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लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन पर हुई चर्चा

लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन पर चर्चा (discussion on climate change in lok sabha) हुई.

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Published : Dec 10, 2021, 12:31 PM IST

Updated : Dec 10, 2021, 4:57 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन (discussion on climate change) पर चर्चा हुई.

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने सदन में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा शुरू की. उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि कई देशों ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कानून लाए हैं, पिछली सरकार ने 30 साल तक कुछ नहीं किया. उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी (bhopal gas tragedy) और वारेन एंडरसन का मुद्दा उठाया. बिधूड़ी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने समय के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं पर प्रकाश भी डाला.

रमेश बिधूड़ी (भाजपा) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न योजनाओं और लक्ष्यों के बारे में बताया, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन और 2070 के 'शून्य उत्सर्जन' (zero emission) लक्ष्य शामिल हैं.

सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान कहा कि देश की विकास प्रक्रिया पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. प्रेमचंद्रन ने 2021 ग्लासगो सम्मेलन और इसके तहत स्वीकृत विभिन्न सुझावों को दोहराया.

उन्होंने कहा, मूल सिद्धांत कमजोर पड़ गया है. पिछले 30 वर्षों से समानता का सिद्धांत कमजोर हो गया है और खो गया है. हमें इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करनी होगी. विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर को बदला जा रहा है. 'प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं' की अवधारणा को सामने लाया गया है. उन्होंने कहा, इक्विटी किसी भी समझौते की कुंजी होनी चाहिए. अतीत का उत्सर्जन (Emission of the past affects the future) भविष्य को प्रभावित करता है.

प्रेमचंद्रन ने विकासशील देशों में पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने और देश की कोयला नीति की समीक्षा के लिए ऐतिहासिक प्रदूषकों से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं सहित कुछ सुझाव दिए.

जगदंबिका पाल का बयान

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में तमिलनाडु और केरल में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ का उदाहरण दिया. पाल ने ग्लासगो सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा रखे गए 5 बिंदुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने वायु प्रदूषण (delhi air pollution) की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, क्या सुप्रीम कोर्ट को हर रोज दिल्ली सरकार की खिंचाई करने की ज़रूरत है? सभी राज्यों को पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में 2030 के जिन लक्ष्यों की घोषणा की है उनके क्रियान्वयन में सात लाख करोड़ रुपये का खर्च होगा। सरकार को बताना चाहिए कि यह पैसा कहां से आएगा?उन्होंने कहा कि अगर सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर सोच-समझकर औेर योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएगी तो उसका सभी लोग समर्थन करेंगे.

चर्चा के दौरान सांसद बेनी बेहानन ने कहा, जलवायु परिवर्तन भविष्य का मुद्दा नहीं है, लेकिन जलवायु पहले ही बदल चुकी है और बदल रही है. उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में चक्रवातों की बढ़ती आवृत्ति के चलते आने वाले वर्षों में पश्चिम में भारी बारिश होने के आसार है. इस तरह के चरम जलवायु परिवर्तन राज्य और राष्ट्र को तबाह कर सकते हैं. केंद्र और राज्य दोनों में सरकार का रवैया पूरी तरह से नकारात्मक है और वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के जीवन को खतरे में डाल रहा है.

शिवसेना के राजेंद्र गावित ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर सरकार को कारगर कदम उठाने चाहिए.

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने राजस्थान को प्रभावित किया है. पिछले कुछ वर्षों में मौसम का मिजाज कैसे बदल गया है, जिससे किसानों और वन्यजीवों पर असर पड़ा है. उन्होंने प्रदूषण के लिए उद्योगों को जिम्मेदार ठहराया.

पढ़ें :- chabahar port operations : हमें अफगान सरकार के साथ समझौते की जरुरत नहीं- एस जयशंकर

सांसद अगाथा संगमा ने मेघालय में जैव विविधता का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इसे संरक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर में हमारी पर्यावरण राजधानी अद्वितीय है. अगाथा संगमा ने ताड़ के तेल मिशन (palm oil mission) का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक आपदा होगी. कृपया इस मिशन पर पुनर्विचार करें.

संसद में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलते हुए अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने कहा है कि हम कृषि प्रधान देश में रहते हैं, इसलिए यहां पर्यावरण का काफी प्रभाव पड़ता है. साथ ही उन्होंने का आज लोग पर्यावरण को लेकर पंजाब के किसानों पर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाते हैं, जबकि किसानों ने देश को अन्न संपन्न बनाने का काम किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों पर पराली जलाने का आरोप लगाकर उनको बदनाम करने के बजाए उनकी समस्या का समाधान करें.

निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने मुंबई में मीठी नदी के प्रदूषण की रोकथाम के नाम पर बृहन्मुंबई नगर निगम में भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप लगाया. उन्होंने शहर में वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट की ओर भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने सुझाव दिया कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के स्थान पर विद्युत चालित वाहनों, सौर ऊर्जा और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को उन पर सब्सिडी देनी चाहिए.

हरसिमरत कौर का बयान

कांग्रेस के के. सुरेश ने कहा कि विकसित देशों की वजह से भारत जैसे विकासशील देशों को नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने मांग की कि नदियों के पास दलदली जंगल बढ़ाये जाने चाहिए और उनका संरक्षण किया जाना चाहिए.

चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के भर्तृहरि महताब ने कहा कि 10 साल पुरानी गाड़ियों को हटाने से जुड़े राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चुनौती देना चाहिए या फिर कोई नया कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि 10 साल पुरानी गाड़ी जो कम चली हो, वो प्रदूषण फैलाए. इसलिए ऐसे आदेशों पर फिर से विचार करने की जरूरत है. ओडिश के कटक से लोकसभा सदस्य महताब ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या 2030 तक जलवायु परिवर्तन से जुड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 1000 अरब डॉलर की जरूरत होगी ?

नई दिल्ली : लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन (discussion on climate change) पर चर्चा हुई.

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने सदन में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा शुरू की. उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि कई देशों ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कानून लाए हैं, पिछली सरकार ने 30 साल तक कुछ नहीं किया. उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी (bhopal gas tragedy) और वारेन एंडरसन का मुद्दा उठाया. बिधूड़ी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने समय के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं पर प्रकाश भी डाला.

रमेश बिधूड़ी (भाजपा) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न योजनाओं और लक्ष्यों के बारे में बताया, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन और 2070 के 'शून्य उत्सर्जन' (zero emission) लक्ष्य शामिल हैं.

सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान कहा कि देश की विकास प्रक्रिया पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. प्रेमचंद्रन ने 2021 ग्लासगो सम्मेलन और इसके तहत स्वीकृत विभिन्न सुझावों को दोहराया.

उन्होंने कहा, मूल सिद्धांत कमजोर पड़ गया है. पिछले 30 वर्षों से समानता का सिद्धांत कमजोर हो गया है और खो गया है. हमें इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करनी होगी. विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर को बदला जा रहा है. 'प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं' की अवधारणा को सामने लाया गया है. उन्होंने कहा, इक्विटी किसी भी समझौते की कुंजी होनी चाहिए. अतीत का उत्सर्जन (Emission of the past affects the future) भविष्य को प्रभावित करता है.

प्रेमचंद्रन ने विकासशील देशों में पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने और देश की कोयला नीति की समीक्षा के लिए ऐतिहासिक प्रदूषकों से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं सहित कुछ सुझाव दिए.

जगदंबिका पाल का बयान

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में तमिलनाडु और केरल में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ का उदाहरण दिया. पाल ने ग्लासगो सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा रखे गए 5 बिंदुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने वायु प्रदूषण (delhi air pollution) की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, क्या सुप्रीम कोर्ट को हर रोज दिल्ली सरकार की खिंचाई करने की ज़रूरत है? सभी राज्यों को पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में 2030 के जिन लक्ष्यों की घोषणा की है उनके क्रियान्वयन में सात लाख करोड़ रुपये का खर्च होगा। सरकार को बताना चाहिए कि यह पैसा कहां से आएगा?उन्होंने कहा कि अगर सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर सोच-समझकर औेर योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएगी तो उसका सभी लोग समर्थन करेंगे.

चर्चा के दौरान सांसद बेनी बेहानन ने कहा, जलवायु परिवर्तन भविष्य का मुद्दा नहीं है, लेकिन जलवायु पहले ही बदल चुकी है और बदल रही है. उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में चक्रवातों की बढ़ती आवृत्ति के चलते आने वाले वर्षों में पश्चिम में भारी बारिश होने के आसार है. इस तरह के चरम जलवायु परिवर्तन राज्य और राष्ट्र को तबाह कर सकते हैं. केंद्र और राज्य दोनों में सरकार का रवैया पूरी तरह से नकारात्मक है और वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के जीवन को खतरे में डाल रहा है.

शिवसेना के राजेंद्र गावित ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर सरकार को कारगर कदम उठाने चाहिए.

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने राजस्थान को प्रभावित किया है. पिछले कुछ वर्षों में मौसम का मिजाज कैसे बदल गया है, जिससे किसानों और वन्यजीवों पर असर पड़ा है. उन्होंने प्रदूषण के लिए उद्योगों को जिम्मेदार ठहराया.

पढ़ें :- chabahar port operations : हमें अफगान सरकार के साथ समझौते की जरुरत नहीं- एस जयशंकर

सांसद अगाथा संगमा ने मेघालय में जैव विविधता का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इसे संरक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर में हमारी पर्यावरण राजधानी अद्वितीय है. अगाथा संगमा ने ताड़ के तेल मिशन (palm oil mission) का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक आपदा होगी. कृपया इस मिशन पर पुनर्विचार करें.

संसद में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलते हुए अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने कहा है कि हम कृषि प्रधान देश में रहते हैं, इसलिए यहां पर्यावरण का काफी प्रभाव पड़ता है. साथ ही उन्होंने का आज लोग पर्यावरण को लेकर पंजाब के किसानों पर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाते हैं, जबकि किसानों ने देश को अन्न संपन्न बनाने का काम किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों पर पराली जलाने का आरोप लगाकर उनको बदनाम करने के बजाए उनकी समस्या का समाधान करें.

निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने मुंबई में मीठी नदी के प्रदूषण की रोकथाम के नाम पर बृहन्मुंबई नगर निगम में भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप लगाया. उन्होंने शहर में वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट की ओर भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने सुझाव दिया कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के स्थान पर विद्युत चालित वाहनों, सौर ऊर्जा और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को उन पर सब्सिडी देनी चाहिए.

हरसिमरत कौर का बयान

कांग्रेस के के. सुरेश ने कहा कि विकसित देशों की वजह से भारत जैसे विकासशील देशों को नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने मांग की कि नदियों के पास दलदली जंगल बढ़ाये जाने चाहिए और उनका संरक्षण किया जाना चाहिए.

चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के भर्तृहरि महताब ने कहा कि 10 साल पुरानी गाड़ियों को हटाने से जुड़े राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चुनौती देना चाहिए या फिर कोई नया कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि 10 साल पुरानी गाड़ी जो कम चली हो, वो प्रदूषण फैलाए. इसलिए ऐसे आदेशों पर फिर से विचार करने की जरूरत है. ओडिश के कटक से लोकसभा सदस्य महताब ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या 2030 तक जलवायु परिवर्तन से जुड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 1000 अरब डॉलर की जरूरत होगी ?

Last Updated : Dec 10, 2021, 4:57 PM IST
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