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सरकारी बंगले में राम विलास पासवान की लगाई मूर्ति, अब क्या करेंगे रेल मंत्री ?

बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान ने LJP के संस्‍थापक राम विलास के नाम से आवंटित रहे दिल्‍ली स्थित सरकारी बंगले को छोड़ने के पहले उसमें पिता की प्रतिमा लगा दी है. ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि अगर चिराग पासवान बंगला खाली नहीं करते हैं तो रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव, जिनके नाम से यह आवंटित हो चुका है, वो अब कहां जाएंगे? पढ़ें पूरी खबर...

सरकारी बंगले
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Published : Sep 6, 2021, 9:44 PM IST

नई दिल्ली/पटना : क्या चिराग पासवान (Chirag Paswan) 12 जनपथ पर स्थित सरकारी बंगले को खाली नहीं करना चाहते हैं? क्या इस बंगले पर कब्जे की तैयारी कर रहे हैं? यह सवाल अब इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि चिराग पासवान ने बंगले के कैम्पस में अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की मूर्ति स्थापित कर दी है, जबकि उन्हें बंगला खाली करने के लिए पहले ही दो बार नोटिस मिल चुका है.

दरअसल, इस बंगले में राम विलास पासवान करीब 30 साल तक रहे. पिछले साल आठ अक्टूबर को उनका निधन हो गया था. शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय ने चिराग को नोटिस भेजा था कि इस बंगले को खाली कर दें.

सूत्रों के अनुसार, चिराग ने कहा था कि अपने पिता की पहली पुण्यतिथि तक वह इस बंगले में रहना चाहते हैं. लेकिन उनकी इस मांग को नहीं माना गया और यह बंगला केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित कर दिया गया.

पढ़ें : चिराग पासवान से 'छिनेगा' सरकारी बंगला, मिल चुका है दो बार नोटिस !

जमुई सांसद चिराग पासवान अपने मां और परिवार के अन्य सदस्य के साथ इस बंगले में रहते हैं. बंगला जल्द से जल्द खाली करने के लिए उन्हें दो बार नोटिस भी मिल गई है, लेकिन चिराग ने अब अपने पिता की मूर्ति स्थापित कर दी है. सूत्रों के अनुसार, चिराग इस बंगले को रामविलास पासवान मेमोरियल के तौर पर घोषित करने की मांग कर सकते हैं. जो मौजूदा हालात हैं उससे यही लग रहा है कि वह इस बंगले को खाली करने के मूड में नहीं है.

बता दें कि हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पांच सांसद बागी हो गए, जिसमें चिराग के चाचा पशुपति पारस भी शामिल हैं. सांसदों ने पारस को संसदीय दल का नेता एवं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग की जगह बना दिया. पारस केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं.

दूसरी तरफ, चिराग ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी, जिसमें कहा जाता है कि 95 फीसदी कार्यकर्ता शामिल हुए थे. चिराग का दावा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं. अब पार्टी दो खेमों बंट चुकी है. दोनों खेमे खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला अभी चुनाव आयोग में है. पार्टी से लेकर अब बंगले तक की लड़ाई चिराग लड़ रहे हैं.

नई दिल्ली/पटना : क्या चिराग पासवान (Chirag Paswan) 12 जनपथ पर स्थित सरकारी बंगले को खाली नहीं करना चाहते हैं? क्या इस बंगले पर कब्जे की तैयारी कर रहे हैं? यह सवाल अब इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि चिराग पासवान ने बंगले के कैम्पस में अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की मूर्ति स्थापित कर दी है, जबकि उन्हें बंगला खाली करने के लिए पहले ही दो बार नोटिस मिल चुका है.

दरअसल, इस बंगले में राम विलास पासवान करीब 30 साल तक रहे. पिछले साल आठ अक्टूबर को उनका निधन हो गया था. शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय ने चिराग को नोटिस भेजा था कि इस बंगले को खाली कर दें.

सूत्रों के अनुसार, चिराग ने कहा था कि अपने पिता की पहली पुण्यतिथि तक वह इस बंगले में रहना चाहते हैं. लेकिन उनकी इस मांग को नहीं माना गया और यह बंगला केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित कर दिया गया.

पढ़ें : चिराग पासवान से 'छिनेगा' सरकारी बंगला, मिल चुका है दो बार नोटिस !

जमुई सांसद चिराग पासवान अपने मां और परिवार के अन्य सदस्य के साथ इस बंगले में रहते हैं. बंगला जल्द से जल्द खाली करने के लिए उन्हें दो बार नोटिस भी मिल गई है, लेकिन चिराग ने अब अपने पिता की मूर्ति स्थापित कर दी है. सूत्रों के अनुसार, चिराग इस बंगले को रामविलास पासवान मेमोरियल के तौर पर घोषित करने की मांग कर सकते हैं. जो मौजूदा हालात हैं उससे यही लग रहा है कि वह इस बंगले को खाली करने के मूड में नहीं है.

बता दें कि हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पांच सांसद बागी हो गए, जिसमें चिराग के चाचा पशुपति पारस भी शामिल हैं. सांसदों ने पारस को संसदीय दल का नेता एवं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग की जगह बना दिया. पारस केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं.

दूसरी तरफ, चिराग ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी, जिसमें कहा जाता है कि 95 फीसदी कार्यकर्ता शामिल हुए थे. चिराग का दावा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं. अब पार्टी दो खेमों बंट चुकी है. दोनों खेमे खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला अभी चुनाव आयोग में है. पार्टी से लेकर अब बंगले तक की लड़ाई चिराग लड़ रहे हैं.

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