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Durg Rawalmal massacre : दुर्ग में माता पिता के हत्यारे बेटे को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

दुर्ग जिले के बहुचर्चित रावलमल हत्याकांड के 5 साल बाद दुर्ग सत्र न्यायालय ने सोमवार को अपना अहम फैसला सुनाया. हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त और मृतकों के इकलौते बेटे संदीप जैन को विशेष न्यायधीश ने फांसी की सजा सुनाई. 1 जनवरी 2018 को संदीप ने अपने माता पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी. संदीप अपने माता पिता का इकलौता वारिस था और समय से पहले ही वो करोड़ों रुपयों की पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था. Rawalmal murder case

chhattisgarh Rawalmal murder case
दुर्ग रावलमल हत्याकांड में बेटे को फांसी
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Published : Jan 24, 2023, 10:15 AM IST

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के न्यायालय इतिहास में 20 साल बाद किसी अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई गई है. साल 2018 के दुर्ग के बहुचर्चित डबल मर्डर के मामले में दुर्ग कोर्ट ने 5 साल बाद फैसला सुनाते हुए आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई. विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने संदीप को मां और पिता की हत्या के दोनों मामलों में अलग अलग फांसी की सजा सुनाई है. मामले में कोर्ट ने दो सहअभियुक्तों भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर को भी 5 साल की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों से संदीप ने पिस्तौल खरीदी थी.

फांसी की सजा सुनने के बाद संदीप बेहोश होकर गिर पड़ा था. लेकिन इसके बाद उसे होश में लाकर जेल भेजा गया. विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने फैसला सुनाने से पहले साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की चार पंक्तियां भी सुनाई. जिसमें इस बात का उल्लेख था कि अज्ञानता के कारण जो काम किया गया हो. उससे किसी अपनों का जीवन समाप्त होता है. तो उसके लिए विरलतम से विरल की क्या सजा होनी चाहिए.

ऐसे बालक के लिए मृत्यु की सजा ही उपयुक्त है: दुर्ग न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक सुरेंद्र प्रसाद शर्मा ने इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट के 2012 के जजमेंट का हवाला देते हुये कहा कि "कोई बालक जो अपने माता-पिता के संरक्षण में हो. उसके द्वारा यदि उनकी हत्या की जाती है. इस तरह के बालक के लिए मृत्यु की सजा ही उपयुक्त है."

यह भी पढ़ें: Durg crime news: दुर्ग में गांजा तस्करी , जीआरपी के दो जवान सहित तीन आरोपी गिरफ्तार, पुष्पा स्टाइल में खपाते थे गांजा !

पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था आरोपी: संदीप जैन अपने माता-पिता का इकलौता वारिस था और समय से पहले ही वो करोड़ों रुपयों की पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था. इसलिए उसने सुनियोजित तरीके से अपनी मां सुरीजी देवी और पिता रावलमल जैन की हत्या कर दी थी. इसके लिए संदीप जैन ने पिस्तौल भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर से 1.35 लाख में खरीदी थी. 2 गोली उसने अपने पिता और 3 गोली अपनी मां पर फायर की थी.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के न्यायालय इतिहास में 20 साल बाद किसी अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई गई है. साल 2018 के दुर्ग के बहुचर्चित डबल मर्डर के मामले में दुर्ग कोर्ट ने 5 साल बाद फैसला सुनाते हुए आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई. विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने संदीप को मां और पिता की हत्या के दोनों मामलों में अलग अलग फांसी की सजा सुनाई है. मामले में कोर्ट ने दो सहअभियुक्तों भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर को भी 5 साल की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों से संदीप ने पिस्तौल खरीदी थी.

फांसी की सजा सुनने के बाद संदीप बेहोश होकर गिर पड़ा था. लेकिन इसके बाद उसे होश में लाकर जेल भेजा गया. विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने फैसला सुनाने से पहले साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की चार पंक्तियां भी सुनाई. जिसमें इस बात का उल्लेख था कि अज्ञानता के कारण जो काम किया गया हो. उससे किसी अपनों का जीवन समाप्त होता है. तो उसके लिए विरलतम से विरल की क्या सजा होनी चाहिए.

ऐसे बालक के लिए मृत्यु की सजा ही उपयुक्त है: दुर्ग न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक सुरेंद्र प्रसाद शर्मा ने इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट के 2012 के जजमेंट का हवाला देते हुये कहा कि "कोई बालक जो अपने माता-पिता के संरक्षण में हो. उसके द्वारा यदि उनकी हत्या की जाती है. इस तरह के बालक के लिए मृत्यु की सजा ही उपयुक्त है."

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पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था आरोपी: संदीप जैन अपने माता-पिता का इकलौता वारिस था और समय से पहले ही वो करोड़ों रुपयों की पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था. इसलिए उसने सुनियोजित तरीके से अपनी मां सुरीजी देवी और पिता रावलमल जैन की हत्या कर दी थी. इसके लिए संदीप जैन ने पिस्तौल भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर से 1.35 लाख में खरीदी थी. 2 गोली उसने अपने पिता और 3 गोली अपनी मां पर फायर की थी.

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