नई दिल्ली : चार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 27 मार्च से पहले चरण का मतदान शुरू होगा. इसे पहले संसद सत्र समाप्त किया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो संसद का बजट छोटा किया जा सकता है. कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न मामलों में सदन में बहस और चर्चा को छोड़ने का तरीका खोज रही है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, केवल सरकार ही सही बात जानती है, लेकिन मेरा मानना है कि सत्र चलना चाहिए. राज्य सभा की कार्यवाही होगी, इसलिए हम उन राज्य सभा सदस्यों के बिना चर्चा करेंगे.
सूत्रों के अनुसार, लगभग 145 सांसदों ने स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखकर बजट सत्र के दूसरे भाग की छोटा करने की मांग की है. हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
इस बीच, कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, यह सरकार बहस और चर्चा में विश्वास नहीं करती. कोविड के समय उन्होंने सत्र को रोक दिया. इसी तरह वे विभिन्न प्रतिनिधियों की भागीदारी के बिना कृषि बिल के तरह हर बिल को पास करना चाहते हैं. इस तरह वे अध्यादेशों के माध्यम से सदन चलाना चाहते हैं.
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उन्होंने आरोप लगाया, हर बार विपक्ष स्थगन प्रस्ताव को आगे बढ़ाता है या चर्चा के लिए कहता है, जैसे कि आज ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में सरकार ने हमें बोलने की अनुमति नहीं दी. यदि हम संसदीय लोकतंत्र के तहत इन मामलों पर चर्चा नहीं कर सकते, तो हम कहां जाकर ऐसा करेंगे.
इससे पहले, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी बजट सत्र को रोकने की खबरों पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने ट्वीट किया, राज्य विधानसभा चुनावों के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण को समाप्त करने की योजना संसदीय लोकतंत्र की मौत होगी. युद्ध के दौरान संसद को 1962, 1965 और 1971 में स्थगित नहीं किया. क्या विधानसभा चुनाव इससे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं?