ने कोरोना संकट में भारत की मदद करने वाले देशों और संगठनों का भी आभार प्रकट किया. साथ ही कहा, दूसरे देशों से सहायता की जरूरत भी मोदी सरकार के शासन और नीतिगत विफलताओं का एक दुखद प्रतिबिंब है.