नई दिल्ली : कांग्रेस ने केंद्र की अफगानिस्तान नीति पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के संबंध स्थापित करने औऱ पड़ोसी को 200 करोड़ रुपये की विकासात्मक सहायता देने की केंद्र की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सैनिकों के खिलाफ अफगानिस्तान के हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस संबंध में कांग्रेस मीडिया प्रमुख खेड़ा (Congress media head Pawan Khera) ने गुरुवार को कहा कहा कि अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियार अब तालिबान के नियंत्रण में आतंकवादी संगठनों के हाथों में अपना रास्ता तलाश रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में आतंकवादियों ने पुंछ में हमारे पांच सैनिकों को मारने के लिए स्टील कोर बुलेट का इस्तेमाल किया गया जो बुलेट प्रूफ कवच को भेद सकती थी.
खेड़ा ने कहा कि गोलियों के तार तालिबान से जुड़े बताए जा रहे हैं. इससे पहले इस तरह के तस्करी के हथियारों का प्रयोग जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की टॉरगेट किलिंग और सीमावर्ती विभिन्न आतंकी हमलों में किया गया है. उन्होंने कहा कि तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान को लेकर सरकार की विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. खेड़ा ने सवाल किया कि क्या तालिबान से बात करना ठीक है, जब उन्हें भारत में आतंकी घटनाओं से जोड़ा जा रहा है. क्या सरकार तालिबान के साथ इस मुद्दे को उठाएगी?.
कांग्रेस मीडिया प्रमुख ने कहा कि पुंछ में हुए आतंकी हमले, 2019 के पुलवामा आतंकी हमले, कश्मीर पंडितों की हत्याओं और एलएसी पर चीनी घुसपैठ पर पीएम चुप हैं. उन्होंने कहा कि यह चुप्पी सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाती है. खेड़ा ने कहा कि वे इस तरह के आतंकी हमलों पर अंकुश नहीं लगाना चाहते हैं, लेकिन उन पर चर्चा पर अंकुश लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के पीछे जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दिया गया है.
कांग्रेस के मीडिया प्रमुख ने आगे कहा कि पुंछ हमले में इस्तेमाल की गई स्टील कोर गोलियों का इस्तेमाल पहले अफगानिस्तान में नाटो बलों द्वारा किया गया था, जब देश अमेरिकी नेतृत्व वाली सहयोगी सेना के कब्जे में था. खेड़ा ने कहा कि अगस्त 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, ये स्टील कोर बुलेट तालिबान के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों तक पहुंचे. वहीं 28 फरवरी 2022 को अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी विशेष महानिरीक्षक की एक रिपोर्ट में चिंता जताई गई थी कि तालिबान राजस्व कमाने के लिए ऐसे बचे हुए हथियारों को बेच सकता है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि यहां तक कि न्यूयॉर्क टाइम्स में भी एक रिपोर्ट थी कि अमेरिका निर्मित पिस्तौल, ग्रेनेड और अफगानिस्तान में छोड़े गए रात के दूरबीन तालिबान के माध्यम से हथियारों के सौदागरों तक पहुंच रहे थे. हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद के प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट ने सोशल मीडिया पर पुंछ हमले का एक वीडियो जारी किया और दावा किया कि गोलियों की पहली बौछार में सेना के ट्रक का चालक मारा गया.
खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ने तालिबान सरकार के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल दिया था और 2023 के बजट में वहां भारतीय परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए 200 करोड़ रुपये देने का वादा किया था, जबकि न्यू काबुल शहर में निवेश का पता लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस तरह की चीनी निर्मित कवच भेदी गोलियों का इस्तेमाल पहली बार 2017 में जम्मू-कश्मीर में हुआ था, जब जैश-ए-मोहम्मद ने लेथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर आत्मघाती हमला किया था, उन्होंने कहा कि अनंतनाग में सीआरपीएफ जवानों के खिलाफ 2019 में फिर से ऐसी गोलियों का इस्तेमाल किया गया था. खेड़ा ने आगे कहा कि सांबा में 2019 में और उरी में 2022 में चीनी निर्मित पिस्तौल और ग्रेनेड बरामद किए गए थे. खेड़ा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी हमलों में कई नागरिक और सैनिक मारे गए हैं.
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