नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीति आयोग की मीटिंग का बहिष्कार करेंगे. यह बहिष्कार वह केंद्र सरकार के अध्यादेश के विरोध में करेंगे. इस संबंध ने उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए कहां जाएं. उन्होंने मांग की है कि प्रधानमंत्री गैर बीजेपी सरकारों के काम करने दें.
चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि पीएम सर, कल नीति आयोग की मीटिंग है. नीति आयोग के उद्देश्य है भारतवर्ष का विजन तैयार करने के साथ सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया, तोड़ा या काम नहीं करने दिया जा रहा है. ये न ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और न ही सहकारी संघवाद. पिछले कुछ वर्षों से देशभर में एक संदेश दिया जा रहा है- यदि किसी राज्य में लोगों ने गैर भाजपा पार्टी की सरकार बनाई तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पत्र में उन्होंने आगे लिखा है कि या तो गैर भाजपा सरकार को विधायक खरीदकर गिरा दिया जाता है, या उसे ईडी, सीबीआई का डर दिखाकर विधायक तोड़कर सरकार को गिरा दिया जाता है. इसके अतिरिक्त अगर किसी पार्टी के विधायक न बिके और न टूटे तो अध्यादेश लागू करके या गवर्नर के जरिए उस सरकार को काम नहीं करने दिया जाता. आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती और उन्हें न्याय मिला, लेकिन मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया.
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सीएम केजरीवाल द्वारा पत्र के माध्यम से भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार का कोई अधिकारी काम काम न करे. सरकार उसपर कार्रवाई भी नही कर सकती तो सरकार ऐसे कैसे काम करेगी. लोग पूछ रहे है कि अगर प्रधानंमत्री सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए कहा जाएंगे. जब इस तरह संविधान और जनतंत्र की अवहेलना की जा रही है तो नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता. बता दें कि सीएम केजरीवाल 23 मई से लेकर 25 मई के बीच केंद्र सरकार के दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए ममता बनर्जी शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं.