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तमिलनाडु : CAA के खिलाफ सीएम स्टालिन ने विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव

तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन (Tamil Nadu CM MK Stalin) ने मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 को निरस्त करने का आग्रह किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

सीएम स्टालिन
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Published : Sep 8, 2021, 5:12 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन (Tamil Nadu CM M.K. Stalin) ने मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 को निरस्त करने का आग्रह किया गया.

स्टालिन ने केंद्र से एकता सुनिश्चित करने और संविधान में कल्पना के अनुसार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों पर विचार नहीं कर रही है. पूर्व विपक्षी अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया.

क्या है नागरिकता संसोधन कानून (CAA)

CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था. इस कानून में पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए छह धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन) के प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. दरअसल, भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए पहले किसी भी व्यक्ति को 11 साल का इंतजार करना पड़ता था. लेकिन इस कानून के तहत इस प्रक्रिया को आसान कर दिया गया, जिसमें यह समयसीमा घटा कर 6 साल कर दी गई.

पढ़ें : अफगानिस्तान के हालात बताते हैं CAA क्यों जरूरी : केंद्रीय मंत्री

भारतीय संसद में पेश हुए इस विधेयक के पक्ष में 125 मत और इसके खिलाफ 105 मत थे. राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी थी. बता दें, मुस्लिम समुदाय द्वारा इस कानून का जमकर विरोध किया गया था. इस विरोध में केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया समेत कई विश्वविद्यालय के छात्र शामिल थे.

चेन्नई : तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन (Tamil Nadu CM M.K. Stalin) ने मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 को निरस्त करने का आग्रह किया गया.

स्टालिन ने केंद्र से एकता सुनिश्चित करने और संविधान में कल्पना के अनुसार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों पर विचार नहीं कर रही है. पूर्व विपक्षी अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया.

क्या है नागरिकता संसोधन कानून (CAA)

CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था. इस कानून में पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए छह धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन) के प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. दरअसल, भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए पहले किसी भी व्यक्ति को 11 साल का इंतजार करना पड़ता था. लेकिन इस कानून के तहत इस प्रक्रिया को आसान कर दिया गया, जिसमें यह समयसीमा घटा कर 6 साल कर दी गई.

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भारतीय संसद में पेश हुए इस विधेयक के पक्ष में 125 मत और इसके खिलाफ 105 मत थे. राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी थी. बता दें, मुस्लिम समुदाय द्वारा इस कानून का जमकर विरोध किया गया था. इस विरोध में केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया समेत कई विश्वविद्यालय के छात्र शामिल थे.

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