नई दिल्ली : गृह मामलों पर राज्यसभा संसदीय समिति की बैठक में बुधवार को माहौल गरमा गया, क्योंकि कांग्रेस सदस्यों ने सुझाव दिया कि समिति को गुमराह करने के लिए असम के मुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया जाए. मामला राज्य में डिटेंशन कैम्पों की संख्या सं संबंधित है.
बैठक के दौरान भाजपा सांसदों के बार-बार व्यवधान के बीच लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कार्यवाही से वॉकआउट भी कर दिया. समिति असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में जेल की स्थिति, सुधार और बुनियादी ढांचे पर चर्चा कर रही थी.
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि ड्रामा तब शुरू हुआ, जब कुछ कांग्रेस सांसदों ने असम के मुख्य सचिव से जानना चाहा कि राज्य में डिटेंशन कैम्प की संख्या कितनी है. जब अधिकारी ने कहा कि एक डिटेंशन सेंटर है, जिसमें 200 कैदी रहते हैं, तो संयोग से एक भाजपा सांसद ने असम के मुख्य सचिव के दावे का खंडन करते हुए कहा कि इंटरनेट के अनुसार, राज्य में छह डिटेंशन कैम्प हैं.
सूत्रों ने बताया कि इससे कांग्रेस सदस्य नाराज हो गए, जिन्होंने कहा कि संसदीय पैनल को गुमराह करने के लिए अधिकारी के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने का यह उपयुक्त मामला है. दिलचस्प बात यह है कि पैनल के अध्यक्ष बृजलाल, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा भाजपा सांसद हैं, ने उपर्युक्त भाजपा सांसद का विरोध करते हुए कहा कि वह असम के मुख्य सचिव की प्रतिक्रिया पर विचार करेंगे, इंटरनेट पर नहीं जाएंगे.
बैठक के दौरान कई भाजपा सांसदों ने समिति की बैठक की कार्यवाही में बाधा डाली, जिसके कारण चौधरी बाहर चले गए. इस बीच पैनल ने ओडिशा सरकार द्वारा किए गए जेल बुनियादी ढांचे और सुधारों की सराहना की. हालांकि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में मौजूद नहीं थे. समिति ने हिरासत शिविरों में भोजन की गुणवत्ता पर भी चर्चा की.
पैनल को बताया गया कि वहां परोसे जाने वाले भोजन की स्वादिष्टता और कैलोरी मान की जांच महीने में एक बार की जाती है. हालांकि कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सुझाव दिया कि डिटेंशन कैम्पों में भोजन की गुणवत्ता की दैनिक आधार पर जांच की जानी चाहिए.
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(आईएएनएस)