नई दिल्ली : कांग्रेस 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए 20 मई को शक्ति प्रदर्शन करने की योजना बना रही है. पार्टी समान विचारधारा वाले दलों को बेंगलुरु में कर्नाटक के मनोनीत मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह (Siddaramaiah oath ceremony) में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही है.
एआईसीसी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम 20 मई को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में समान विचारधारा वाले सभी दलों को आमंत्रित कर रहे हैं.'
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The Congress President Shri @kharge has authorised me to convey his decision:
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Shri @siddaramaiah will be the new Chief Minister of Karnataka, and Shri @DKShivakumar will be the only one Deputy CM of the state. @DKShivakumar ji will continue as the KPCC President until the… pic.twitter.com/yQWW9I23QA
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पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, संसद के बजट सत्र के दौरान अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में जेपीसी जांच की मांग को लेकर 19 समान विचारधारा वाले दलों के साथ विपक्षी एकता को सफलतापूर्वक बनाया गया था. इसमें NCP, शिवसेना UBT, RJD, JD-U, DMK, CPI-M, CPI, RSP, केरल कांग्रेस, IUML, JMM, TMC और AAP आदि साथ आए थे.
उस एकता को आगे बढ़ाने के लिए, खड़गे 20 मई के कार्यक्रम के लिए उन्हीं पार्टियों को आमंत्रित कर रहे हैं. इसमें एनसी और पीडीपी भी शामिल हो सकते हैं, जो राहुल की जम्मू-कश्मीर की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे जिन्होंने कर्नाटक चुनावों की निगरानी की, पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी और राजस्थान में पार्टी के मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के स्टालिन को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा.
शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से, कांग्रेस का लक्ष्य कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ अपनी शानदार जीत को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में प्रस्तुत करना है.
कांग्रेस पहले ही कर्नाटक की जीत को पीएम मोदी की हार के रूप में वर्णित कर चुकी है, जिन्होंने दक्षिणी राज्य में भाजपा के अभियान का नेतृत्व किया और भगवा पार्टी का चेहरा बने.
AICC के महासचिव मनीष चतरथ ने बताया, 'कर्नाटक के नतीजों का असर इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा जहां मुकाबला सीधा कांग्रेस बनाम भाजपा में होगा. तीनों राज्यों में कांग्रेस को फायदा होगा. नतीजतन, कांग्रेस बनाम बीजेपी की कहानी आने वाले महीनों में गति पकड़ेगी और अगले लोकसभा चुनावों में भूमिका निभाएगी.'
उन्होंने कहा कि 'भाजपा ने 2019 में कर्नाटक में और 2020 में मध्य प्रदेश में अनुचित तरीकों से हमारी सरकार चुराई थी. हम कर्नाटक जीत चुके हैं और अब बीजेपी से सांसद भी वापस लेंगे.'
पहले से ही जद-यू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद के उनके डिप्टी तेजस्वी यादव, अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ काम कर रहे हैं ताकि 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक आम जमीन तैयार की जा सके और भाजपा का मुकाबला किया जा सके.
हालांकि टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सपा नेता अखिलेश यादव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी मोर्चे पर आपत्ति थी, लेकिन पुरानी पार्टी की कर्नाटक जीत ने इन क्षेत्रीय पार्टियों के दृष्टिकोण में बदलाव ला दिया है.
एसपी, आप और टीएमसी ने कर्नाटक की जीत पर कांग्रेस को बधाई दी, जबकि ममता बनर्जी ने तुरंत कहा कि कर्नाटक के नतीजे बीजेपी के अंत की शुरुआत हैं और जहां टीएमसी मजबूत नहीं है, वहां वह कांग्रेस का समर्थन करने के लिए तैयार है. अखिलेश यादव ने भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त किए थे.
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