नई दिल्ली : देश के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने कलकत्ता, गुजरात, इलाहाबाद, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की गुरुवार को सिफारिश की है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति संजय के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति टी. एस. शिवगणनम को कलकत्ता उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है. वह कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं.
कोलेजियम ने गुरुवार को बैठक में न्यायमूर्ति सोनिया जी. गोकानी को गुजरात उच्च न्यायालय का जबकि न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है. कोलेजियम ने न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय और न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर को मणिपुर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है.
कॉलेजियम बहुसदस्यीय है, उसके संभावित फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट : उच्चतम न्यायालय ने 12 दिसंबर 2018 को हुई कॉलेजियम की बैठक की जानकारी का आरटीआई अधिनियम के तहत खुलासा करने का अनुरोध करने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और रेखांकित किया कि बहु-सदस्यीय निकाय के 'संभावित फैसले' को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की एक पीठ ने कहा कि कॉलेजियम के सभी सदस्यों द्वारा लिये गए हस्तिक्षरित निर्णय को ही अंतिम फैसला कहा जा सकता है.
पीठ ने कहा, सदस्यों के बीच हुई चर्चा और परामर्श पर तैयार किए गए संभावित प्रस्तावों को तब तक अंतिम नहीं कहा जा सकता जब तक कि उन पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर न हों. पीठ ने कहा कि कॉलेजियम कई सदस्यों वाला एक निकाय है, जिसका संभावित निर्णय सार्वजनिक पटल पर नहीं रखा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मीडिया की खबरों तथा कॉलेजियम के एक पूर्व सदस्य के साक्षात्कार पर भरोसा नहीं कर सकती और पूर्व न्यायाधीश के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती.
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कॉलेजियम ने 10 जनवरी 2019 को पारित एक प्रस्ताव में उल्लेख किया था कि 12 दिसंबर 2018 को हुई अपनी बैठक में कुछ नामों पर केवल परामर्श हुआ, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया. न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर की सेवानिवृत्ति के कारण इस कॉलेजियम के सदस्यों में बदलाव हो गया था. शीर्ष अदालत ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त फैसला सुनाया.
भारद्वाज ने 12 दिसंबर 2018 को हुई उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम की बैठक के एजेंडे का खुलासा करने संबंधी उनकी याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत का रुख किया था. न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर पहले इस कॉलेजियम के सदस्य थे लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के कारण कॉलेजियम का समीकरण बदल गया था. कॉलेजियम की उस बैठक में कुछ न्यायाधीशों की पदोन्नति पर कथित तौर पर कुछ निर्णय लिए गए थे.
(पीटीआई-भाषा)