नई दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण (Chief Justice N. V. Raman) ने बुधवार को कहा कि भारतीय लॉ फर्मों (Law Firm) को गरीबों के कल्याणार्थ मुकदमे लेकर वंचित तबके की मदद करनी चाहिए. साथ ही इस धारणा को बदलना चाहिए कि वे सिर्फ अमीरों के लिए काम करती हैं. पुराने दिनों को याद करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि कानून की डिग्री लेना बेहद आसान होता था, लेकिन उसकी मदद से जीविका चलाना बेहद चुनौती भरा था.
हालात अब भी उससे बहुत अलग नहीं हैं, क्योंकि वकीलों के लिए अवसर की असमानता अभी भी है. ये बातें न्यायमूर्ति रमण ने सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स के वकील ललित भसीन की कॉफी टेबल बुक के विमोचन के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं.
पुस्तक में एसआईएलएफ के 100 से ज्यादा सदस्य लॉ फर्मों के 3000 से ज्यादा वकीलों के कामकाज के क्षेत्र, बिजनेस सेक्टर, मुव्वकिलों और गतिविधियों की सूचना है. न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि भारतीय लॉ फर्मों को आम लोगों तक अपनी पहुंच पर फिर से विचार करने की जरुरत है. मौजूदा धारणा यह है कि लॉ फर्म सिर्फ अमीरों के लिए हैं. आम लोगों के बीच यह गलतफहमी है, इतना ही नहीं वकालत करने वाले वकीलों में भी यह गलतफहमी है कि लॉ फर्मों की गतिविधियों का समाज पर कोई असर नहीं होता है.
पढ़ें:सुप्रीम कोर्ट ने बेदखल लोगों के पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा
उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस गलतफहमी को दूर करने की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लॉ फर्म सामाजिक मुद्दों को उठा रहे हैं और जरुरतमंदों को न्याय दिलाने में मदद कर रहे हैं. मैं आप सभी से ज्यादा से ज्यादा संख्या में वंचितों के कल्याण के मुकदमे लेने और जो हम तक नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें मदद का हाथ बढ़ाने का अनुरोध करता हूं. जहां तक बात संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने की है, हम सभी को अपनी-अपनी भूमिका निभानी चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने भारतीय लॉ फर्मों की प्रशंसा भी की और कहा कि वे विश्व स्तरीय लॉ फर्मों की तरह ही हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में मदद कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)