नई दिल्ली : चीन द्वारा हुआरौ जिले (Huairou District) में एक सुविधा में एक हाइपरसोनिक वाइंड टनल (hypersonic wind tunnel) स्थापित करने की मीडिया रिपोर्टों के बीच अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defence) की एक प्रमुख रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन एक हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (hypersonic glide vehicle) DF-ZF को DF-17 मिसाइलों के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है.
यूएस DoD की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारी निवेश किया है और एक हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन, DF-ZF का परीक्षण कर रहा है, जिसे DOD और अन्य पर्यवेक्षकों के अनुसार, DF-17 मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली (medium-range missile system) के साथ जोड़ा जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक DF-17/DF-ZF का लक्ष्य बैलिस्टिक मिसाइल (ballistic missile) सुरक्षा से बचना है और यह पहला मध्यवर्ती-श्रेणी का हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन हो सकता है.
DF-17 (Dong Feng-17) एक मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जिसकी गति मैक 5-10 (ध्वनि की गति से 5-10 गुना या 1.72-3.43 किमी प्रति सेकंड) से होती है.
यह 2019 में पीआरसी की 70वीं वर्षगांठ परेड (PRC's 70th anniversary parade) में पहली बार प्रदर्शित किया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में एक अमेरिकी सैन्य कमांडर (US military commander ) ने सुझाव दिया था कि DF-41 परमाणु हाइपरसोनिक ग्लाइड (nuclear hypersonic glide) भी ले जा सकता है.
चीन हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों के विकास और परीक्षण पर एक बड़ी रकम खर्च करता है, क्योंकि वह इसे बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों, इंटेलिजेंस-सर्विलांस-रिकोनिसेंस (Intelligence Surveillance Reconnaissance) सिस्टम और अमेरिका जैसे अपने प्रतिद्वंद्वियों की सटीक स्ट्राइक ( strike capabilities) क्षमताओं का मुकाबला करने के लिए प्लेटफॉर्म देता है. यह न केवल गति, बल्कि सटीकता, एक्यूरेसी और गतिशीलता वाले हथियारों को अवरोधन, पता लगाने और ट्रैक करने में बहुत मुश्किल बनाती है.
बीजिंग जिन अन्य अत्याधुनिक तकनीकों का अनुसरण कर रहा है, उनमें निर्देशित ऊर्जा हथियार (directed energy weapons), विद्युत चुम्बकीय रेल-बंदूकें (electromagnetic rail-guns) और अंतरिक्ष-आधारित सैन्य क्षमताएं (space-based military capabilities) शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन का दावा है कि हुआरौ में हाइपरसोनिक विंड टनल, जिसे JF-22 विंड टनल कहा जाता है. इस टनल में 30 मैक पर ध्वनि की गति से 30 गुना उड़ानों का अनुकरण करने की क्षमता है.
इस तरह की टनल हाइपरसौनिक हथियारों (hypersonic weapons) को विकसित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों को 'स्पेस फ्लाइट व्हीकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Space Flight Vehicle Research Institute) में विकसित किया जा रहा है, जो चाइना एयरोस्पेस साइंस इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (China Aerospace Science Industry Corporation) द्वारा संचालित होता है.
अमेरिका, रूस और भारत
हालांकि, अमेरिका को सक्रिय रूप से हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन विकसित करने के लिए जाना जाता है. वहीं रूस ने घोषणा की थी कि उसने 2019 में अपना पहला ऐसा हथियार विकसित किया है.
2021-22 के लिए यूएस डीओडी ने हाइपरसोनिक-संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधि के लिए 3.8 बिलियन डॉलर की एक बड़ी मांग की है. इससे पहले 2020-21 में 3.2 बिलियन डॉलर खर्च किए गए थे. इस तरह की वृद्धि इन हथियारों के विकास में अमेरिका की गहरी रुचि को दर्शाता है.
अमेरिका में ऐसे प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से यूएस नेवी के कन्वेंशनल प्रॉम्प्ट स्ट्राइक प्रोग्राम (US Navy's Conventional Prompt Strike program ) द्वारा विकसित किए जा रहे हैं, जबकि थल सेना और वायु सेना भी इस पर काम कर रहे हैं.
इसे एक 'ऐतिहासिक घटना' बताते हुए रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु (Russian defence minister Sergei Shoigu) ने 27 दिसंबर 2019 को घोषणा की, कि 'अवांगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों की पहली रेजिमेंट को सुबह 10 बजे मास्को में तैनात किया गया.
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उल्लेखनीय है कि हाइपरसोनिक तकनीक में भारत बहुत पीछे नहीं है. 19 दिसंबर, 2020 को हैदराबाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh ) द्वारा एक उन्नत हाइपरसोनिक विंड टनल (HWT) परीक्षण सुविधा का उद्घाटन किया गया था. सुविधा मैक संख्या 5 से 12 का अनुकरण करेगी.
एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक यह एक स्वदेशी विकास है और भारतीय उद्योगों के साथ सहक्रियात्मक साझेदारी (synergistic partnership with Indian industries) का परिणाम है. सुविधा में व्यापक स्पेक्ट्रम (wide spectrum) पर हाइपरसोनिक प्रवाह का अनुकरण करने की क्षमता है और यह अत्यधिक जटिल भविष्यवादी एयरोस्पेस (futuristic aerospace ) और रक्षा प्रणालियों (defence systems) की प्राप्ति में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा.