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देश में बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन', इसे सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता: SC

देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया (Child adoption process in India) संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि यह काफी कठिन है, इसे सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है.

sc on Child adoption process in India
देश में बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया
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Published : Aug 5, 2022, 10:07 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 10:25 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन' है और प्रक्रियाओं को 'सुव्यवस्थित' करने की तत्काल आवश्यकता है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कदम उठाए जाने के अनुरोध संबंधी एक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. पीठ ने कहा, 'हमारे जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने का कारण यह है कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) की वार्षिक क्षमता 2,000 दत्तक ग्रहण करने की है जो अब बढ़कर 4,000 हो गई है. इस देश में तीन करोड़ बच्चे अनाथ हैं. प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है.'

अदालत ने नटराज को जनहित याचिकाकर्ता 'द टेंपल ऑफ हीलिंग' के सुझावों पर विचार करने और प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा. एएसजी ने कहा कि उन्हें गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विश्वसनीयता के बारे में पता नहीं है और याचिका की एक प्रति उन्हें नहीं दी गई है. पीठ ने एनजीओ की ओर से पेश पीयूष सक्सेना को याचिका की एक प्रति नटराज को देने के लिए कहा, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सकें. न्यायालय ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध कर दिया.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन' है और प्रक्रियाओं को 'सुव्यवस्थित' करने की तत्काल आवश्यकता है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कदम उठाए जाने के अनुरोध संबंधी एक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. पीठ ने कहा, 'हमारे जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने का कारण यह है कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) की वार्षिक क्षमता 2,000 दत्तक ग्रहण करने की है जो अब बढ़कर 4,000 हो गई है. इस देश में तीन करोड़ बच्चे अनाथ हैं. प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है.'

अदालत ने नटराज को जनहित याचिकाकर्ता 'द टेंपल ऑफ हीलिंग' के सुझावों पर विचार करने और प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा. एएसजी ने कहा कि उन्हें गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विश्वसनीयता के बारे में पता नहीं है और याचिका की एक प्रति उन्हें नहीं दी गई है. पीठ ने एनजीओ की ओर से पेश पीयूष सक्सेना को याचिका की एक प्रति नटराज को देने के लिए कहा, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सकें. न्यायालय ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध कर दिया.

पढ़ें- राजनीति का अपराधीकरण: पार्टी प्रमुखों के खिलाफ अवमानना की याचिका खारिज

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 5, 2022, 10:25 PM IST
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