रायपुर: निःसंतान दंपति के लिए बच्चा गोद लेना मतलब बेहद जटिल प्रक्रिया हैं. गोद लेने वालों को कई तरह की कागजी खानापूर्ति और कड़े मापदंडों से गुजरना पड़ता है. इसके बावजूद तीन-तीन साल तक इंतजार करना होता है. कई बार तो दंपति बच्चा मिलने की आस तक छोड़ देते थे. राज्य शासन ने अब निःसंतान दंपत्ति के लिए बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए पहले की तुलना में आसान कर दिया (child adoption rules changed in chhattisgarh ) हैं.
अभी तक बच्चा गोद लेने के लिए मुहर लगाने वाली केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण भारत सरकार यानी कारा की मंजूरी लेने के बाद निःसंतान दंपति को बच्चा गोद लेने के लिए महिनों कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते थे. शासन ने कोर्ट की प्रक्रिया को हटा दिया है. अब CARA से अनुमति मिलने के बाद दंपत्ति का आवेदन कलेक्टर के पास जाएगा. कलेक्टर की सहमति के बाद दंपति को बच्चा गोद दे दिया (Collector permission required for child adoption ) जाएगा.
गोद लेने के लिए यह दस्तावेज जरूरी
- अगर आप शादीशुदा हैं तो मैरिज सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र
- गोद लेने वाले माता पिता की फोटो
- चिकित्सा प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, बिजली बिल, सैलरी स्लिप, आय प्रमाण पत्र, इनकम टैक्स रिटर्न
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छत्तीसगढ़ में कितने बच्चों को माता पिता की तलाश : आंकड़ों की बात करें तो छत्तीसगढ़ की 14 संस्थाओं और आश्रमों में 2200 से ज्यादा अनाथ बच्चे हैं, जिन्हें माता-पिता का इंतजार हैं. इन बच्चों को गोद लेने के लिए 800 लोगों ने प्रदेश से ही आवेदन कर रखा है. देश और विदेश के आवेदन भी बड़ी संख्या में हैं. लेकिन गोद देने की प्रक्रिया इतनी पेंचीदा है कि राज्य की जिम्मेदार एजेंसी इनमें से केवल 97 बच्चों को ही गोद दे सकती है.उस पर भी नंबर आने पर संबंधित अभिभावक को यह विकल्प ही नहीं मिलता कि लड़का मिलेगा या लड़की. क्योंकि बच्चों को नंबर के हिसाब से गोद दिया जाता है.लिहाजा गोद देने के नियम के मुताबिक दंपती को नंबर के हिसाब से गोद दिया जाता है.इसके बाद अभिभावक ने यदि उस समय अपने पसंदीदा बच्चे की चाहत में मौका छोड़ा तो उसे फिर से नए सिरे से आवेदन करना पड़ेगा.इसलिए भी बच्चा गोद देने में देरी होती है.
बच्चा गोद लेने के लिए क्या हैं नियम
- अभिभावकों को शारीरिक, मानसिक और वित्तीय रूप से सक्षम तथा सुदृढ़ होना चाहिए.
- अभिभावकों में से किसी को भी जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए
- तीन या तीन से अधिक संतान वाले दंपत्ति नहीं होने चाहिए
- सिंगल महिला लड़का या लड़की दोनों में से किसी को भी गोद ले सकती है.
- सिंगल पुरुष सिर्फ लड़का गोद ले सकते हैं.
- 4 साल के बच्चे के लिए पैरेंट्स 45 वर्ष, 8 वर्ष के लिए 50, 18 वर्ष के लिए 55 वर्ष से अधिक हों
- भावी दत्तक माता पिता दोनों में से प्रत्येक की आयु में 25 वर्ष से अधिक अंतर होना चाहिए
क्या कहते हैं अधिकारी: जिला बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि "गोद लेने वाली प्रक्रिया में सरलीकरण हुआ है. शासन ने किशोर न्याय अधिनियम में बदलाव किया है. गोद लेने के लिए कोर्ट में जाने से चार से पांच माह का समय अधिक लग जाता था. लेकिन अब दंपत्ति को समय पर बच्चा मिलेगा. दंपत्ति को अब ज्यादा दिक्कत नहीं होगी." Good news for childless couples in Chhattisgarh