नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी मंगलवार को जहां एक ओर पार्टी में दो बड़े चेहरों को शामिल कर खुशी मना रही थी, वहीं दूसरी तरफ पंजाब में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे ने जैसे रंग में भंग कर दिया. प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के इस्तीफे के बाद ननवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कैबिनेट से दो मंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस के तीन पदाधिकारियों ने भी इस्तीफ़ा दे कर अस्थिरता का माहौल खड़ा कर दिया है. पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने पंजाब के अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला से खास बातचीत की, जिन्होंने सिद्धू के इस्तीफे को निराशाजनक बताया.
सबकुछ सिद्धू के मन मुताबिक हुआ
औजला का कहना है कि पंजाब में पार्टी ने सबकुछ सिद्धू के मुताबिक ही किया. जब मुख्यमंत्री का नाम घोषित होना था तब जाखड़ और रंधावा के नाम आगे चल रहे थे, लेकिन जब उनके नाम पर सहमति नहीं बनी तब चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर सिद्धू सहमत हुए और उन्हें अपना छोटा भाई बताया. उसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमिटी में भी सिद्धू के मुताबिक ही नियुक्तियां हुई. कैबिनेट के शपथ ग्रहण तक सिद्धू साथ थे, लेकिन कल जब पोर्टफोलियो अलॉट होने के बाद मंत्रियों को अपने कार्यभार संभालना था उससे ठीक पहले सिद्धू ने ट्वीट पर अपना इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.
मंत्रियों के पोर्टफोलियो आवंटन से नहीं थे खुश
सिद्धू के कुछ करीबियों का कहना है कि कुछ अफसरों की नियुक्ति और मंत्रियों के पोर्टफोलियो आवंटन से वह खुश नहीं थे. लेकिन औजला ने इस इस्तीफे का ठोस कारण बताया. उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए थी और कैबिनेट के साथ बैठक करनी चाहिये थी. यदि कोई समस्या थी तो पंजाब कांग्रेस के सभी बड़े नेता एक साथ बैठ कर बातचीत कर सकते थे. यदि सबके साथ चर्चा करने के बाद एक आम राय बनाने का प्रयास करते तो मुख्यमंत्री भी उनकी जरूर बात मानते.
चरणजीत चन्नी की तारीफ करते हुए कांग्रेस सांसद औजला ने कहा कि पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद उनका कद बहुत बड़ा हो गया है और लोग भी उन्हें खूब पसंद कर रहे हैं.
सिद्धू ने कैप्टन को सही साबित किया
पूरे मामले को देख कर लगता है कि एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर की बात सही साबित हो गई कि सिद्धू स्थिर नहीं हैं. इस पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला का कहना है कि जब कैप्टन ने पहले ये बात कही थी तब किसी ने उनके व्यक्तव्य का समर्थन नहीं किया था लेकिन अब खुद सिद्धू ने कैप्टन को अपनी बात सही साबित करने का मौका दे दिया है.
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बता दें, औजला बीते 300 दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठ रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस से किसी ने ट्वीट कर भी समर्थन नहीं दिया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जरूर उनके पास पहुंचे थे और साथी सांसदों ने भी उनका साथ दिया है.
इशारों-इशारों में ही गुरजीत औजला ने सिद्धू पर तंज भी किया कि केवल ट्वीट करने से काम नहीं चलता, लोगों का समर्थन पाने के लिये वास्तव में भी कुछ करना पड़ता है. सिद्धू पर भरोसा कर के पार्टी आलाकमान ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जिस पर अब उन्हें काम करना था.