नई दिल्ली: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 21 सदस्यीय एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर हैं. छह वर्षों में यह उनकी पहली यात्रा है और यह ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया भू-राजनीतिक अनिश्चितता का सामना कर रही है. शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच आमने-सामने की बैठक होगी.
बता दें कि दोनों देशों के बीच व्यापार से लेकर मानवाधिकारों और महामारी जैसे मुद्दों पर तनाव बढ़ने के बाद जमीन तैयार करने के लिए महीनों की उच्च-स्तरीय बैठकों के बाद यह शिखर सम्मेलन हो रहा है. इस संबंध ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि अमेरिका और चीन दोनों देशों के बीच गहरे वैचारिक मतभेदों के बाद भी अपने सहयोग के साथ प्रतिस्पर्धा की स्थिति को संघर्षपूर्ण स्थिति में बदलने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उनके बीच यह अहसास है कि शायद जी2 (दो का समूह) दृष्टिकोण कुछ व्यवहार्य संतुलन बनाने में सक्षम होगा. हालांकि जब तक बुनियादी मतभेदों और प्रतिस्पर्धी भू-राजनीतिक हितों को वास्तव में संबोधित नहीं किया जाता है, तब तक इसके उसी स्थिति में खिसकने का खतरा हमेशा बना रहता है. दो का समूह (जी-2 या जी2) चीन और अमेरिका के बीच एक प्रस्तावित अनौपचारिक विशेष संबंध था.
दुनिया के दो सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली देशों के रूप में अमेरिकी राजनीतिक हलकों में जी-2 संबंध बनाने के सुझाव आए हैं जहां संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन वैश्विक समस्याओं का समाधान मिलकर निकालेंगे. 21 सदस्यीय एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले, शी अमेरिकी समयानुसार बुधवार सुबह सैन फ्रांसिस्को के पास बाइडेन से मिलने वाले हैं.
सैन फ्रांसिस्को रवाना होने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका लक्ष्य केवल द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना है. उन्होंने कहा कि हम चीन से अलग होने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वह रिश्ते को बेहतरी के लिए बदलना है. शिखर सम्मेलन दोनों देशों के लिए तनाव को कम करने का एक अवसर है, जिसे वैश्विक समुदाय में कई लोग खतरनाक प्रतिद्वंद्विता के रूप में देखते हैं. व्हाइट हाउस के अनुसार, शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संभावित संघर्ष को रोकने के लिए संचार बढ़ाना है.