नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर (Congress leader Shashi Tharoor) ने शनिवार को कहा कि भारत, यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रवैया नहीं अपनाना चाहता और उसके रुख में 'व्यावहारिक राजनीति' शामिल है, लेकिन भारत रूस को यह बता सकता था कि उसका क्या सोचना है.
थरूर ने इस बात का भी जिक्र किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'यह दौर युद्ध का दौर नहीं है' की अपनी टिप्पणी से अंतत: एक 'स्पष्ट संदेश' दिया. थरूर ने व्यावहारिक कारणों से रूस के साथ भारत के संबंध 'धीरे-धीरे कमजोर होने' की संभावना जतायी और इस बात को रेखांकित किया कि रूस चीन पर अधिक से अधिक निर्भर होता जा रहा है.
उन्होंने यहां 'रायसीना डॉयलाग' में एक सत्र के दौरान कहा, 'भारत के लिए ऐसा मित्र और साझेदार एक समय बाद कितना लाभकारी होगा जो आपके प्रमुख विरोधी पर अधिक निर्भर है. चीन ने मात्र दो साल पहले सीमाओं पर हमारे 20 जवानों की हत्या कर दी. हम इतनी जल्दी यह नहीं भूल सकते.'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल कहा था कि यूरोप को लगता है कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं. जयशंकर के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि उस टिप्पणी का भारत और कई देशों ने स्वागत किया था.
थरूर ने कहा, 'यह दिलचस्प है कि इस साल 'रायसीना डायलॉग' की शुरुआत में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इन टिप्पणियों पर विशेष रूप से प्रतिक्रिया दी.' उन्होंने कहा कि मेलोनी ने दो बातें कहीं. उन्होंने कहा, 'मेलोनी ने पहली बात यह कही कि जब संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य देश की संप्रभुता का उल्लंघन होता है तो यह सिर्फ यूरोप की समस्या नहीं है और दूसरी बात यह है कि युद्ध के प्रभाव के कारण यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्या बन गई हैं.'
लोकसभा सदस्य ने कहा कि यूरोप में युद्ध ने बाकी दुनिया को वास्तव में बहुत प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, 'जयशंकर जिस बात की ओर इशारा कर रहे थे वह थोड़ा अलग पहलू था... जब भारत की सीमा का उल्लंघन किया जाता है, चाहे वह चीन में उत्तर से हमारे दोस्तों द्वारा किया गया हो या पाकिस्तान से सीमा पार आने वाले आतंकवादियों द्वारा किया गया हो, यूरोप ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि यह भारत की समस्या है.'
उन्होंने कहा, 'कोई मजबूत एकजुटता व्यक्त नहीं की गई, लेकिन जब किसी यूरोपीय सीमा का उल्लंघन होता है, तो उम्मीद की जाती है कि बाकी दुनिया को चिंतित होना चाहिए. मुझे लगता है कि उनकी (जयशंकर की) चिंता यही थी. मुझे उनके समर्थन में नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि मैं विपक्ष में हूं, लेकिन वह जो बात कह रहे थे वह दोहरे मापदंड के बारे में थी.'
यह पूछे जाने पर कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध एक स्थानीय युद्ध है, थरूर ने कहा कि यह है भी और नहीं भी. सत्र के संचालक द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या इस युद्ध के कारण रूस के साथ भारत के पुराने संबंध प्रभावित होंगे, थरूर ने कहा, 'भारत के रुख के खिलाफ संसद में बोलने वाला मैं वास्तव में एकमात्र सांसद था क्योंकि मुझे लगा कि हमने कई उन कई सिद्धांतों को कमतर किया है, जिनके लिए हम स्वतंत्रता के बाद से हमेशा खड़े रहे.'
उन्होंने कहा, 'मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत के रुख में बदलाव हुआ है और वह इन सिद्धांतों की अब नियमित रूप से वकालत कर रहा है. भारत रूस के खिलाफ रुख अपनाने से क्यों हिचक रहा था? मैं कहूंगा कि इसमें कुछ व्यावहारिक राजनीति शामिल थी.'
थरूर ने कहा, 'लेकिन मुझे लगता है कि हम रूस को बता सकते थे कि हम कहां खड़े हैं और यह दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरकार समरकंद में दुनियाभर के कैमरों के सामने सीधे कहा कि 'यह युद्ध का युग नहीं है श्रीमान राष्ट्रपति', जो एक स्पष्ट संदेश है.' उन्होंने कहा कि भारत अपने तरीके से समाधान की दिशा में काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि यह युद्ध जितना लंबा चलेगा, रक्षा उपकरणों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में रूस की क्षमता कम होती जाएगी.
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(पीटीआई-भाषा)