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एशिया का सबसे बड़ा सुरंग देवदुला बनकर तैयार - एशिया का सबसे बड़ा सुरंग

देवदुला वाटर टनल (Devadula water tunnel) का काम पूरा हो चुका है. 49.06 किमी लंबी की यह सुरंग एशिया की सबसे बड़ी हाइड्रोलिक सुरंग है.

देवदुला
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Published : Oct 19, 2021, 6:29 PM IST

हैदराबाद : एशिया की सबसे बड़ी देवदुला वाटर टनल (Devadula water tunnel) का काम पूरा हो चुका है. इसका काम 2008 में काम शुरू हुआ था.

प्रारंभ में रामप्पा तालाब से धर्मसागर तालाब तक लगभग 55 किमी खुदाई करने का निर्णय लिया गया. जियो इंजीनियरों ने चिंता व्यक्त की थी कि विस्फोट से रामप्पा मंदिर को नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही सरकार ने मुलुगु जिले के जकारम से हनुमाकोंडा जिले के देवन्नापेटा तक 7 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने और सुरंग खोदने का फैसला किया है.

2011 में चालिवागु के तहत काम करते हुए तीन लोगों की बह जाने से मौत हो गई. तेलंगाना राज्य के गठन के बाद 2016 में 1494 करोड़ रुपये के अनुमान के साथ काम फिर से शुरू हुआ. सरकार ने तब से सुरंग निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी मेघा कंपनी को सौंप दी है.

नरम चट्टान होने के कारण इंजीनियरों के लिए उस क्षेत्र में काम करना एक चुनौती बन गया है. खुदाई और रखरखाव के लिए सात शाफ्ट और 10 ऑडिट पॉइंट स्थापित किए गए थे. हाल ही में इंजीनियरों को एक बार फिर जकारम में 3 मीटर ऊंचे खोल (गुहा) के साथ परेशानी हुई थी.

पूरी खुदाई लोहे के गर्डर लगाकर और पत्थरों को गिराए बिना काम पूरा कर लिया गया. वारंगल सर्कल के पर्यवेक्षण अभियंता सुधाकर रेड्डी ने कहा कि इस साल के अंत तक शेष लाइनिंग कार्य को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे.

पढ़ें : अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के पास बनाया जा रहा है सुरंग

हैदराबाद : एशिया की सबसे बड़ी देवदुला वाटर टनल (Devadula water tunnel) का काम पूरा हो चुका है. इसका काम 2008 में काम शुरू हुआ था.

प्रारंभ में रामप्पा तालाब से धर्मसागर तालाब तक लगभग 55 किमी खुदाई करने का निर्णय लिया गया. जियो इंजीनियरों ने चिंता व्यक्त की थी कि विस्फोट से रामप्पा मंदिर को नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही सरकार ने मुलुगु जिले के जकारम से हनुमाकोंडा जिले के देवन्नापेटा तक 7 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने और सुरंग खोदने का फैसला किया है.

2011 में चालिवागु के तहत काम करते हुए तीन लोगों की बह जाने से मौत हो गई. तेलंगाना राज्य के गठन के बाद 2016 में 1494 करोड़ रुपये के अनुमान के साथ काम फिर से शुरू हुआ. सरकार ने तब से सुरंग निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी मेघा कंपनी को सौंप दी है.

नरम चट्टान होने के कारण इंजीनियरों के लिए उस क्षेत्र में काम करना एक चुनौती बन गया है. खुदाई और रखरखाव के लिए सात शाफ्ट और 10 ऑडिट पॉइंट स्थापित किए गए थे. हाल ही में इंजीनियरों को एक बार फिर जकारम में 3 मीटर ऊंचे खोल (गुहा) के साथ परेशानी हुई थी.

पूरी खुदाई लोहे के गर्डर लगाकर और पत्थरों को गिराए बिना काम पूरा कर लिया गया. वारंगल सर्कल के पर्यवेक्षण अभियंता सुधाकर रेड्डी ने कहा कि इस साल के अंत तक शेष लाइनिंग कार्य को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे.

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