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Central Ordinance: ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलने जाएंगे CM अरविंद केजरीवाल, जानें क्यों

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. केंद्र के अध्यादेश पर विपक्षी दलों को गोलबंद करने की तैयारी शुरू कर दी है. इस कड़ी में उन्होंने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. आगे भी अन्य नेताओं से मुलाकात करने की घोषणा की है.

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Published : May 21, 2023, 4:11 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अधिकारों पर केंद्र के अध्यादेश आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष से समर्थन मांगा है. रविवार को बिहार के CM नीतीश कुमार और डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने केजरीवाल से उनके घर पर मुलाकात की और अध्यादेश के खिलाफ AAP की सरकार का समर्थन किया. इसके बाद CM केजरीवाल ने बताया कि इस मामले पर 23 मई को कोलकाता में ममता बनर्जी, 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में शरद पवार से मिलेंगे.

दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सामने आए CM केजरीवाल ने मीडिया से कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार की तानाशाही समेत कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई. विपक्ष को एकजुट होकर हमें केंद्र की भाजपा सरकार के इस तानाशाही अध्यादेश को संसद में हराना होगा. अगर राज्यसभा में यह बिल हार गया तो वो 2024 का सेमी फाइनल होगा और पूरे देश में संदेश चला जाएगा कि 2024 में भाजपा की सरकार जा रही है.

नीतीश बोले- BJP के खिलाफ देशभर में चले अभियानः वहीं, CM नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली की चुनी हुई सरकार को काम करने से रोकने पर आश्चर्य जताया और पूरे देश में केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही रहा. इसके बावजूद केंद्र सरकार जो करने की कोशिश कर रही है वह विचित्र है. सबको एकजुट होना होगा. हम इनके (केजरीवाल) साथ हैं, ज्यादा से ज्यादा विपक्षी पार्टियों को एक साथ मिलकर अभियान चलाना होगा.

  • परसो 3 बजे मेरी ममता जी(बंगाल की मुख्यमंत्री) के साथ बैठक है। उसके बाद मैं देश में सभी पार्टी अध्यक्ष से मिलने के लिए जाऊंगा। आज मैंने नीतीश जी से भी अनुरोध किया कि वो भी सभी पार्टियों से बात करें। मैं भी हर राज्य में जाकर, राज्यसभा में जब ये बिल आए, तब इसे हराने के लिए मैं सभी… pic.twitter.com/fsVBPbemTz

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) May 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

19 मई की रात केंद्र ने लाया अध्यादेशः दिल्ली सरकार के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार 19 मई की रात अध्यादेश लेकर आई. इसके जरिए अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया. इसका मोटामोटी विश्लेषण यह कहता है कि दिल्ली का बॉस LG ही हैं.

यह भी पढ़ेंः G7 Summit: PM मोदी ने जी7 समिट में पहनी रिसाइकिल मैटेरियल से बनी जैकेट, दुनिया भर में हो रही चर्चा

कें सरकार ने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 नाम दिया है. इसके तहत दिल्ली में सेवारत 'दानिक्स' कैडर के 'ग्रुप-ए' अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए 'राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण' गठित किया जाएगा. दानिक्स यानी दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नागर हवेली सिविल सर्विसेस.

प्राधिकरण को सभी 'ग्रुप ए और दानिक्‍स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति से जुड़े फैसले लेने का हक तो होगा लेकिन आखिरी मुहर LG की होगी. अगर उनका इसका फैसला ठीक नहीं लगा तो वो उसे बदलने के लिए वापस भेज सकते हैं. या किसी तरह का मतभेद होने पर अंतिम फैसला LG का होगा.

11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था फैसलाः सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के पास होता है. दिल्ली में सभी प्रशासनिक मामलों में सुपरविजन का अधिकार LG के पास नहीं हो सकता. चुनी हुई सरकार के हर अधिकार में वह दखल नहीं दे सकते. जमीन, लोक व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सर्विस से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही होंगे.

यह भी पढ़ेंः Quad Leader On China : क्वाड नेताओं ने दक्षिण चीन सागर पर दिखाई एकजुटता, इशारों-इशारों में चीन को दे डाली चेतावनी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अधिकारों पर केंद्र के अध्यादेश आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष से समर्थन मांगा है. रविवार को बिहार के CM नीतीश कुमार और डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने केजरीवाल से उनके घर पर मुलाकात की और अध्यादेश के खिलाफ AAP की सरकार का समर्थन किया. इसके बाद CM केजरीवाल ने बताया कि इस मामले पर 23 मई को कोलकाता में ममता बनर्जी, 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में शरद पवार से मिलेंगे.

दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सामने आए CM केजरीवाल ने मीडिया से कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार की तानाशाही समेत कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई. विपक्ष को एकजुट होकर हमें केंद्र की भाजपा सरकार के इस तानाशाही अध्यादेश को संसद में हराना होगा. अगर राज्यसभा में यह बिल हार गया तो वो 2024 का सेमी फाइनल होगा और पूरे देश में संदेश चला जाएगा कि 2024 में भाजपा की सरकार जा रही है.

नीतीश बोले- BJP के खिलाफ देशभर में चले अभियानः वहीं, CM नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली की चुनी हुई सरकार को काम करने से रोकने पर आश्चर्य जताया और पूरे देश में केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही रहा. इसके बावजूद केंद्र सरकार जो करने की कोशिश कर रही है वह विचित्र है. सबको एकजुट होना होगा. हम इनके (केजरीवाल) साथ हैं, ज्यादा से ज्यादा विपक्षी पार्टियों को एक साथ मिलकर अभियान चलाना होगा.

  • परसो 3 बजे मेरी ममता जी(बंगाल की मुख्यमंत्री) के साथ बैठक है। उसके बाद मैं देश में सभी पार्टी अध्यक्ष से मिलने के लिए जाऊंगा। आज मैंने नीतीश जी से भी अनुरोध किया कि वो भी सभी पार्टियों से बात करें। मैं भी हर राज्य में जाकर, राज्यसभा में जब ये बिल आए, तब इसे हराने के लिए मैं सभी… pic.twitter.com/fsVBPbemTz

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) May 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

19 मई की रात केंद्र ने लाया अध्यादेशः दिल्ली सरकार के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार 19 मई की रात अध्यादेश लेकर आई. इसके जरिए अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया. इसका मोटामोटी विश्लेषण यह कहता है कि दिल्ली का बॉस LG ही हैं.

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कें सरकार ने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 नाम दिया है. इसके तहत दिल्ली में सेवारत 'दानिक्स' कैडर के 'ग्रुप-ए' अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए 'राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण' गठित किया जाएगा. दानिक्स यानी दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नागर हवेली सिविल सर्विसेस.

प्राधिकरण को सभी 'ग्रुप ए और दानिक्‍स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति से जुड़े फैसले लेने का हक तो होगा लेकिन आखिरी मुहर LG की होगी. अगर उनका इसका फैसला ठीक नहीं लगा तो वो उसे बदलने के लिए वापस भेज सकते हैं. या किसी तरह का मतभेद होने पर अंतिम फैसला LG का होगा.

11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था फैसलाः सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के पास होता है. दिल्ली में सभी प्रशासनिक मामलों में सुपरविजन का अधिकार LG के पास नहीं हो सकता. चुनी हुई सरकार के हर अधिकार में वह दखल नहीं दे सकते. जमीन, लोक व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सर्विस से जुड़े सभी फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही होंगे.

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