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तालिबान के साथ वार्ता के बाद चीन ने कहा- 'काबुल स्वाभाविक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच' - Chinese foreign ministry spokesperson Wang Wenbin

चीन और तालिबान के बीच काबुल में पहली वार्ता हुई है. इसके बाद मीडिया को संबोधित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए काबुल स्वाभाविक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच और माध्यम है. इस पर पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट..

वांग वेनबिन
वांग वेनबिन
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Published : Aug 25, 2021, 9:14 PM IST

बीजिंग : चीन ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बीजिंग ने उसके साथ पहला कूटनीतिक संपर्क स्थापित किया है और दोनों पक्षों के बीच अब 'निर्बाध एवं प्रभावी संवाद' है.

अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए तय की गई समयसीमा से दो हफ्ते पहले तालिबान ने 15 अगस्त को देश पर कब्जा जमा लिया था.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया से कहा कि चीन और अफगान तालिबान के बीच निर्बाध और प्रभावी संवाद है. उनसे तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के उप प्रमुख अब्दुल सलाम हनाफी और अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू के बीच काबुल में हुई बातचीत के बारे में पूछा गया था.

वांग ने बातचीत के बारे में विवरण दिए बिना कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए काबुल स्वाभाविक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच और माध्यम है.

उन्होंने कहा कि चीन अफगान लोगों के अपने भविष्य और भाग्य को लेकर किए गए स्वतंत्र फैसले का सम्मान करता है, अफगान नेतृत्व और अफगान स्वामित्व वाले सिद्धांतों के क्रियान्वयन का समर्थन करता है तथा अफगानिस्तान के साथ मित्रता एवं सहयोग के अच्छे पड़ोसी के रिश्तों को विकसित करने तथा देश में शांति व पुनर्निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

यह भी पढ़ें- तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने संबंधी कदम सार्थक साबित नहीं होगा: चीन

तालिबान के 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लेने के बाद भारत, अमेरिका और अन्य देशों ने अपने राजनयिक मिशन बंद कर दिए थे जबकि पाकिस्तान और रूस के साथ चीन ने काबुल में अपना दूतावास खुला रखा है.

काबुल पर तालिबान के कब्जे ने दुनिया को चौंका दिया था. इस दौरान चीन शांत बना रहा और उसने काबुल में एक समावेशी सरकार का आह्वान किया.

बीजिंग : चीन ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बीजिंग ने उसके साथ पहला कूटनीतिक संपर्क स्थापित किया है और दोनों पक्षों के बीच अब 'निर्बाध एवं प्रभावी संवाद' है.

अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए तय की गई समयसीमा से दो हफ्ते पहले तालिबान ने 15 अगस्त को देश पर कब्जा जमा लिया था.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया से कहा कि चीन और अफगान तालिबान के बीच निर्बाध और प्रभावी संवाद है. उनसे तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के उप प्रमुख अब्दुल सलाम हनाफी और अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू के बीच काबुल में हुई बातचीत के बारे में पूछा गया था.

वांग ने बातचीत के बारे में विवरण दिए बिना कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए काबुल स्वाभाविक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच और माध्यम है.

उन्होंने कहा कि चीन अफगान लोगों के अपने भविष्य और भाग्य को लेकर किए गए स्वतंत्र फैसले का सम्मान करता है, अफगान नेतृत्व और अफगान स्वामित्व वाले सिद्धांतों के क्रियान्वयन का समर्थन करता है तथा अफगानिस्तान के साथ मित्रता एवं सहयोग के अच्छे पड़ोसी के रिश्तों को विकसित करने तथा देश में शांति व पुनर्निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

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तालिबान के 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लेने के बाद भारत, अमेरिका और अन्य देशों ने अपने राजनयिक मिशन बंद कर दिए थे जबकि पाकिस्तान और रूस के साथ चीन ने काबुल में अपना दूतावास खुला रखा है.

काबुल पर तालिबान के कब्जे ने दुनिया को चौंका दिया था. इस दौरान चीन शांत बना रहा और उसने काबुल में एक समावेशी सरकार का आह्वान किया.

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