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छत्तीसगढ़ में नोटबंदी की तरह अचानक नहीं होगी शराब बंदी : आबकारी मंत्री कवासी लखमा

आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Excise Minister Kawasi Lakhma) ने कोरोना के लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) को घेरा है. उन्होंने कहा है कि रातों-रात कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा.

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Published : Oct 21, 2021, 8:58 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शराब पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. जबकि विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था. अब आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने नया तर्क दिया है. उन्होंने गुरुवार को कहा, यहां नोटबंदी की तरह अचानक शराबबंदी नहीं होगी, इसलिए देर हो रही है.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी का मामला आम आदमी से जुड़ा है. यह किसानों से जुड़ा मुद्दा है. आदिवासियों से जुड़ा मामला है. नरेंद्र मोदी ने रात में नोटबंदी की थी. लोगों को लाइन में खड़ा किया, तो कितने लोगों की मौत हो गए. लॉकडाउन (Lockdown) में कितने लोग मरे. ऐसा नहीं कि रात को ही हमलोग बंद कर दें. उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए ये बयान मंत्री से मिलिए कार्यक्रम के तहत कांग्रेस प्रदेश कार्यालय (Congress State Office) राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत में दिया है. इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों और आम जनों से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनीं. समाधान के लिए संबंधितों को निर्देश भी दिया.

नोटबंदी की तरह अचानक नहीं होगी शराब बंदी

गुजरात-बिहार में शराबबंदी

मंत्री लखमा ने कहा कि रायपुर में दारू बंद हुआ था, तो 4-5 लोग मर गए. बिलासपुर में भी 4-5 लोग मर गए. गुजरात में दारू बंद है. बिहार में दारू बंद है. 3 लाख लोग अंदर हैं. ये गरीब लोग हैं. इसको अभी हमलोग देख रहे हैं. इसमें राजनीति से उठकर चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, सबसे हम लोग राय ले रहे हैं. शराबबंदी इस साल नहीं होगी, तो अगले साल होगी. लेकिन जल्दीबाजी हम लोग नहीं करेंगे. इस मामले को गंभीरता से हमारे मुख्यमंत्री जी देख रहे हैं.

कर्जमाफी और शराबबंदी दोनों अलग-अलग मुद्दे : लखमा

कार्यक्रम में पत्रकारों ने मंत्री से सवाल पूछा कि भाजपा का आरोप है कि कर्जमाफी, समर्थन मूल्य (Support Price) देने सहित अन्य बातों के लिए सरकार ने कमेटी गठित (committee constituted) नहीं की. न ही विपक्ष के विधायकों (Opposition Legislators) के नाम मांगे, लेकिन शराबबंदी के लिए कमेटी गठित कर विधायकों के नाम मांगे जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस सरकार प्रदेश में शराबबंदी करना नहीं चाहती है. इसके जवाब में मंत्री लखमा ने कहा कि क्या कर्जमाफी के लिए हमको भाजपा के विधायकों से पूछना था?

यह सरकार ने तत्काल निर्णय लिया है. क्योंकि कर्जमाफी और शराबबंदी दोनों अलग-अलग विषय है. शराबबंदी आम आदमी, किसानों और आदिवासियों से जुड़ा मामला है. इसलिए इसमें सब की राय जरूरी है. यही कारण है कि एक कमेटी गठित कर सत्तापक्ष, विपक्ष के विधायक, बुद्धिजीवी सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार सभी वर्गों से राय ली जा रही है. इसके नफा-नुकसान का आकलन किया जा रहा है और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.

पढ़ेंः योगी के मंत्री बोले- 95% लोगों को पेट्रोल की जरूरत नहीं, कहां है महंगाई?

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शराब पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. जबकि विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था. अब आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने नया तर्क दिया है. उन्होंने गुरुवार को कहा, यहां नोटबंदी की तरह अचानक शराबबंदी नहीं होगी, इसलिए देर हो रही है.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी का मामला आम आदमी से जुड़ा है. यह किसानों से जुड़ा मुद्दा है. आदिवासियों से जुड़ा मामला है. नरेंद्र मोदी ने रात में नोटबंदी की थी. लोगों को लाइन में खड़ा किया, तो कितने लोगों की मौत हो गए. लॉकडाउन (Lockdown) में कितने लोग मरे. ऐसा नहीं कि रात को ही हमलोग बंद कर दें. उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए ये बयान मंत्री से मिलिए कार्यक्रम के तहत कांग्रेस प्रदेश कार्यालय (Congress State Office) राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत में दिया है. इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों और आम जनों से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनीं. समाधान के लिए संबंधितों को निर्देश भी दिया.

नोटबंदी की तरह अचानक नहीं होगी शराब बंदी

गुजरात-बिहार में शराबबंदी

मंत्री लखमा ने कहा कि रायपुर में दारू बंद हुआ था, तो 4-5 लोग मर गए. बिलासपुर में भी 4-5 लोग मर गए. गुजरात में दारू बंद है. बिहार में दारू बंद है. 3 लाख लोग अंदर हैं. ये गरीब लोग हैं. इसको अभी हमलोग देख रहे हैं. इसमें राजनीति से उठकर चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, सबसे हम लोग राय ले रहे हैं. शराबबंदी इस साल नहीं होगी, तो अगले साल होगी. लेकिन जल्दीबाजी हम लोग नहीं करेंगे. इस मामले को गंभीरता से हमारे मुख्यमंत्री जी देख रहे हैं.

कर्जमाफी और शराबबंदी दोनों अलग-अलग मुद्दे : लखमा

कार्यक्रम में पत्रकारों ने मंत्री से सवाल पूछा कि भाजपा का आरोप है कि कर्जमाफी, समर्थन मूल्य (Support Price) देने सहित अन्य बातों के लिए सरकार ने कमेटी गठित (committee constituted) नहीं की. न ही विपक्ष के विधायकों (Opposition Legislators) के नाम मांगे, लेकिन शराबबंदी के लिए कमेटी गठित कर विधायकों के नाम मांगे जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस सरकार प्रदेश में शराबबंदी करना नहीं चाहती है. इसके जवाब में मंत्री लखमा ने कहा कि क्या कर्जमाफी के लिए हमको भाजपा के विधायकों से पूछना था?

यह सरकार ने तत्काल निर्णय लिया है. क्योंकि कर्जमाफी और शराबबंदी दोनों अलग-अलग विषय है. शराबबंदी आम आदमी, किसानों और आदिवासियों से जुड़ा मामला है. इसलिए इसमें सब की राय जरूरी है. यही कारण है कि एक कमेटी गठित कर सत्तापक्ष, विपक्ष के विधायक, बुद्धिजीवी सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार सभी वर्गों से राय ली जा रही है. इसके नफा-नुकसान का आकलन किया जा रहा है और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.

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