चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि अगर लोगों को सुरक्षा कारणों से सिनेमा हॉल में पानी की बोतलें ले जाने से प्रतिबंधित किया जाता है तो सिनेमा हॉल को वाटर कूलर के माध्यम से मुफ्त पीने योग्य और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए.
साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि किसी कारण से किसी विशेष दिन पानी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, तो सिनेमा हॉल के मालिकों द्वारा सिनेमाघरों के लिए मुफ्त शुद्ध और पीने योग्य पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने की आवश्यकता है.
जी देवराजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने कहा, 'एक सिनेमा हॉल अगर सुरक्षा कारणों से सिनेमा हॉल के अंदर पीने के पानी को ले जाने पर रोक लगाने का प्रयास करता है, उसे सिनेमा हॉल के अंदर वाटर कूलर के माध्यम से मुफ्त पीने योग्य और शुद्ध पेयजल प्रदान करना चाहिए. पीने के पानी की उपलब्धता सिनेमा हॉल के अंदर पानी के निषेध को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. निर्धारित मानकों के साथ शुद्ध पेयजल प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.'
कोर्ट ने आगे कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हॉल में सिनेमा देखने वालों को हर समय पीने के पानी की सुविधाएं प्रदान की जाए. कोर्ट ने हालांकि स्वीकार किया कि सिनेमा हॉल के अंदर पानी की बोतलों को अनुमति देने के लिए वैध सुरक्षा जोखिम हैं.
कोर्ट ने नोट किया कि बोलत में 'अवांछनीय तत्व' में अल्कोहल या एसिड मिला हुआ पानी भी हो सकता है. यह भी राय थी कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें सिनेमाघरों में 'बोतल बम उपकरण' फट गए हैं. अदालत ने निर्देश दिया कि हालांकि, अगर बाहर से पानी वर्जित है, तो सिनेमा हॉल के अंदर मुफ्त और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
कोर्ट ने आगे कहा, 'उचित वाटर प्यूरिफायर को वाटर कूलर के साथ स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि सिनेमा जाने वालों के लिए उपलब्ध पानी अशुद्धियों से मुक्त हो. पर्याप्त मात्रा में डिस्पोजेबल ग्लास वाटर कूलर के पास उपलब्ध रखने की आवश्यकता है. यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फिल्म शुरू होने से पहले और इंटरवल सहित फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान वाटर कूलर के माध्यम से पानी की आपूर्ति वास्तव में उपलब्ध हो.'
कोर्ट ने कहा कि वाटर प्यूरिफायर को पूरी तरह कार्यात्मक और नियमित रूप से समय-समय पर साफ करते रहना होगा. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो सिनेमा हॉल के मालिक सिनेमा देखने वालों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे.
संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया गया कि तमिलनाडु में मूवी थिएटरों में पीने के पानी की सुविधा, शौचालय आदि का उचित रखरखाव किया जा रहा है.
अदालत ने कहा,'विभाग के अधिकारी तमिलनाडु राज्य के सभी सिनेमाघरों में समय-समय पर और औचक निरीक्षण करने के लिए बाध्य हैं.'
वर्तमान मामले में 2016 में एक जी देवराजन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. इसने एस2 सिनेमाघरों में एक फूड स्टॉल पर पानी और जूस के लिए बाहरी बाजार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक कीमत वसूलने पर आपत्ति जताई थी.
पढ़ें - पटाखे बनाने में अब भी इस्तेमाल किए जा रहे प्रतिबंधित रसायन : SC
कोर्ट को अवगत कराया गया कि 2017 से पहले दोहरे एमआरपी निर्धारण की अनुमति थी. हालांकि, जनवरी 2018 में लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (संशोधन) नियम, 2017 के लागू होने के बाद दोहरी कीमतों पर ऐसी किसी भी बिक्री की अनुमति नहीं है.
हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस शिकायत पर संज्ञान लिया कि उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और सिनेमाघरों में पानी की सुविधा न होने जैसे मुद्दे भी उठाए गए. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सिनेमा देखने वालों को पानी की बोतलें और अन्य पैक किए गए भोजन को अत्यधिक कीमतों पर खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है.
इस तर्क को संबोधित करते हुए कि संदर्भ में घटना 2016 की है, कोर्ट ने कहा कि पीने के पानी की बोतलों, स्नैक्स आदि की अधिक कीमत पर खरीद के लिए यदि कोई अवैधता हो तो उसको केवल देरी के आधार पर माफ नहीं किया जा सकता.