धनबाद: बंगाल और निरसा की सीआईएसएफ टीम संयुक्त रूप से ईसीएल मुग्मा क्षेत्र अंतर्गत निरसा के राजा कोलियरी छापेमारी के लिए पहुंची. सीआईएसएफ की टीम को देख मौके पर अवैध तरीके से कोयला उठा रहे लोगों के बीच भगदड़ मच गई. छापेमारी टीम को देख कोयला चोर इधर-उधर भागने लगे. भागने के दौरान कुछ कोयला चोर गिर पड़े और चोटिल हो गए. इसी दौरान सीआईएसएफ की टीम ने उन कोयला चोरों को घटनास्थल से ही पकड़ लिया, जिसके बाद बाहर खड़े उनके साथी आक्रोशित हो गए. आक्रोशित कोयला चोर के साथियों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला बोल दिया. उन्होंने जमकर पत्थरबाजी भी की.
ये भी पढ़ें: Firing in Dhanbad: गोली मारकर कोयला कारोबारी की हत्या, गैंग्स्टर प्रिंस खान के गुर्गे ने ली जिम्मेदारी
सीआईएसएफ की टीम पर पत्थरबाजी करने वालों की सफाई: अवैध तरीके से कोयला उठाने वालों का कहना है कि सीआईएसएफ की टीम ने दो लोगों को मौके से ही पकड़ लिया, लेकिन सीआईएसएफ की टीम ने उन्हें थाना के हवाले ना करके, उनके साथ बहुत बुरी तरह से मारपीट की. जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए. जिसके बाद उनके साथियों ने उसे बचाने के लिए सुरक्षाकर्मियों की टीम पर पथराव किया है.
सीआईएसएफ ने की निरसा थाना में शिकायत: इस घटनाक्रम में सीआईएसएफ की लगभग 4 गाड़ियों के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए हैं. कुछ जवान भी घायल हो गए. घटना के बाद निरसा थाना की गश्ती दल घटनास्थल पर पहुंचकर विधि व्यवस्था बनाए रखने में जुटी दिखी. वहीं सीआईएसएफ की पूरी टीम ने निरसा थाना पहुंचकर पूरी घटना की लिखित शिकायत की है. वहीं निरसा एसडीपीओ पीतांबर खरवार से मामले को लेकर बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ के अधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है. मामले की जानकारी उनसे ली जा रही है. सीआईएसएफ की लिखित शिकायत के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
कोयला तस्करी के लिए सुर्खियों में रहा है निरसा: बता दें कि कोयला तस्करी को लेकर निरसा क्षेत्र सुर्खियों में रहा है. कोयला तस्करी में जुटे आकाओं द्वारा यहां के ग्रामीणों से कोयला की चोरी कराई जाती हैं. चोरों को प्रश्रय देने वाले अवैध कारोबारी सीआईएसएफ की कार्रवाई पर खुलकर विरोध करने लिए उकसाते हैं. पिछले दिनों बाघमारा में भी एक घटना थी, जिसमें सीआईएसएफ और कोयला चोरों के बीच झड़प हुई थी. जिसमें चार लोग सीआईएसएफ की गोली से मारे गए थे. कुछ सीआईएसएफ जवान भी जख्मी हुए थे. यूं कहें कि निरसा में आज जो कुछ हुआ उससे तो यही लगता है कि बाघमारा की घटना एक बार फिर से होने से बच गई. जानकारों की मानें तो कही ना कही ऐसी घटनाओं में पुलिस की भूमिका संदिग्ध मानी जाती है.