रायपुर: छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में पाए जाने वाले वैद्यों के दिन बदलने वाले हैं. ग्रामीण इलाकों तक सीमित इन वैद्यों को अब सरकार बड़ा प्लेटफॉर्म देने जा रही है. इसके लिए रायपुर में वैद्यों का ट्रायल शुरू हो चुका है. जल्द ही सरकार इसकी औपचारिक शुरुआत कर सकती है. प्रदेश भर से करीब 45 वैद्यों को इसके लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड ने सूचीबद्ध किया है.
इन वैद्यों के पास कैंसर, टीवी, पीलिया, लीवर, हड्डी, मनोरोग, स्त्री रोग समेत कई बीमारियों का इलाज उपलब्ध है. यह वैद्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं और फिलहाल तीन-तीन के हिसाब से वह रायपुर आते हैं. पंडरी में एक परामर्श केंद्र विभाग द्वारा विकसित किया गया है. वहां मरीजों को उनकी समस्याओं को लेकर परामर्श के साथ दवाईयां दे रहे हैं. इस ट्रायल का फिलहाल अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है.
जड़ी-बूटी को बढ़ावा देने की क्या है वजह
एक ओर मेडिकल साइंस में नए-नए अविष्कार हो रहे हैं. वहीं हम जड़ी बूटी और वैद्यों को लेकर बैठे हैं. यह सवाल किसी के भी मन में उठ सकता है. इस पर औषधि पादप बोर्ड के सीईओ का कहना है कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में बड़े पैमाने में औषधीय गुण वाले वनस्पति मौजूद हैं. साथ ही ग्रामीण इलाकों में खासतौर से जंगलों के आसपास रहने वाले कुछ लोग इन औषधि का इस्तेमाल करना जानते हैं.
सरकार इनके तजुर्बे का लाभ उठाना चाह रही है. साथ ही इसके जरिए लोगों को भी स्वास्थ्य लाभ मिलेगा. सरकार के इस कदम से जहां वनोषधि और वैद्यों को एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिल सकता है. सरकार इन परंपरागत वैद्यों के साथ ही आयुर्वेद के जानकार डॉक्टर को भी इस परामर्श केंद्र में तैनात कर रही है. जिससे इलाज ज्यादा बेहतर तरीके से हो सके.
किन-किन बीमारियों के एक्सपर्ट है मौजूद
छत्तीसगढ़ सरकार ने परंपरागत वैद्यों की एक सूची तैयार की है. इसके तहत विभिन्न वन मंडलों से कई वैद्यों का चयन किया गया है. इन वैद्यों के द्वारा त्वचा रोग, हड्डी, पथरी, पीलिया, दमा, लकवा, कैंसर, नेत्र रोग, स्त्री रोग, सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है. स्वस्थ रहने के लिए कई तरह की दवाएं भी इनके द्वारा दी जाती हैं.
यह दवाई छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जंगलों से लाई गई हैं. इनमें से कुछ तो बेहद दुर्लभ जड़ी बूटियां हैं. फिलहाल सरकार हर रोज तीन-तीन वैद्यों को अलग-अलग बीमारियों के एक्सपर्ट के तौर पर रजिस्टर्ड कर रही है. उन्हें राजधानी बुलाती है, हालांकि वैद्यों का आने जाने का किराया और रहने का इंतजाम बोर्ड द्वारा किया जा रहा है. हो सकता है कि जल्द ही सरकार मानदेय की भी घोषणा कर सकती है.
गांव में इलाज का नहीं मिलता पैसा
वैद्यों का कहना है कि गांव में उनके पास हर रोज कई लोग इलाज कराने आते हैं. इस दौरान उन्हें एक नारियल दे दिया जाता है. वह भी परंपरा से बंधे होने के चलते पैसे नहीं मांगते. कोई अपनी खुशी से दे देता है, तो वे रख लेते हैं. ऐसे में उन्हें अपने जीवन यापन के लिए कई तरह के काम करने पड़ते हैं. अगर सरकार द्वारा ये प्लेटफार्म सफल हो जाता है, तो इनमें से कई वैद्य अपना पूरा समय इलाज और औषधीय प्लांट को विकसित करने उनसे जड़ी-बूटी चुनने में लगा सकते हैं. साथ ही अपनी कला को और भी दिखा सकते हैं.
वैद्यों से इलाज का फैसला सराहनीय लेकिन चुनौती भरा
छत्तीसगढ़ सरकार के वैद्यों को बढ़ावा देने का यह फैसला सराहनीय माना जा रहा है. लेकिन इस राह में चुनौती भी बहुत है. क्योंकि परंपरागत विधि से इलाज पर कई बार सवाल उठते रहे हैं. खासतौर पर इस तरह के इलाज के नाम पर कई बार लोगों से ठगी के मामले भी सामने आते रहे हैं. इसी के चलते लोगों का भरोसा इन विधियों से उठ गया है. ऐसे में सरकार की यह पहल वापस इस विधा को स्थापित कर सकती है.