जयपुर : जिस मंत्रिमंडल पुनर्गठन (Cabinet Reorganization in Rajasthan) का पिछले 6 महीने से लगातार इंतजार हो रहा था, आखिर वह गहलोत मंत्रिमंडल का पुनर्गठन आज हो गया. हालांकि, कई विधायक आज हुए मंत्रिमंडल पुनर्गठन से नाराज हैं और इस नाराजगी को खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने भी स्वीकार कर लिया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि जब से लिस्ट आई है उसके बाद कई विधायकों के फोन मेरे पास आ रहे हैं और वह मुझसे मिलना चाहते हैं. गहलोत ने कहा कि हम जानते हैं कि उनकी भावना क्या है, लेकिन जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए हैं उनकी भी भूमिका कम नहीं है. चाहे निर्दलीय हो, चाहे बीएसपी से आए विधायक जिस तरह से 34 दिन साथ रहकर उन्होंने सरकार बनाई, उन्हें हम जिंदगी में नहीं भूल सकते. लेकिन धैर्य रखना पड़ता है और जो धैर्य रखता है उसे कभी न कभी चांस जरूर मिलता है.
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में सब को चांस नहीं मिल सकता है. इस मंत्रिमंडल (Gehlot Cabinet) को लेकर अजय माकन, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भविष्य की चिंता करते हुए एक्सरसाइज की है. चाहे महिलाओं को शामिल करना हो, माइनॉरिटी को भागीदारी देनी हो, एसटी-एससी को भागीदारी देनी हो या किसानों को भागीदारी देनी हो. इन सब बातों को सोचकर विधायकों का मंत्री पद के लिए चुनाव हुआ है. अब हमें इस फैसले का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस पार्टी में यह परंपरा है कि जो आलाकमान फैसला करता है उसका कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता सम्मान करते हैं. इसके साथ ही गहलोत ने बचे हुए विधायकों को आश्वस्त किया कि उन्हें भी कहीं न कहीं एडजस्ट किया जाएगा.
2023 में सरकार रिपीट करनी है तो खुले रखें जनता के लिए दरवाजे...
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए बने मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने जो फैसला किया है, अब हमें उसे स्वीकार करना चाहिए और नए बनने वाले मंत्रियों को सुशासन देने की जिम्मेदारी उठानी होगी. उन्होंने कहा कि जो माहौल अभी बन रहा है, उसे देखकर लगता है कि सरकार दोबारा आ सकती है. प्रदेश में हुए आठ में से छह उपचुनाव कांग्रेस ने जीते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस का माहौल है और अब जो मंत्री बने हैं या जो मंत्री पहले थे, उनकी जिम्मेदारी जनता के प्रति और बढ़ जाती है कि किस प्रकार वह जनता का विश्वास जीतें.
उन्होंने कहा कि जब कोई मंत्री बनता है तो वह पूरे प्रदेश की जनता का मंत्री होता है. उससे मिलने के लिए कोई आता है तो उसका समय फिक्स होना चाहिए कि मंत्री उससे मिलेगा. वहीं ऑफिस में भी जनता को यह उम्मीद होनी चाहिए कि मंत्री उससे मुलाकात करेगा. अगर यह काम करेंगे तो 2023 में सरकार बनाने से कांग्रेस पार्टी को कोई नहीं रोक सकता.