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CMIE के आंकड़े भारी उतार-चढ़ाव वाले, सरकारी आंकड़े व्यावहारिक: सरकार

केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि जनवरी 2016 से अक्टूबर 2021 तक जम्मू एवं कश्मीर के संबंध में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईआई) द्वारा अनुमानित की गई बेरोजगारी की मासिक समय सीमा भारी उतार चढ़ाव को दर्शाती है.

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Published : Dec 15, 2021, 6:07 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि जनवरी 2016 से अक्टूबर 2021 तक जम्मू एवं कश्मीर के संबंध में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईआई) (Center for Monitoring Indian Economy) द्वारा अनुमानित की गई बेरोजगारी की मासिक समय सीमा भारी उतार चढ़ाव को दर्शाती है लेकिन सरकारी आंकड़ों बताते हैं कि वहां बेरोजगारी की दर के अनुमान में उतार-चढ़ाव 5.1 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत के बीच रहा है.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीएमआईआई एक व्यापारिक सूचना केंद्र है, जो स्वयं अपने द्वारा तैयार किए गए मानदंडों और प्रक्रियाओं के आधार पर बेरोजगारी के आंकड़ों से संबंधित सूचना को संकलित करता है.

उन्होंने कहा, 'जनवरी 2016 से अक्टूबर 2021 तक जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में सीएमआईआई द्वारा अनुमानित की गई बेरोजगारी की मासिक समय भारी उतार-चढ़ाव दर्शाती है.'

उन्होंने कहा, 'हालांकि जुलाई 2017 से जून 2020 के दौरान राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), द्वारा किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति में बेरोजगारी की दर के अनुमान में उतार-चढ़ाव 5.1 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत के बीच रहा है.'

राय ने कहा कि सरकार में खाली पदों की संख्या में काफी कमी आई है ओर यह 80,000 से भी कम है क्योंकि जम्मू और कश्मीर राज्य क्षेत्र में बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान करने और खाली पदों को भरने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए गए हैं.

पढ़ें :- CAPF कर्मियों के लिए अलग सेवा, पेंशन नियमों के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं : सरकार

उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर सरकार ने सूचित किया है कि आर्थिक मानदंड, अर्थव्यवस्था में मंदी का ऐसा कोई संकेत नहीं देते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप नौकरियां गंवानी पड़ी हो.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), मोटर एंड स्पिरिट टैक्स और स्टांप संग्रहण जैसे संकेतकों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 14.50 प्रतिशत, 64.63 प्रतिशत और 104.10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

उन्होंने कहा, 'चालू वर्ष के दौरान राज्य वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण में कुल वृद्धि 25.43 प्रतिशत रही है और उत्पाद शुल्क संग्रहण 770 करोड़ रूपया रहा है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अधिक है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि जनवरी 2016 से अक्टूबर 2021 तक जम्मू एवं कश्मीर के संबंध में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईआई) (Center for Monitoring Indian Economy) द्वारा अनुमानित की गई बेरोजगारी की मासिक समय सीमा भारी उतार चढ़ाव को दर्शाती है लेकिन सरकारी आंकड़ों बताते हैं कि वहां बेरोजगारी की दर के अनुमान में उतार-चढ़ाव 5.1 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत के बीच रहा है.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीएमआईआई एक व्यापारिक सूचना केंद्र है, जो स्वयं अपने द्वारा तैयार किए गए मानदंडों और प्रक्रियाओं के आधार पर बेरोजगारी के आंकड़ों से संबंधित सूचना को संकलित करता है.

उन्होंने कहा, 'जनवरी 2016 से अक्टूबर 2021 तक जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में सीएमआईआई द्वारा अनुमानित की गई बेरोजगारी की मासिक समय भारी उतार-चढ़ाव दर्शाती है.'

उन्होंने कहा, 'हालांकि जुलाई 2017 से जून 2020 के दौरान राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), द्वारा किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति में बेरोजगारी की दर के अनुमान में उतार-चढ़ाव 5.1 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत के बीच रहा है.'

राय ने कहा कि सरकार में खाली पदों की संख्या में काफी कमी आई है ओर यह 80,000 से भी कम है क्योंकि जम्मू और कश्मीर राज्य क्षेत्र में बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान करने और खाली पदों को भरने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए गए हैं.

पढ़ें :- CAPF कर्मियों के लिए अलग सेवा, पेंशन नियमों के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं : सरकार

उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर सरकार ने सूचित किया है कि आर्थिक मानदंड, अर्थव्यवस्था में मंदी का ऐसा कोई संकेत नहीं देते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप नौकरियां गंवानी पड़ी हो.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020 के दौरान राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), मोटर एंड स्पिरिट टैक्स और स्टांप संग्रहण जैसे संकेतकों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 14.50 प्रतिशत, 64.63 प्रतिशत और 104.10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

उन्होंने कहा, 'चालू वर्ष के दौरान राज्य वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण में कुल वृद्धि 25.43 प्रतिशत रही है और उत्पाद शुल्क संग्रहण 770 करोड़ रूपया रहा है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अधिक है.

(पीटीआई-भाषा)

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