नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को पीएम मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट को 2020 से पूर्वी लद्दाख से जारी सीमा विवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया. बता दें कि इसी दिन 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने कहा कि हम अपने वीर जवानों और वीर सेना को श्रद्धांजलि देते हैं लेकिन पीएम को यह बताना चाहिए कि उन्होंने पिछले वर्षों में चीन का नाम क्यों नहीं लिया, उन्हें लाल आंखें क्यों नहीं दिखाईं. उन्होंने कहा कि लद्दाख सीमा पर सेना को कार्रवाी क्यों नहीं करने दी. कांग्रेस नेताओं की टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब देश वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के साथ खूनी संघर्ष में शहीद 20 सैनिकों की मौत पर शोक व्यक्त कर रहा है.
बता दें कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी घुसपैठ जारी है. सीमा रेखा के परिणामस्वरूप भारत-चीन संबंध एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को यह घोषित करने के लिए मजबूर किया गया है कि द्विपक्षीय संबंध असामान्य थे और द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य होने से पहले सीमा पर शांति आवश्यक थी. पिछले वर्षों से चीनी घुसपैठ को लेकर पीएम पर निशाना साध रही कांग्रेस ने गलवान में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि तीन साल पहले देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले 20 जवानों का पूरा देश ऋणी है. हम उन्हें नमन करते हैं. उनके परिवारों के साथ-साथ देश भी जानना चाहता है कि पीएम ने झूठ क्यों बोला कि कोई भी हमारे क्षेत्र में नहीं आया था. पिछले तीन वर्षों के दौरान, पीएलए वही भाषा बोल रही है जो हमारे पीएम बोलते थे.
उन्होंने कहा कि हमें पिछले तीन वर्षों में पीएलए को सबक सिखाना चाहिए था. इसके बजाय, चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बन गया है और हमारे आयात में वृद्धि हुई है. गलवान झड़प के बाद जब पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार आमने-सामने आए, तो लाल शर्ट पहने पीएम मोदी उन्हें लाल आंखें दिखाना भूल गए और इसके बजाय चीनी नेता का अभिवादन कर रहे थे.
कांग्रेस नेता ने सेना की प्रशंसा की लेकिन कहा कि उसके हाथ बंधे हुए हैं. उन्होंने कहा, चीन हमारे बहादुर सैनिकों के साथ ऐसा कैसे कर सकता है, क्योंकि हमारे पीएम अहमदाबाद में शी जिनपिंग के साथ झूले का आनंद ले रहे थे. सेना की बहादुरी ऐसी है कि उन्होंने 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. हम उन्हें नमन करते हैं लेकिन सेना के हाथ क्यों बंधे हैं? भारत ने पिछले तीन वर्षों में एलएसी पर 65 गश्त बिंदुओं में से 26 को खो दिया है, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है.
वहीं अमेरिकी राजदूत का कहना है कि भारत, चीन की आंख में आंख डालने से बचता है. एलएसी पर यथास्थिति क्यों नहीं है? मारे गए सैनिकों के परिवार और देश यह सवाल पूछता है कि पीएम कब तक चुप रहेंगे. कांग्रेस नेता ने विदेश मंत्री एस जयशंकर पर भी निशाना साधा, जिन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि भारत, चीन से मुकाबला नहीं कर सकता क्योंकि वह एक बड़ी अर्थव्यवस्था है.
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कब तक हमारे विदेश मंत्री कहते रहेंगे कि हम एक छोटी अर्थव्यवस्था हैं और चीन एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसलिए हम उनके साथ लड़ाई नहीं कर सकते. अगर कांग्रेस ने ऐसा सोचा होता तो आजादी से पहले हम अंग्रेजों के खिलाफ नहीं लड़ते. सरकार सिर्फ पीएम के झूठ पर पर्दा डालने की कोशिश करती है लेकिन उसे चीन से भिड़ना ही होगा. पीएम को अपनी चुप्पी तोड़नी होगी.
ये भी पढ़ें - गलवान संघर्ष की तीसरी बरसी : लद्दाख सेक्टर में तैनात वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने लेह में बैठक की