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टनल से बढ़ेगी चीन की टेंशन, सीएम धामी के 'मास्टर प्लान' पर केंद्र लगाएगा मुहर, सेना को होगा फायदा

धामी सरकार ने केंद्र के सामने एक टनल का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए सीएम धामी ने नितिन गडकरी के साथ ही पीएम मोदी से मुलाकात की. सीएम धामी ने इस प्रस्ताव के बारे में दोनों ही नेताओं को विस्तार से समझाया. उत्तराखंड में इस टनल का निर्माण चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ और चमोली के बीच किया जाएगा. इस टनल के निर्माण के बाद चीन सीमा से जुड़े दो जिलों के बीच की दूरी कम होगी. साथ ही इससे भारतीय सेना को सीमांत तक पहुंचने में भी आसानी होगी.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
टनल से बढ़ेगी चीन की टेंशन
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Published : Aug 2, 2023, 4:33 PM IST

Updated : Aug 2, 2023, 9:53 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): चीन लगातार भारत की सीमाओं पर बसे गांवों को अपना बताता रहा है. कई ऐसी जगहें हैं, जहां चीन ने रेल नेटवर्क सहित सड़क मार्ग का निर्माण शुरू कर दिया है. इसके अलावा इससे जुड़ी ऐसी खबरें समय-समय पर आती रहती हैं. लद्दाख का इलाका हो या फिर उत्तराखंड के जोशीमठ और पिथौरागढ़ इलाके से भी चीन की नापाक हरकतों की खबरें सामने आती रहती हैं. जिसके कारण इन जगहों पर हमेशा ही भारतीय सेना अलर्ट मोड पर रहती है.

सीमावर्ती इलाकों पर केंद्र सरकार का जोर: भारत, चीन से जुड़ी सीमाओं को लेकर न केवल अलर्ट रहता है, बल्कि इनके विकास के लिए भी सरकार लगातार कोशिश कर रही है. जिससे यहां बसे लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. इसके साथ ही केंद्र सरकार सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना चला रही है. उत्तराखंड में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ जैसे इलाके चीन सीमा से सटे हुए हैं. भारत सरकार ने नीति माणा बॉर्डर तक 2 लाइन सड़क का निर्माण लगभग पूरा कर दिया है. इस सड़क निर्माण से हमारी सेना आसानी से सीमा तक पहुंच सकती है.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
केंद्र सरकार सीमावर्ती इलाकों तक फैला रही सड़कों का जाल


पढ़ें- बॉर्डर पर सेना के 'तीसरी आंख' हैं चरवाहे, जानिए कैसे परेशान करते हैं चीनी सैनिक

टनल से टेकल होगा चाइना: इसी कड़ी में अब राज्य सरकार ने भारत सरकार से पिथौरागढ़ से चमोली को जोड़ने के लिए एक टनल के निर्माण का अनुरोध किया है. इस टनल से 404 किलोमीटर का रास्ता ना केवल कम होगा, बल्कि भारतीय सेना को पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके में पहुंचने में लगने वाले 10 से 12 घंटे के समय को कम किया जा सकता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस मामले को लेकर मुलाकात की. अब इस प्रस्ताव को लगभग मंजूरी मिल ही गई है. सीएम धामी ने इस प्लान को पीएम मोदी के साथ भी साझा किये. अगर इन दोनों जिलों की दूरी कम होती है तो ना केवल सामरिक दृष्टि से फायदा होगा बल्कि पर्यटन और स्थानीय लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट योजना

पीएम और गडकरी को दिया प्रस्ताव: मौजूदा समय में ऋषिकेश के रास्ते चमोली और नीती माणा बॉर्डर तक पहुंचा जाता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज से 10 साल पहले यानी साल 2012 के आसपास ये मार्ग भी सिंगल लेन हुआ करता था. कई बार बारिश के वक्त में सेना के वाहन और रसद जैसी सामग्री बमुश्किल पहुंचती थी, लेकिन अब इस मार्ग को ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत इसका चौड़ीकरण किया गया. जिसका फायदा ने केवल सेना को मिल रहा है, बल्कि स्थानीय लोग भी इसका फायदा उठा रहे हैं. इसी तरह अब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के सामने गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं के लिए कुछ प्रस्ताव रखे हैं. राज्य सरकार ने इन प्रस्तावों में इस बात का ध्यान रखा है कि अगर केंद्र इस पर जल्द काम शुरू करता है, तो राज्य की जनता को इसका भरपूर फायदा मिलेगा. साथ ही इससे दोनों मंडलों को फायदा होगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
टनल प्रस्ताव को लेकर पीएम मोदी से मिले सीएम धामी


पढ़ें- क्या है भारत-चीन के बीच LAC विवाद, सीमा विवाद से जुड़े हर सवाल का यहां जानिए जवाब

राज्य सरकार ने केंद्र को दिया मास्टर प्लान: सीएम धामी ने अधिकारियों से चर्चा के बाद ये प्लान केंद्र सरकार को भेजा. जिसको लगभग हरी झंडी मिल गयी है. इस प्रस्ताव में राज्य सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर टनकपुर से पिथौरागढ़ तक दो लेन मार्ग का निर्माण चारधाम परियोजना के अन्तर्गत और तेजी से करवाने की बात कही है. इसके साथ ही पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग को चमोली के लप्थल इलाके से सीधे जोड़ने का प्रस्ताव भी राज्य सरकार ने केंद्र के सामने रखा. ये दोनों ही इलाके भारत चीन सीमा से सटे हैं. मौजूदा समय में इन दोनों इलाकों में आईटीबीपी की पोस्ट है. ये मार्ग सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण है. राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा इस मार्ग को टनल मार्गों के निर्माण से जोड़ना सबसे अधिक फायदेमंद रहेगा. इस सुरंग के बनने से दोनों सीमा पोस्टों की दूरी कम होगी. आज के समय में 404 किमी की दूरी इस टनल के बनने के बाद 40 से 45 किमी रह जाएगी. इस सुरंग के बनने के बाद सेना को एक इलाके से दूसरे इलाके में पहुंचने के लिए केवल दो घंटे का समय लगेगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
सीएम धामी नितिन गडकरी से भी कर चुके हैं मुलाकात.


पढ़ें- भारी बर्फबारी के बीच भारत-चीन सीमा पर कैसे गश्त करते हैं जवान, देखें वीडियो

चमोली ओर पिथौरागढ़ के बीच टनल: इस सुरंग का निर्माण पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग, चमोली के लप्थल के बीच होगा. पहाड़ों को काट कर बनने वाली इस टनल का काम अगर आज शुरू होता है तो लगभग 2 साल में इसका काम पूरा हो जायेगा. सामरिक दृष्टि से जिन जिन चेक पोस्ट को फायदा देने की बात की जा रही है वो चेक पोस्ट पिथौरागढ़ जिले के मिर्थी इलाके में भी मौजूद हैं. यहां फ़िलहाल आईटीबीपी के जवान तैनात हैं. साल 2023 में ही मई महीने में केंद्र के निर्देश पर आईटीबीपी को 8.964 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध करवाई है. पहले यहां की चेक पोस्ट बेहद छोटी थी, लेकिन चीन की हरकतों के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर ITBP को जमीन उपलब्ध कराई गई. पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक के सीमा मार्ग को बीआरओ ने विकसित कर दिया है. पिथौरागढ़-लिपुलेख मार्ग स्थित गुंजी गांव से जौलिंगकांग तक के भाग को भी बीआरओ ने बना लिया है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग, जोशीमठ, लप्थल- बारहहोटी तक 2 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का काम भी लगभग पूरा चुका है. आम जनता हो या सेना, अभी पिथौरागढ़ से चमोली या चमोली से पिथौरागढ़ आने जाने में कई दिन लग जाते हैं.

इस रास्ते में तपोवन, एलान, पीपलकोटी, गोपेश्वर, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, थराली, बैजनाथ, बागेश्वर, बेरीनाग, पाताल भुवनेश्वर होते हुए पिथौरागढ़ पहुंचना पड़ता है. छोटे और बड़े गांवों की बात करें तो 80 से अधिक गांवों को पार करना पड़ता है. सेना की टुकड़ियों को यहां पहुंचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सेना की चेक पोस्ट क्षेत्र में कुर्ती, खिंबलिंग, मील, पांछू छोटी पोस्ट है. सबसे बड़ी पोस्ट चमोली लप्थल और पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग में है.


पढ़ें-उत्तराखंड की शिवांगी राणा साइकिल से चढ़ गईं हिमालय, नीती माणा और पार्वती कुंड दर्रा किया फतह

टनल से पर्यटन को भी होगा फायदा: इस सुरंग के निर्माण से पर्यटन को भी बड़ा फायदा होगा. अभी मौजूदा समय में गढ़वाल और कुमाऊं में आने वाले पर्यटकों को अधिक समय लगता है. लिहाजा, नैनीताल या पिथौरागढ़ घूमने वाले लोगों को अधिक समय लगने के कारण यहां पहुंचना मुश्किल लगता था. इस सुरंग के बनने के बाद बदरीनाथ, केदारनाथ जाने वाले पर्यटक और नैनीताल, मुनस्यारी, पिथौरागढ़, बागेश्वर जाने वाले पर्यटकों के लिए भी नए रास्ते खुल जाएंगे. साथ ही साथ व्यापार की दृष्टि से भी गढ़वाल और कुमाऊं को बड़ा फायदा होगा.
पढ़ें- नीती-माणा दर्रे की सड़कें खोलने पर जुटा BRO, बदरीनाथ हाईवे पर मशीनों से हटाई जा रही बर्फ

चीन की इन हरकतों के बाद एक्शन में सरकार:दरअसल, बीते कुछ सालों से उत्तराखंड के बड़ाहोती इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ देखी गई है. आलम यह है कि इस इलाके में 5 किलोमीटर अंदर तक चीनी सैनिकों ने कथित रूप से घुसपैठ की है. साल 2021 में चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसकर एक पुल को भी नष्ट किया. इतना ही नहीं इस चेक पोस्ट से मात्र 70 किलोमीटर दूर चीन ने अपनी सड़क और आधार मूल सुविधाओं को पहुंचा दिया है. साल 2018 में चीनी सैनिक 3 बार इस इलाके में कथित रूप से अंदर तक घुस आये. जिनको भारतीय सैनिकों ने खदेड़ने का काम किया. पूर्व की घटनाओं के बाद भारतीय सेना भी इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है. भारतीय सेना ने इस इलाके में जगह-जगह अपनी चेक पोस्ट बनाई हैं. बता दें उत्तराखंड से चीन की 345 किलोमीटर की सरहद लगती है. 1962 के युद्ध के बाद तिब्बत और भारतीय लोगों के व्यापारिक संबंध भी पूरी तरह से खत्म हो गए हैं.

देहरादून (उत्तराखंड): चीन लगातार भारत की सीमाओं पर बसे गांवों को अपना बताता रहा है. कई ऐसी जगहें हैं, जहां चीन ने रेल नेटवर्क सहित सड़क मार्ग का निर्माण शुरू कर दिया है. इसके अलावा इससे जुड़ी ऐसी खबरें समय-समय पर आती रहती हैं. लद्दाख का इलाका हो या फिर उत्तराखंड के जोशीमठ और पिथौरागढ़ इलाके से भी चीन की नापाक हरकतों की खबरें सामने आती रहती हैं. जिसके कारण इन जगहों पर हमेशा ही भारतीय सेना अलर्ट मोड पर रहती है.

सीमावर्ती इलाकों पर केंद्र सरकार का जोर: भारत, चीन से जुड़ी सीमाओं को लेकर न केवल अलर्ट रहता है, बल्कि इनके विकास के लिए भी सरकार लगातार कोशिश कर रही है. जिससे यहां बसे लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. इसके साथ ही केंद्र सरकार सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना चला रही है. उत्तराखंड में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ जैसे इलाके चीन सीमा से सटे हुए हैं. भारत सरकार ने नीति माणा बॉर्डर तक 2 लाइन सड़क का निर्माण लगभग पूरा कर दिया है. इस सड़क निर्माण से हमारी सेना आसानी से सीमा तक पहुंच सकती है.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
केंद्र सरकार सीमावर्ती इलाकों तक फैला रही सड़कों का जाल


पढ़ें- बॉर्डर पर सेना के 'तीसरी आंख' हैं चरवाहे, जानिए कैसे परेशान करते हैं चीनी सैनिक

टनल से टेकल होगा चाइना: इसी कड़ी में अब राज्य सरकार ने भारत सरकार से पिथौरागढ़ से चमोली को जोड़ने के लिए एक टनल के निर्माण का अनुरोध किया है. इस टनल से 404 किलोमीटर का रास्ता ना केवल कम होगा, बल्कि भारतीय सेना को पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके में पहुंचने में लगने वाले 10 से 12 घंटे के समय को कम किया जा सकता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस मामले को लेकर मुलाकात की. अब इस प्रस्ताव को लगभग मंजूरी मिल ही गई है. सीएम धामी ने इस प्लान को पीएम मोदी के साथ भी साझा किये. अगर इन दोनों जिलों की दूरी कम होती है तो ना केवल सामरिक दृष्टि से फायदा होगा बल्कि पर्यटन और स्थानीय लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट योजना

पीएम और गडकरी को दिया प्रस्ताव: मौजूदा समय में ऋषिकेश के रास्ते चमोली और नीती माणा बॉर्डर तक पहुंचा जाता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज से 10 साल पहले यानी साल 2012 के आसपास ये मार्ग भी सिंगल लेन हुआ करता था. कई बार बारिश के वक्त में सेना के वाहन और रसद जैसी सामग्री बमुश्किल पहुंचती थी, लेकिन अब इस मार्ग को ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत इसका चौड़ीकरण किया गया. जिसका फायदा ने केवल सेना को मिल रहा है, बल्कि स्थानीय लोग भी इसका फायदा उठा रहे हैं. इसी तरह अब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के सामने गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं के लिए कुछ प्रस्ताव रखे हैं. राज्य सरकार ने इन प्रस्तावों में इस बात का ध्यान रखा है कि अगर केंद्र इस पर जल्द काम शुरू करता है, तो राज्य की जनता को इसका भरपूर फायदा मिलेगा. साथ ही इससे दोनों मंडलों को फायदा होगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
टनल प्रस्ताव को लेकर पीएम मोदी से मिले सीएम धामी


पढ़ें- क्या है भारत-चीन के बीच LAC विवाद, सीमा विवाद से जुड़े हर सवाल का यहां जानिए जवाब

राज्य सरकार ने केंद्र को दिया मास्टर प्लान: सीएम धामी ने अधिकारियों से चर्चा के बाद ये प्लान केंद्र सरकार को भेजा. जिसको लगभग हरी झंडी मिल गयी है. इस प्रस्ताव में राज्य सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर टनकपुर से पिथौरागढ़ तक दो लेन मार्ग का निर्माण चारधाम परियोजना के अन्तर्गत और तेजी से करवाने की बात कही है. इसके साथ ही पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग को चमोली के लप्थल इलाके से सीधे जोड़ने का प्रस्ताव भी राज्य सरकार ने केंद्र के सामने रखा. ये दोनों ही इलाके भारत चीन सीमा से सटे हैं. मौजूदा समय में इन दोनों इलाकों में आईटीबीपी की पोस्ट है. ये मार्ग सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण है. राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा इस मार्ग को टनल मार्गों के निर्माण से जोड़ना सबसे अधिक फायदेमंद रहेगा. इस सुरंग के बनने से दोनों सीमा पोस्टों की दूरी कम होगी. आज के समय में 404 किमी की दूरी इस टनल के बनने के बाद 40 से 45 किमी रह जाएगी. इस सुरंग के बनने के बाद सेना को एक इलाके से दूसरे इलाके में पहुंचने के लिए केवल दो घंटे का समय लगेगा.

Tunnel between Chamoli and Pithoragarh
सीएम धामी नितिन गडकरी से भी कर चुके हैं मुलाकात.


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चमोली ओर पिथौरागढ़ के बीच टनल: इस सुरंग का निर्माण पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग, चमोली के लप्थल के बीच होगा. पहाड़ों को काट कर बनने वाली इस टनल का काम अगर आज शुरू होता है तो लगभग 2 साल में इसका काम पूरा हो जायेगा. सामरिक दृष्टि से जिन जिन चेक पोस्ट को फायदा देने की बात की जा रही है वो चेक पोस्ट पिथौरागढ़ जिले के मिर्थी इलाके में भी मौजूद हैं. यहां फ़िलहाल आईटीबीपी के जवान तैनात हैं. साल 2023 में ही मई महीने में केंद्र के निर्देश पर आईटीबीपी को 8.964 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध करवाई है. पहले यहां की चेक पोस्ट बेहद छोटी थी, लेकिन चीन की हरकतों के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर ITBP को जमीन उपलब्ध कराई गई. पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक के सीमा मार्ग को बीआरओ ने विकसित कर दिया है. पिथौरागढ़-लिपुलेख मार्ग स्थित गुंजी गांव से जौलिंगकांग तक के भाग को भी बीआरओ ने बना लिया है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग, जोशीमठ, लप्थल- बारहहोटी तक 2 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का काम भी लगभग पूरा चुका है. आम जनता हो या सेना, अभी पिथौरागढ़ से चमोली या चमोली से पिथौरागढ़ आने जाने में कई दिन लग जाते हैं.

इस रास्ते में तपोवन, एलान, पीपलकोटी, गोपेश्वर, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, थराली, बैजनाथ, बागेश्वर, बेरीनाग, पाताल भुवनेश्वर होते हुए पिथौरागढ़ पहुंचना पड़ता है. छोटे और बड़े गांवों की बात करें तो 80 से अधिक गांवों को पार करना पड़ता है. सेना की टुकड़ियों को यहां पहुंचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सेना की चेक पोस्ट क्षेत्र में कुर्ती, खिंबलिंग, मील, पांछू छोटी पोस्ट है. सबसे बड़ी पोस्ट चमोली लप्थल और पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग में है.


पढ़ें-उत्तराखंड की शिवांगी राणा साइकिल से चढ़ गईं हिमालय, नीती माणा और पार्वती कुंड दर्रा किया फतह

टनल से पर्यटन को भी होगा फायदा: इस सुरंग के निर्माण से पर्यटन को भी बड़ा फायदा होगा. अभी मौजूदा समय में गढ़वाल और कुमाऊं में आने वाले पर्यटकों को अधिक समय लगता है. लिहाजा, नैनीताल या पिथौरागढ़ घूमने वाले लोगों को अधिक समय लगने के कारण यहां पहुंचना मुश्किल लगता था. इस सुरंग के बनने के बाद बदरीनाथ, केदारनाथ जाने वाले पर्यटक और नैनीताल, मुनस्यारी, पिथौरागढ़, बागेश्वर जाने वाले पर्यटकों के लिए भी नए रास्ते खुल जाएंगे. साथ ही साथ व्यापार की दृष्टि से भी गढ़वाल और कुमाऊं को बड़ा फायदा होगा.
पढ़ें- नीती-माणा दर्रे की सड़कें खोलने पर जुटा BRO, बदरीनाथ हाईवे पर मशीनों से हटाई जा रही बर्फ

चीन की इन हरकतों के बाद एक्शन में सरकार:दरअसल, बीते कुछ सालों से उत्तराखंड के बड़ाहोती इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ देखी गई है. आलम यह है कि इस इलाके में 5 किलोमीटर अंदर तक चीनी सैनिकों ने कथित रूप से घुसपैठ की है. साल 2021 में चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसकर एक पुल को भी नष्ट किया. इतना ही नहीं इस चेक पोस्ट से मात्र 70 किलोमीटर दूर चीन ने अपनी सड़क और आधार मूल सुविधाओं को पहुंचा दिया है. साल 2018 में चीनी सैनिक 3 बार इस इलाके में कथित रूप से अंदर तक घुस आये. जिनको भारतीय सैनिकों ने खदेड़ने का काम किया. पूर्व की घटनाओं के बाद भारतीय सेना भी इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है. भारतीय सेना ने इस इलाके में जगह-जगह अपनी चेक पोस्ट बनाई हैं. बता दें उत्तराखंड से चीन की 345 किलोमीटर की सरहद लगती है. 1962 के युद्ध के बाद तिब्बत और भारतीय लोगों के व्यापारिक संबंध भी पूरी तरह से खत्म हो गए हैं.

Last Updated : Aug 2, 2023, 9:53 PM IST
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