नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने जहांगीरपुरी इलाके में दो समुदायों के बीच हुई हिंसा के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्हाेंने कहा कि 2020 के दंगों में 53 लाेगाें की हत्या हो जाती है, उसके घाव अभी तक भरे भी नहीं हैं कि एक बार फिर दिल्ली में दंगों की कोशिश होती है. दिन होता है हनुमान जयंती का. सभी लोग इस दिन को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं. कहीं शोभायात्रा निकाली जाती है तो कहीं पूजा अर्चना की जाती है. उसी शोभायात्रा के दौरान जहांगीरपुरी में हिंसा की खबर आती है और यह सुनकर मन दुखी होता है. यह दुर्भाग्य है कि दिल्ली में एक बार फिर दंगे का एक कलंक लग गया.
उन्हाेंने कहा कि दिल्ली में जिस तरीके से घटनाएं हुई हैं इससे कई प्रश्न खड़े होते हैं. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, एक बात यह सिद्ध हो गया है कि अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 में जिस प्रकार से दिल्ली को भगवान भरोसे और भाजपा के भरोसे छोड़ दिया था उसी प्रकार आज भी दिल्ली को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली को बचाने के लिए कई संगठनाें ने लोगों से अपील की है, लेकिन विपक्षी दलाें के कुछ लोग इस तरह के ट्वीट कर रहे हैं जो शायद आग में घी डालने जैसा काम कर रहे हैं.
दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहाः
इस मुल्क में 6 से 7 सालों से धार्मिक दंगे होते आ रहे हैं. ऐसा कौन शख्स या फिर राजनीतिक पार्टी है जिसको सीधा इसका फायदा पहुंचता है. साथियों मुझे किसी का नाम लेने की जरूरत नहीं है. देश में कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर आज चर्चा होनी चाहिए. महंगाई ,बेरोजगारी कोरोना काल के बाद जिस तरीके से आर्थिक दिक्कतें आ रही हैं वह मुद्दे हैं, न कि एक धर्म को दूसरे धर्म के सामने खड़ा कर देना. मैं समझता हूं कि यह कहीं ना कहीं सियासत का हिस्सा है. इन दंगों का लाभ और इस तरह के माहौल का लाभ किस सियासत दल को जाता है, वह सभी जानते हैं. अगर दिल्ली पुलिस चाहती और अरविंद केजरीवाल चाहते तो इस दंगे की आग से बचाया जा सकता था दिल्ली वालों को. जो मुख्यमंत्री घर में चुप करके बैठ जाते हैं दिल्ली पुलिस का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं मैं अरविंद केजरीवाल को कहना चाहता हूं कि यही वह दिल्ली है जहां शीला दीक्षित मुख्यमंत्री हुआ करती थीं, इस दिल्ली के भाईचारे को उन्होंने बढ़ावा दिया. रत्ती भर भी यहां पर किसी प्रकार का दंगा फसाद नहीं हुआ.
अनिल चाैधरी ने दिल्ली वासियों से किसी तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है. उन्हाेंने कहा कि दिल्ली दिलवालों की है. दिल्ली को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली को बचाना सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है. कुछ सियासती लोग अपने सियासत को आगे रखने के लिए आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं. अनिल चाैधरी ने सवाल खड़े करते हुए पूछा, 'जो बार-बार इन दंगों को लेकर यह कहते हैं कि कुछ लोग साजिश कर रहे हैं आखिरकार साजिशकर्ता लोग हैं कौन'. उन्हाेंने कहा दिल्ली में इस तरह की अगर साजिश रची जाती है तो यह खुफिया तंत्र हाथ पर हाथ डाल कर क्यों बैठा हुआ है. कई सारे प्रश्न उठते हैं उम्मीद है कि जांच में इस तरह के प्रश्नों के जवाब जरूर मिलेंगे. जब कोई रैली की जाती है तो क्या दिल्ली पुलिस एक परफॉर्मा नहीं भरवाती है जिसमें सारी चीजें लिखी होती हैं. तो फिर ऐसा क्या होता है कि सुरक्षा व्यवस्था इतनी कम थी कि कोई भी इसका फायदा उठाकर हिंसा को बढ़ावा दे देता है.
भाजपा नेता कपिल मिश्रा को लेकर अनिल चौधरी ने कहा कि ये वही लोग हैं जो नॉर्थ ईस्ट के दंगों में भी बड़ी भूमिका लेकर घूम रहे थे. नॉर्थ ईस्ट के दंगे भड़काने में इन लोगों ने ट्वीट के माध्यम से एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के सामने लाकर खड़ा कर दिया. यह वही लोग हैं जो नफरत की दीवार दो भाइयों के बीच खड़ी कर दिए. यह वही लोग हैं जिनके कारण पहले जहां दिल्ली को दिलवालों की दिल्ली कही जाती थी लेकिन आज केवल दंगों की दिल्ली बनकर रह गई है.
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