ETV Bharat / bharat

भारत में पिछले साल बाल विवाह के मामले 50% बढ़े : एनसीआरबी डेटा

author img

By

Published : Sep 18, 2021, 6:24 PM IST

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में बाल विवाह के मामलों में न सिर्फ बढ़ोतरी हुई है, बल्कि ऐसे मामलों के सामने आने की दर भी बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कुल 785 मामले दर्ज किए गए. कर्नाटक में सबसे अधिक 184 मामले दर्ज किए गए.

भारत में बाल विवाह
भारत में बाल विवाह

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में बाल विवाह के मामलों में उसके पिछले साल की तुलना में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आशय सिर्फ यह नहीं कि ऐसे मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है, बल्कि यह भी है कि ऐसे मामलों के सामने आने की दर बढ़ी है.

एनसीआरबी के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कुल 785 मामले दर्ज किए गए. कर्नाटक में सबसे अधिक 184 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद असम में 138, पश्चिम बंगाल में 98, तमिलनाडु में 77 और तेलंगाना में 62 मामले दर्ज किए गए.

इस अधिनियम के तहत 2019 में 523 मामले जबकि 2018 में 501 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 2017 में 395, 2016 में 326 और 2015 में 293 मामले दर्ज किए गए थे.

भारतीय कानून के मुताबिक, 18 वर्ष से कम उम्र की युवती या 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुष की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बाल विवाह के मामलों में क्रमिक वृद्धि से जरूरी नहीं कि ऐसे मामलों में उछाल आया है, लेकिन यह भी हो सकता है कि ऐसे मामलों की खबरें अब कहीं ज्यादा सामने आ रही हैं.

मानव तस्करी रोकने के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन 'संजोग' के संस्थापक सदस्य रूप सेन ने कहा कि यह आंकड़े बढ़ने के कई कारक हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, यह ज्यादा मामलों और बढ़ी हुई रिपोर्टिंग दोनों का मिश्रण है. किशोर लड़कियों के प्यार में पड़ने और भाग जाने और शादी करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो बाल विवाह की संख्या में वृद्धि में भी योगदान देती है.

सेन ने कहा, जमीनी स्तर के कई संगठनों का कहना है कि बाल विवाह और उनकी वजह से होने वाले विवाह में अंतर किया जाना जरूरी है. दोनों बिलकुल अलग घटनाएं हैं. लड़का या लड़की के भाग जाने के कई मामलों में पॉक्सो लगा दिया जाता है.

कलकत्ता हाई कोर्ट के अधिवक्ता कौशिक गुप्ता कहते हैं कि सरकारी विभाग, जिलाधिकारियों, स्थानीय पंचायत पहले की अपेक्षा ज्यादा जागरूक हो गए हैं, जिससे इस तरह के मामले ज्यादा सामने आए हैं.

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: लॉकडाउन में बाल विवाह में आई तेजी, टॉप फाइव राज्यों में है शामिल

उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि बाल विवाह में क्रमिक वृद्धि हुई है, मुझे लगता है कि रिपोर्टिंग में क्रमिक रूप से बढ़ोतरी हुई है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी विभाग, जिलाधिकारी, स्थानीय पंचायत जागरूक हो गए हैं, इसलिए ऐसे मामले दर्ज होने में वृद्धि हुई है. वे भी मामलों को रोककर अपनी दक्षता दिखाना चाहते हैं और दिन के अंत में यह कहना चाहते हैं कि इतने बाल विवाह को रोका गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में बाल विवाह के मामलों में उसके पिछले साल की तुलना में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आशय सिर्फ यह नहीं कि ऐसे मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है, बल्कि यह भी है कि ऐसे मामलों के सामने आने की दर बढ़ी है.

एनसीआरबी के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कुल 785 मामले दर्ज किए गए. कर्नाटक में सबसे अधिक 184 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद असम में 138, पश्चिम बंगाल में 98, तमिलनाडु में 77 और तेलंगाना में 62 मामले दर्ज किए गए.

इस अधिनियम के तहत 2019 में 523 मामले जबकि 2018 में 501 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 2017 में 395, 2016 में 326 और 2015 में 293 मामले दर्ज किए गए थे.

भारतीय कानून के मुताबिक, 18 वर्ष से कम उम्र की युवती या 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुष की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बाल विवाह के मामलों में क्रमिक वृद्धि से जरूरी नहीं कि ऐसे मामलों में उछाल आया है, लेकिन यह भी हो सकता है कि ऐसे मामलों की खबरें अब कहीं ज्यादा सामने आ रही हैं.

मानव तस्करी रोकने के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन 'संजोग' के संस्थापक सदस्य रूप सेन ने कहा कि यह आंकड़े बढ़ने के कई कारक हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, यह ज्यादा मामलों और बढ़ी हुई रिपोर्टिंग दोनों का मिश्रण है. किशोर लड़कियों के प्यार में पड़ने और भाग जाने और शादी करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो बाल विवाह की संख्या में वृद्धि में भी योगदान देती है.

सेन ने कहा, जमीनी स्तर के कई संगठनों का कहना है कि बाल विवाह और उनकी वजह से होने वाले विवाह में अंतर किया जाना जरूरी है. दोनों बिलकुल अलग घटनाएं हैं. लड़का या लड़की के भाग जाने के कई मामलों में पॉक्सो लगा दिया जाता है.

कलकत्ता हाई कोर्ट के अधिवक्ता कौशिक गुप्ता कहते हैं कि सरकारी विभाग, जिलाधिकारियों, स्थानीय पंचायत पहले की अपेक्षा ज्यादा जागरूक हो गए हैं, जिससे इस तरह के मामले ज्यादा सामने आए हैं.

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: लॉकडाउन में बाल विवाह में आई तेजी, टॉप फाइव राज्यों में है शामिल

उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि बाल विवाह में क्रमिक वृद्धि हुई है, मुझे लगता है कि रिपोर्टिंग में क्रमिक रूप से बढ़ोतरी हुई है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी विभाग, जिलाधिकारी, स्थानीय पंचायत जागरूक हो गए हैं, इसलिए ऐसे मामले दर्ज होने में वृद्धि हुई है. वे भी मामलों को रोककर अपनी दक्षता दिखाना चाहते हैं और दिन के अंत में यह कहना चाहते हैं कि इतने बाल विवाह को रोका गया है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.