शिमला : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को एक साल का वक्त हो गया है. इस मौके पर हिमाचल सरकार ने सोमवार को धर्मशाला में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया. उधर हिमाचल में बीजेपी ने सोमवार को आक्रोश दिवस के रूप में मनाया और जगह-जगह प्रदर्शन किए. कांग्रेस अपनी एक साल की उपलब्धियां गिनवा रही है और बीजेपी इस एक साल को नाकामयाबियों भरा साल बता रही है. कांग्रेस के जश्न और बीजेपी के आक्रोश की ये टाइमिंग भी बड़ी दिलचस्प है. दिसंबर महीने की 3 तारीख को चार राज्यों के नतीजे आए और इसके साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है.
हिमाचल और लोकसभा चुनाव- सियासी गणित और लोकसभा, विधानसभा सीटों के लिहाज से हिमाचल भले छोटा पहाड़ी राज्य हो लेकिन छत्तीसगढ़ और राजस्थान गंवा चुकी कांग्रेस की सबसे पुरानी सरकार अब हिमाचल में ही है. जिसे सिर्फ एक साल हुआ है. कर्नाटक में इसी साल और तेलंगाना में इसी महीने कांग्रेस की सरकार बनी है. चार लोकसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में 2021 उपचुनाव के बाद भले मंडी की सीट कांग्रेस के खाते में हो लेकिन बीजेपी के लिए ये प्रदेश उन राज्यों में शुमार है जहां उसने 2014 और 2019 में क्लीन स्वीप कर सारी सीटें जीती थीं. ऐसे में 2024 के चुनाव में कांग्रेस के लिए इस प्रदर्शन को सुधारने और बीजेपी के लिए बनाए रखने का मौका है. लेकिन मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के लिए ये राह मुश्किल हो सकती है.
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हिमाचल की उन्नति,
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चुनावी वादे बन सकते हैं कांग्रेस की राह का रोड़ा- आज से ठीक एक साल पहले कांग्रेस पूरे जोर-शोर के साथ सत्ता में आई थी. उस वक्त 40 सीटें जीतकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस के लिए हर दांव जैसे सटीक बैठा था. सियासी जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के चुनावी वादों को सत्ता में वापसी की राह खोलने में सबसे अहम भूमिका निभाई लेकिन एक साल बाद वही वादे सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहे हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान 10 बड़े वादे किए थे.
- -ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना
- -18 से 59 साल की हर महिला को 1500 रुपये मासिक
- -300 यूनिट मुफ्त बिजली
- -5 लाख रोजगार
- -युवाओं के लिए स्टार्ट-अप योजना
- -बागवानों को फलों की कीमत तय करने का अधिकार
- -हर गांव में मोबाइल क्लीनिक से मुफ्त इलाज
- -हर विधानसभा में 4 इंग्लिश मीडियम स्कूल
- -गाय-भैंस पालकों से रोज 10 लीटर दूध की खरीद
- -2 रुपये किलो गोबर की खरीद
एक साल में वादों का क्या हुआ ?- 2022 में विधानसभा चुनाव के प्रचार के मंच से इन वादों की गूंज सुनाई दी. प्रियंका गांधी तक ने खुले मंच से कहा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन स्कील बहाल करने और 1 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा होगा. कांग्रेस सरकार ने पहले साल में ओपीएस का वादा पूरा कर दिया है और सरकार के अपनी पीठ थपथपाने की ये सबसे बड़ी वजह है. हालांकि मुख्यमंत्री खुद बोल चुके हैं कि युवाओं के लिए 680 करोड़ की स्टार्ट अप योजना और हर प्राइमरी स्कूल में अगले सत्र से इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई का वादा पूरा करने से कांग्रेस की एक और गारंटी पूरी हो रही है. वैसे चुनाव के दौरान पहली कैबिनेट और पहली कलम से गारंटियों पर मुहर लगाने वाले नेताओं के बोल अब बदल गए हैं.
"हमारी सरकार ने 365 दिन में 365 फैसले लिए हैं. सरकार के एक साल के दौरान हमने 10 में से 3 वादे पूरे कर दिए हैं. हम पांच साल के लिए आए हैं और जो वादे बचे हैं उन्हें हम अगले चार सालों में पूरा करेंगे"- सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री, हिमाचल
हालांकि इन तीन वादों के अलावा युवाओं, बागवानों, महिलाओं और पशुपालकों से किए वादों समेत अन्य गारंटियों के बारे में जिक्र करने के लिए सरकार के पास ज्यादा कुछ नहीं है. वैसे तो हर अधूरी गारंटी लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के हर जिताऊ फॉर्मूले की हवा निकाल सकती है. लेकिन सबसे बड़ा तबका उन बेरोजगार युवाओं का है, जिसने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़ चढ़कर वोट दिए और अब तक एक लाख से लेकर 5 लाख तक नौकरी के वादे पर कुछ भी नहीं हुआ है.
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#WATCH | On completion of one year of his government Himachal Pradesh CM Sukhvinder Singh Sukhu says, "Out of the ten guarantees, we have fulfilled three which include Old Pension Scheme. In the next five years, we will fulfil the remaining guarantees....Cabinet expansion will… pic.twitter.com/CuH6HanVB8
— ANI (@ANI) December 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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बीजेपी फ्रंटफुट पर- साल 2022 में बीजेपी चुनाव हार गई थी. वैसे हिमाचल में 37 साल से हर 5 साल में सरकार बदलने का रिवाज नहीं बदला है. लेकिन बीते दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन उसके साथ है. 3 दिसंबर को 3 राज्यों में कमल खिलने के बाद और कांग्रेस सरकार के अधूरे वादों का पिटारा हिमाचल में बीजेपी को फ्रंटफुट पर ले आता है. बीजेपी प्रदेशभर में कांग्रेस की सुक्खू सरकार से एक साल का रिपोर्ट कार्ड मांग रही है. बीजेपी नेताओं के मुताबिक बीते एक साल में हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया है.
"ये आज तक का सबसे निराशाजनक एक साल का कार्यकाल है. जिसमें जश्न मनाने जैसी कोई चीज नहीं है. कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी और झूठ बोलकर सत्ता में आई लेकिन एक भी गारंटी पूरी नहीं हुई है. इस साल प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल में तबाही मचा दी. 500 लोगों की मौत हुई और हजारों लोग बेघर हो गए. फिर भी कांग्रेस जश्न मना रही है. इस एक साल के कार्यकाल में एक भी उपलब्धि नहीं है."- जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम और नेता विपक्ष, हिमाचल प्रदेश
मिशन 2024 और कांग्रेस की परेशानी- साल 2023 में आई आपदा ने भी कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का मानना है कि सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का बजट की व्यवस्था आपदा प्रभावित लोगों और क्षेत्रों के लिए की है. अगर आपदा ना आई होती तो सरकार अन्य गारंटियां भी पूरी करती. वरिष्ठ पत्रकार धनंजय अंथ्वाल मानते हैं कि ये साल हिमाचल के लिए मुश्किलों भरा रहा है. जिसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ेगा. खासकर रोजगार वाली गारंटी का इंतजार कर रहे युवाओं का गुस्सा सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है. अधूरे वादों के अलावा कांग्रेस की अंदरूनी कलह, कैबिनेट विस्तार का ना होना, सरकारी कर्मचारियों के बकाये का भुगतान ना कर पाना भी कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है. 3 राज्यों में बीजेपी की सरकार और मोदी मैजिक के बीच कांग्रेस के लिए आने वाला साल भी मुश्किलों भरा रह सकता है. कांग्रेस आपदा के दौरान बीजेपी नेताओं की बेरुखी से लेकर मोदी सरकार के सौतेले रवैये का मुद्दा भी उठा रही है. लेकिन ये कांग्रेस के लिए कितना असरदार साबित होगा ये देखने वाली बात होगी.
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा भी मानते हैं कि मोदी की गारंटी के सामने बीजेपी मोदी की गारंटी का प्रचार करेगी. बीजेपी हिमाचल में लगातार कांग्रेस के एक साल के कार्यकाल को फेल करार दे रही है. फिर चाहे महिलाओं के 1500 रुपये वाली गारंटी का पूरा ना होना हो या फिर पशुपालकों से दूध और गोबर खरीदारी का अधूरा वादा हो. लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हो जाते हैं, जिसमें बीते दो चुनाव से बीजेपी का कोई सानी नहीं है. ऐसे में हिमाचल में कांग्रेस को जनता को साधने के लिए कुछ मैजिक करना होगा.
कांग्रेस की उम्मीद और लोकसभा चुनाव का इतिहास- 2022 के अंत में कांग्रेस 40 सीटें जीतकर हिमाचल की सत्ता पर लौटी, तब सियासी पंडितों ने लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की जीत पर दांव लगाया था लेकिन एक साल बाद स्थितियां और परिस्थितियां बदल चुकी हैं. देशभर के सियासी माहौल के अलावा हिमाचल में इस साल आई प्राकृतिक आपदा ने समीकरण बदल दिए हैं. पिछले दो लोकसभा चुनाव में भी 2014 और 2019 में बीजेपी ने सभी चारों सीटें अपने नाम की थी. जबकि 2014 में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी और 2019 में बीजेपी की. कुल मिलाकर मोदी मैजिक के साथ-साथ कांग्रेस के सामने अंदरूनी कलह से लेकर अधूरे वादे, खाली खजाना और आपदा से हुआ नुकसान चुनौतियां का ऐसा पहाड़ खड़ा कर रहे हैं, जिससे पार पाने के लिए कांग्रेस सरकार और संगठन को ही संजीवनी खोजनी होगी.
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