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रिश्वतखोरी के आरोपी डीएसपी को दारोगा बनाया, उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को मूल पद पर डिमोट कर दिया है. विद्या किशोर पर रामपुर में सीओ सिटी रहते कई गंभीर आरोप लगे थे. विद्या किशोर के खिलाफ जांच कराई थी, जिसमें उन पर लगे आरोप सही पाए गए थे.

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Published : Nov 2, 2022, 10:27 AM IST

Updated : Nov 2, 2022, 12:37 PM IST

लखनऊ: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को मूल पद पर डिमोट कर दिया है. विद्या किशोर पर रामपुर में सीओ सिटी रहते कई गंभीर आरोप लगे थे. बीते साल सीएम योगी के आदेश पर शासन ने विद्या किशोर के खिलाफ जांच कराई थी, जिसमें उन पर लगे आरोप सही पाए गए थे.

विद्या किशोर शर्मा को 2021 में रामपुर में पदस्थापित किया गया था, जहां उन्हें रिश्वत मामले में प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित कर दिया गया था और मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. जांच में विद्या किशोर शर्मा को दोषी पाया गया था. इसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त एक्शन लेते हुए डिप्टी एसपी को दारोगा बनाने का निर्देश दिया.

यह जानकारी गृह विभाग की ओर से ट्वीट कर दी गई है. रामपुर सदर के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी विद्या किशोर शर्मा को रिश्वत लेने के आरोप में उनके मूल पद पर वापस कर दिया गया है. सीओ विद्या किशोर शर्मा पर रामपुर में पोस्टिंग के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगा था. आरोप सही पाए जाने पर जांच के बाद कार्रवाई की गई है. विद्या किशोर शर्मा को यूपी पुलिस में पदोन्नति मिलने के बाद उन्हें डिप्टी एसपी के पद पर तैनात किया गया था.

ये है मामला: 2021 में रामपुर में तैनाती के दौरान सीओ विद्या किशोर शर्मा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे. एक महिला ने आरोप लगाया था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया. इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. इस मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ विद्या किशोर का एक वीडियो अफसरों के संज्ञान में आया.सीएम के आदेश पर शासन ने इसकी जांच करायी. एएसपी मुरादाबाद की जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इस मामले में सीएम कार्यालय ने ट्वीट कर अवगत कराया था कि संबंधित सीओ को निलंबित कर दिया गया.

इसके बाद आरोपी इंस्पेक्टर रामवीर यादव और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर एफआईआर दर्ज कर ली गई और तत्कालीन सीओ को सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर शासन ने इसकी जांच एएसपी मुरादाबाद से करवाई. जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इसके बाद सीएम योगी ने कड़ा एक्शन लेते हुए डिप्टी एसपी को फिर से दारोगा बनाने का निर्देश दिया.

बीते साल रामपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के दौरान एक महिला ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी. उसका आरोप था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर गंज रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया. इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. इसी मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ सिटी रहे विद्या किशोर का एक वीडियो वायरल हुआ था.


यही नहीं विद्या किशोर शर्मा पर गोकशी करने वालों को छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर पर दबाव डालने का भी आरोप लगा था. जब इंस्पेक्टर ने नहीं छोड़ा तो फोन पर धमकाया था. इस पर इंस्पेक्टर ने आईजी मुरादाबाद के सामने पेश होकर फोन रिकार्डिंग सुनवायी थी, जिसकी जांच आईजी मुरादाबाद ने की थी. उसमें भी यह दोषी पाए गए थे.

यह भी पढ़ें : कुशीनगर के नाबालिग से हैदराबाद में बर्बरता, प्राइवेट पार्ट में रखकर जलाया पटाखा

लखनऊ: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को मूल पद पर डिमोट कर दिया है. विद्या किशोर पर रामपुर में सीओ सिटी रहते कई गंभीर आरोप लगे थे. बीते साल सीएम योगी के आदेश पर शासन ने विद्या किशोर के खिलाफ जांच कराई थी, जिसमें उन पर लगे आरोप सही पाए गए थे.

विद्या किशोर शर्मा को 2021 में रामपुर में पदस्थापित किया गया था, जहां उन्हें रिश्वत मामले में प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित कर दिया गया था और मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. जांच में विद्या किशोर शर्मा को दोषी पाया गया था. इसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त एक्शन लेते हुए डिप्टी एसपी को दारोगा बनाने का निर्देश दिया.

यह जानकारी गृह विभाग की ओर से ट्वीट कर दी गई है. रामपुर सदर के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी विद्या किशोर शर्मा को रिश्वत लेने के आरोप में उनके मूल पद पर वापस कर दिया गया है. सीओ विद्या किशोर शर्मा पर रामपुर में पोस्टिंग के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगा था. आरोप सही पाए जाने पर जांच के बाद कार्रवाई की गई है. विद्या किशोर शर्मा को यूपी पुलिस में पदोन्नति मिलने के बाद उन्हें डिप्टी एसपी के पद पर तैनात किया गया था.

ये है मामला: 2021 में रामपुर में तैनाती के दौरान सीओ विद्या किशोर शर्मा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे. एक महिला ने आरोप लगाया था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया. इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. इस मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ विद्या किशोर का एक वीडियो अफसरों के संज्ञान में आया.सीएम के आदेश पर शासन ने इसकी जांच करायी. एएसपी मुरादाबाद की जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इस मामले में सीएम कार्यालय ने ट्वीट कर अवगत कराया था कि संबंधित सीओ को निलंबित कर दिया गया.

इसके बाद आरोपी इंस्पेक्टर रामवीर यादव और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर एफआईआर दर्ज कर ली गई और तत्कालीन सीओ को सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर शासन ने इसकी जांच एएसपी मुरादाबाद से करवाई. जांच में सीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए. इसके बाद सीएम योगी ने कड़ा एक्शन लेते हुए डिप्टी एसपी को फिर से दारोगा बनाने का निर्देश दिया.

बीते साल रामपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के दौरान एक महिला ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी. उसका आरोप था कि स्वामी विवेकानंद अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर गंज रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया. इसमें पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. इसी मामले में पांच लाख की घूस लेते हुए सीओ सिटी रहे विद्या किशोर का एक वीडियो वायरल हुआ था.


यही नहीं विद्या किशोर शर्मा पर गोकशी करने वालों को छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर पर दबाव डालने का भी आरोप लगा था. जब इंस्पेक्टर ने नहीं छोड़ा तो फोन पर धमकाया था. इस पर इंस्पेक्टर ने आईजी मुरादाबाद के सामने पेश होकर फोन रिकार्डिंग सुनवायी थी, जिसकी जांच आईजी मुरादाबाद ने की थी. उसमें भी यह दोषी पाए गए थे.

यह भी पढ़ें : कुशीनगर के नाबालिग से हैदराबाद में बर्बरता, प्राइवेट पार्ट में रखकर जलाया पटाखा

Last Updated : Nov 2, 2022, 12:37 PM IST
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