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MP : 7 हजार मदरसों का पंजीयन, 22 सौ को मान्यता, बाकियों को कहां से हो रही फंडिंग, बाल आयोग ने मदरसा बोर्ड से मांगी जानकारी

यह सामने आया है कि प्रदेश में 7 हजार मदरसे चल रहे हैं जो मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड भी हैं. खास बात यह है कि इनमें से महज 2000 ही मान्यता प्राप्त हैं. यानि कि पांच हजार केवल कागजों तक सीमित हैं. संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने जांच के बाद ऐसे अवैध रूप से चल रहे मदरसों को बंद किया जा सकता है.

Investigation Madrassas Of Mp
मंत्री उषा ठाकुर बोलीं बंद होंगे अवैध रुप से संचालित मदरसे
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Published : Aug 1, 2022, 11:00 PM IST

भोपाल। प्रदेश में अधिकांश मदरसे कागज पर चल रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब बाल आयोग ने मदरसा बोर्ड से इसकी जानकारी मांगी, हालांकि अभी पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह सामने आया है कि प्रदेश में 7 हजार मदरसे चल रहे हैं जो मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड भी हैं. खास बात यह है कि इनमें से महज 2000 ही मान्यता प्राप्त हैं. यानि कि पांच हजार केवल कागजों तक सीमित हैं. यहां न तो बच्चे हैं और न ही उनके लिए इंतजाम. इसे लेकर बाल आयोग ने मदरसा बोर्ड से इसकी जानकारी मांगते हुए पूछा है कि इन मदरसों को फंडिंग कहां से हो रही है.

बाल आयोग ने बताई मदरसों की जांच की जरूरत
कई मदरसे रजिस्टर्ड लेकिन कोई छात्र ही नहीं: मध्यप्रदेश में मदरसा बोर्ड दीनी और दुनियावी तालीम देने वाले मदरसों का रजिस्ट्रेशन होता है. यह प्रक्रिया ऑनलाइन है. प्रदेश में कोरोनाकाल के बाद से संचालित मदरसों की संख्या में कमी आ गई है. कई मदरसों का पंजीयन तो है लेकिन कोरोनाकाल के दौरान से इनका संचालन बंद हो गया. आगे संचालन की मान्यता देने के लिए इन मदरसों के आवेदन मदरसा बोर्ड तक नहीं पहुंचे जिससे इनका रजिस्ट्रेशन निरस्त हो गया, लेकिन इनका नाम अब भी संचालित मदरसों की सूची में बना हुआ है.
बाल आयोग ने बताई मदरसों की जांच की जरूरत

बंद हो सकता है ऐसे मदरसों का संचालन: दीनी तालीम के नाम पर मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कागजों पर चल रहे मदरसे अब बंद होंगे. दरअसल, सिर्फ अनुदान हड़पने के लिए संचालित होने वाले ऐसे तमाम मदरसों की जानकारी राज्य के धर्मस्व विभाग तक पहुंची है. लिहाजा विभाग ने ऐसे तमाम मदरसों की जांच के बाद उन्हें बंद करने का निर्णय किया है. धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग मंत्री उषा ठाकुर ने यह बात कही.

एमपी में 7 हजार मदरसे सिर्फ 2 हजार ही रजिस्टर्ड: मध्य प्रदेश में 7000 से अधिक मदरसे चल रहे हैं. जिनमें से मात्र 2200 को ही मान्यता प्राप्त है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बाकी मदरसे कैसे संचालित हो रहे हैं. मदरसा बोर्ड तीन साल के लिए रजिस्ट्रेशन करता है. बिना मान्यता के मदरसों का संचालन वैध नहीं है. स्कूल शिक्षा विभाग भी जांच के बाद इनको सत्यापित करता है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में ये मदरसे संचालित हो रहे हैं.

बाल आयोग की पड़ताल में सामने आई सच्चाई: बाल आयोग ने शहर के कुछ मदरसों की पड़ताल की जिसमें ऐसे कई मदरसों की हकीकत सामने आई. राजधानी भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में करीब पांच फीट की गली में एक मदरसा संचालित हो रहा था. मौके पर एक कमरे पर केवल बोर्ड ही लगा मिला. यहां न तो बच्चे थे और न ही पढ़ाई कराए जाने जैसी कोई स्थिति. ऐसी स्थिति आयोग की जांच में कई जगह सामने आई. जिसके बाद मध्य प्रदेश बाल आयोग मदरसा बोर्ड को पत्र लिखकर मदरसों के संचालन की जानकारी मांगी है. आयोग के सदस्य बृजेश चौहान के मुताबिक प्रदेश में अवैध रूप से कई ऐसे मदरसे संचालित किए जाने हैं. आयोग को अब मदरसा बोर्ड की रिपोर्ट का इंतजार है.

प्रदेश में सिर्फ 2200 मदरसों को प्राप्त है मान्यता: वर्तमान में प्रदेश मे 7000 से अधिक मदरसा रजिस्टर्ड हैं.
- इनमें से 1198 को अनुदान दिया जा रहा है. पहले अनुदान प्राप्त मदरसों में 1578 मदरसे शामिल थे.
- 1578 मदरसों को अनुदान दिए जाने वाली सूची भी 4 साल बाद फरवरी 2022 में अपडेट की गई है.
- प्रदेश में 2200 मदरसों को ही मान्यता प्राप्त है.

ऐसे होता है मदरसों का रजिस्ट्रेशन: मदरसा बोर्ड के सचिव सैय्यद हुसैन रिजवी के मुताबिक नियमों के तहत मदरसों का रजिस्ट्रेशन फर्म एवं सोसायटी में रजिस्टर्ड संस्था के नाम पर होता है. इसके बाद संचालक मान्यता के लिए आवेदन करते हैं. जिसका जिला शिक्षा कार्यालय से सत्यापन होता है. लेकिन कोरोना काल के बाद से यहां हुए मदरसों के रजिस्ट्रेशन के संचालन के मान्यता लेने की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी. प्रदेश में मान्यता प्राप्त मदरसों को ही संचालन की अनुमति है। जिला शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के बाद ये अनुमति इन्हें दी जाती है. वर्तमान में अधिकांश मदरसे रजिस्ट्रर्ड तो हैं लेकिन इन्होंने संचालन की मान्यता नहीं ली है.

मदरसों को मिलता है अनुदान : प्राप्त जानकारी के अनुसार मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति के आधार पर अनुदान का प्रावधान है, जिसमें एक शिक्षक वाले मदरसे को 72000 रुपये जबकि 2 शिक्षकों में अनुदान 144000 रुपये है. वहीं जिन मदरसों में 3 शिक्षक द्वारा दीनी तालीम देना बताया जाता है उनमें सालाना अनुदान की दर 216000 रुपये के करीब है. केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत अनुदान का यह प्रावधान किया है इसके अलावा राज्य सरकार से छात्रवृत्ति पाठ्य पुस्तकों का वितरण एवं अन्य शासकीय स्कूलों को मिलने वाली सुविधाएं मदरसों को प्रदान की जाती है.

सरकारी योजनाओं का लाभ भी : इसके अलावा अन्य सामान्य स्कूलों की तरह ही कंप्यूटर शिक्षा व्यवसायिक शिक्षा योजना तथा मदरसा मौलवी एवं शिक्षकों को प्रशिक्षण समेत मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ दिया जाता है. इसके अलावा छात्रों को पिछड़ा वर्ग के तहत छात्रवृत्ति का भी प्रावधान है वही खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों के लिए भी शासन से समय-समय पर मदरसों को राशि स्वीकृत की जाती है लेकिन यह राशि भी कागजों पर चलने वाले अधिकांश मदरसों के घपले घोटालों की भेंट चढ़ जाती है.

भोपाल। प्रदेश में अधिकांश मदरसे कागज पर चल रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब बाल आयोग ने मदरसा बोर्ड से इसकी जानकारी मांगी, हालांकि अभी पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह सामने आया है कि प्रदेश में 7 हजार मदरसे चल रहे हैं जो मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड भी हैं. खास बात यह है कि इनमें से महज 2000 ही मान्यता प्राप्त हैं. यानि कि पांच हजार केवल कागजों तक सीमित हैं. यहां न तो बच्चे हैं और न ही उनके लिए इंतजाम. इसे लेकर बाल आयोग ने मदरसा बोर्ड से इसकी जानकारी मांगते हुए पूछा है कि इन मदरसों को फंडिंग कहां से हो रही है.

बाल आयोग ने बताई मदरसों की जांच की जरूरत
कई मदरसे रजिस्टर्ड लेकिन कोई छात्र ही नहीं: मध्यप्रदेश में मदरसा बोर्ड दीनी और दुनियावी तालीम देने वाले मदरसों का रजिस्ट्रेशन होता है. यह प्रक्रिया ऑनलाइन है. प्रदेश में कोरोनाकाल के बाद से संचालित मदरसों की संख्या में कमी आ गई है. कई मदरसों का पंजीयन तो है लेकिन कोरोनाकाल के दौरान से इनका संचालन बंद हो गया. आगे संचालन की मान्यता देने के लिए इन मदरसों के आवेदन मदरसा बोर्ड तक नहीं पहुंचे जिससे इनका रजिस्ट्रेशन निरस्त हो गया, लेकिन इनका नाम अब भी संचालित मदरसों की सूची में बना हुआ है.
बाल आयोग ने बताई मदरसों की जांच की जरूरत

बंद हो सकता है ऐसे मदरसों का संचालन: दीनी तालीम के नाम पर मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कागजों पर चल रहे मदरसे अब बंद होंगे. दरअसल, सिर्फ अनुदान हड़पने के लिए संचालित होने वाले ऐसे तमाम मदरसों की जानकारी राज्य के धर्मस्व विभाग तक पहुंची है. लिहाजा विभाग ने ऐसे तमाम मदरसों की जांच के बाद उन्हें बंद करने का निर्णय किया है. धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग मंत्री उषा ठाकुर ने यह बात कही.

एमपी में 7 हजार मदरसे सिर्फ 2 हजार ही रजिस्टर्ड: मध्य प्रदेश में 7000 से अधिक मदरसे चल रहे हैं. जिनमें से मात्र 2200 को ही मान्यता प्राप्त है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बाकी मदरसे कैसे संचालित हो रहे हैं. मदरसा बोर्ड तीन साल के लिए रजिस्ट्रेशन करता है. बिना मान्यता के मदरसों का संचालन वैध नहीं है. स्कूल शिक्षा विभाग भी जांच के बाद इनको सत्यापित करता है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में ये मदरसे संचालित हो रहे हैं.

बाल आयोग की पड़ताल में सामने आई सच्चाई: बाल आयोग ने शहर के कुछ मदरसों की पड़ताल की जिसमें ऐसे कई मदरसों की हकीकत सामने आई. राजधानी भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में करीब पांच फीट की गली में एक मदरसा संचालित हो रहा था. मौके पर एक कमरे पर केवल बोर्ड ही लगा मिला. यहां न तो बच्चे थे और न ही पढ़ाई कराए जाने जैसी कोई स्थिति. ऐसी स्थिति आयोग की जांच में कई जगह सामने आई. जिसके बाद मध्य प्रदेश बाल आयोग मदरसा बोर्ड को पत्र लिखकर मदरसों के संचालन की जानकारी मांगी है. आयोग के सदस्य बृजेश चौहान के मुताबिक प्रदेश में अवैध रूप से कई ऐसे मदरसे संचालित किए जाने हैं. आयोग को अब मदरसा बोर्ड की रिपोर्ट का इंतजार है.

प्रदेश में सिर्फ 2200 मदरसों को प्राप्त है मान्यता: वर्तमान में प्रदेश मे 7000 से अधिक मदरसा रजिस्टर्ड हैं.
- इनमें से 1198 को अनुदान दिया जा रहा है. पहले अनुदान प्राप्त मदरसों में 1578 मदरसे शामिल थे.
- 1578 मदरसों को अनुदान दिए जाने वाली सूची भी 4 साल बाद फरवरी 2022 में अपडेट की गई है.
- प्रदेश में 2200 मदरसों को ही मान्यता प्राप्त है.

ऐसे होता है मदरसों का रजिस्ट्रेशन: मदरसा बोर्ड के सचिव सैय्यद हुसैन रिजवी के मुताबिक नियमों के तहत मदरसों का रजिस्ट्रेशन फर्म एवं सोसायटी में रजिस्टर्ड संस्था के नाम पर होता है. इसके बाद संचालक मान्यता के लिए आवेदन करते हैं. जिसका जिला शिक्षा कार्यालय से सत्यापन होता है. लेकिन कोरोना काल के बाद से यहां हुए मदरसों के रजिस्ट्रेशन के संचालन के मान्यता लेने की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी. प्रदेश में मान्यता प्राप्त मदरसों को ही संचालन की अनुमति है। जिला शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के बाद ये अनुमति इन्हें दी जाती है. वर्तमान में अधिकांश मदरसे रजिस्ट्रर्ड तो हैं लेकिन इन्होंने संचालन की मान्यता नहीं ली है.

मदरसों को मिलता है अनुदान : प्राप्त जानकारी के अनुसार मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति के आधार पर अनुदान का प्रावधान है, जिसमें एक शिक्षक वाले मदरसे को 72000 रुपये जबकि 2 शिक्षकों में अनुदान 144000 रुपये है. वहीं जिन मदरसों में 3 शिक्षक द्वारा दीनी तालीम देना बताया जाता है उनमें सालाना अनुदान की दर 216000 रुपये के करीब है. केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत अनुदान का यह प्रावधान किया है इसके अलावा राज्य सरकार से छात्रवृत्ति पाठ्य पुस्तकों का वितरण एवं अन्य शासकीय स्कूलों को मिलने वाली सुविधाएं मदरसों को प्रदान की जाती है.

सरकारी योजनाओं का लाभ भी : इसके अलावा अन्य सामान्य स्कूलों की तरह ही कंप्यूटर शिक्षा व्यवसायिक शिक्षा योजना तथा मदरसा मौलवी एवं शिक्षकों को प्रशिक्षण समेत मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ दिया जाता है. इसके अलावा छात्रों को पिछड़ा वर्ग के तहत छात्रवृत्ति का भी प्रावधान है वही खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों के लिए भी शासन से समय-समय पर मदरसों को राशि स्वीकृत की जाती है लेकिन यह राशि भी कागजों पर चलने वाले अधिकांश मदरसों के घपले घोटालों की भेंट चढ़ जाती है.

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