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Chhattisgarh Farmer Rich By Selling Tomatoes : छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर बेचकर मालामाल

Chhattisgarh Farmer Rich By Selling Tomatoes छत्तीसगढ़ का एक किसान टमाटर बेचकर मालामाल हो गया है. देश भर में टमाटर की बढ़ी कीमतों के बीच धमतरी जिले के इस किसान की लाटरी लग गई है. टमाटर बेचकर किसान ने लाखों रुपए कमा लिए हैं.

Chhattisgarh Farmer Rich By Selling Tomatoes
छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर बेचकर मालामाल
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Published : Jul 15, 2023, 10:17 PM IST

Updated : Jul 16, 2023, 6:03 AM IST

छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर बेचकर मालामाल

धमतरी : आपने लॉटरी से मालामाल बनने की कहानी तो कई बार देखी सुनी होगी. लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने फसल की लॉटरी जीतकर अमीर बनने का सपना पूरा किया है. ये शख्स पेशे से किसान हैं. जिनको मालमाल करने में टमाटर का बड़ा योगदान है. बाजार में बिकने वाले इस लाल-लाल टमाटर के कारण किसान रोजाना मुनाफा कमा रहा है.

आमतौर पर किसानी करना घाटे का सौदा ही समझा जाता है. फसल अच्छी आई तो कम दाम के कारण उसे रास्ते पर फेंकने की नौबत आती है. लेकिन किसान अरुण कुमार साहू ने टमाटर की ऐसी खेती की है कि उसे इसी लाल-लाल टमाटरों ने मालामाल कर दिया. धमतरी जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र नगरी से करीब 3-4 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव में अरुण ने टमाटर की फसल लगाई है.

रोजाना मोटी कमाई कर रहा किसान : इस समय देश में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. इसी आसमान छूती कीमतों ने टमाटर उत्पादक किसान अजय साहू की किस्मत बदली है. अरुण साहू अपने 150 एकड़ खेत से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर की बाजार में सप्लाई कर रहे हैं. जिससे उन्हें मोटी कमाई हो रही है.

Dhamtari tomato farmer Arun Sahu
धमतरी के टमाटर किसान अरुण साहू

कैसे मुनाफा कमा रहे किसान ?: टमाटर की फसल पर मौसम की मार पड़ी है लेकिन अरुण साहू उन्नत किसान हैं. अरुण ने भी अपने खेतों में दूसरे किसानों की तरह टमाटर की फसल लगाई. फर्क सिर्फ इतना था कि अरुण की तकनीक दूसरे किसानों से थोड़ी अलग थी. इस तकनीक के सहारे ही अरुण की फसल को आंधी और ओला से नुकसान नहीं हुआ. जिसके बूते आज वो मालामाल बन चुके हैं.इस किसान ने जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है, उसे रुट ग्राफ्टिंग कहते हैं. किसान अरुण कुमार साहू अपने खेतों में बैगन की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की बंपर पैदावार ले रहे हैं.

बैंगन की जड़ से टमाटर की खेती : किसान अरुण कुमार साहू ने रुट ग्राफ्टिंग तकनीक से बिरनपुर गांव में टमाटर की खेती की है.150 एकड़ के खेत में अरुण ने टमाटर लगाए हैं. ये सभी ग्राफ्टिंग पौधे हैं.जिनमें पैदावार तो टमाटर की हो रही है.लेकिन इन पौधों की जड़े बैंगन की हैं. यही कारण है कि बारिश और पानी में भी टमाटर की फसल खराब नहीं हुई.अरुण ने हाईटेक खेती को समझने के लिए विमल भाई चावड़ा नाम के एक शख्स से सलाह ली और खेती करने का तरीका बदला. अरुण फिलहाल 150 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे हैं.

बार-बार की असफलता से मिली सफलता : धमतरी जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 300 एकड़ से ज्यादा की खेती अरुण कुमार साहू करते हैं.अरुण साहू का सपना शुरु से ही किसान बनने का था.इसलिए वो पढ़ाई के बाद गांव आ गए. इसके बाद अरुण ने अपने पुश्तैनी खेत में पहले धान उगाया, जो बारिश की वजह से खराब हो गया. तब किसानों को धान का सही मूल्य भी सरकार से नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने 105 एकड़ में चना की फसल ली. लेकिन उस साल तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने उनकी ये फसल भी बर्बाद कर दी. लेकिन जब से उन्होंने खेती के नए तरीके अपनाएं हैं, तब से उन्हें खेती में फायदा हो रहा है. अरुण कुमार की मानें तो किसानों ने अपनी फसल को दाम नहीं मिलने पर नष्ट कर दिया.जिसके कारण आज स्टॉक कम होने से मांग ज्यादा है और दाम भी.

क्या है रूट ग्राफ्टिंग खेती : अरुण ने अपने खेत में रुट ग्राफ्टिंग विधि अपनाई है. ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है. यह मूल पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन करता है. ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किये गए पौधे की खास बात ये होती है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं होती हैं. आपको बता दें कि, ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग कई तरह के पौधों को विकसित करने के लिए किया जाता है. ग्राफ्टिंग द्वारा विकसित पौधे का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इनमें फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं.

Cultivation by root grafting technique
रूट ग्राफ्टिंग तकनीक से किसानी

ग्राफ्टिंग की तकनीक : पहले पौधे के ऊपरी हिस्से को साइअन कहा जाता है, जो दूसरे पौधे की जड़ प्रणाली पर बढ़ता है, जिसे रूटस्टॉक कहा जाता है. फिर हमारे पास एक ऐसा पौधा होता है, जो दोनों पौधों की विशेषताओं को लिए होता है. किसान, रूटस्टॉक और साइअन दोनों के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले पौधों को बीज से खुद उगाना पसंद करते हैं. इसके बाद खुद ग्राफ्टिंग करते हैं. वहीं अन्य किसान वैध विक्रेताओं से प्रमाणित ग्राफ्टेड पौधे खरीदना पसंद करते हैं.

Chhattisgarh Farmer Rich By Selling Tomatoes
रूट ग्राफ्टिंग से बंपर कमाई
सरगुजा में आधुनिक खेती का कमाल, आठ फीट ऊंचे टमाटर के पौधों की खेती, किसान को हुई बंपर कमाई
SPECIAL: लॉकडाउन से टमाटर किसान बेहाल, फसल किया मवेशियों के हवाले
Farmer killed for Tomato: टमाटर से कमाए रुपये लूटने के लिए किसान की कर दी हत्या

बैंगन की जड़ से टमाटर उत्पादन : 25 दिन के बैंगन के पौधे पर 18 दिन के टमाटर की रूट ग्राफ्टिड की जाती है. इससे फंगल, बैक्टीरियल समस्या नहीं होती. वाटर लोगिंग कंडीशन में भी बेहतर उत्पादन देता है. इस तकनीक से टमाटर का 60 से 70 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है.इस फसल को लेने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि खराब मौसम में भी नुकसान नहीं होता.

जानकारों के मुताबिक मार्च माह में छत्तीसगढ़ में कोई टमाटर नहीं लगाता है. क्योंकि यहां का मौसम इसके अनुकूल नहीं रहता है. लेकिन नगरी के किसान अरूण कुमार अपने खेतों से रोजाना 600-700 कैरेट टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं और टमाटर से बंपर कमाई भी कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर बेचकर मालामाल

धमतरी : आपने लॉटरी से मालामाल बनने की कहानी तो कई बार देखी सुनी होगी. लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने फसल की लॉटरी जीतकर अमीर बनने का सपना पूरा किया है. ये शख्स पेशे से किसान हैं. जिनको मालमाल करने में टमाटर का बड़ा योगदान है. बाजार में बिकने वाले इस लाल-लाल टमाटर के कारण किसान रोजाना मुनाफा कमा रहा है.

आमतौर पर किसानी करना घाटे का सौदा ही समझा जाता है. फसल अच्छी आई तो कम दाम के कारण उसे रास्ते पर फेंकने की नौबत आती है. लेकिन किसान अरुण कुमार साहू ने टमाटर की ऐसी खेती की है कि उसे इसी लाल-लाल टमाटरों ने मालामाल कर दिया. धमतरी जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र नगरी से करीब 3-4 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव में अरुण ने टमाटर की फसल लगाई है.

रोजाना मोटी कमाई कर रहा किसान : इस समय देश में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. इसी आसमान छूती कीमतों ने टमाटर उत्पादक किसान अजय साहू की किस्मत बदली है. अरुण साहू अपने 150 एकड़ खेत से रोजाना 600 से 700 कैरेट टमाटर की बाजार में सप्लाई कर रहे हैं. जिससे उन्हें मोटी कमाई हो रही है.

Dhamtari tomato farmer Arun Sahu
धमतरी के टमाटर किसान अरुण साहू

कैसे मुनाफा कमा रहे किसान ?: टमाटर की फसल पर मौसम की मार पड़ी है लेकिन अरुण साहू उन्नत किसान हैं. अरुण ने भी अपने खेतों में दूसरे किसानों की तरह टमाटर की फसल लगाई. फर्क सिर्फ इतना था कि अरुण की तकनीक दूसरे किसानों से थोड़ी अलग थी. इस तकनीक के सहारे ही अरुण की फसल को आंधी और ओला से नुकसान नहीं हुआ. जिसके बूते आज वो मालामाल बन चुके हैं.इस किसान ने जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है, उसे रुट ग्राफ्टिंग कहते हैं. किसान अरुण कुमार साहू अपने खेतों में बैगन की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की बंपर पैदावार ले रहे हैं.

बैंगन की जड़ से टमाटर की खेती : किसान अरुण कुमार साहू ने रुट ग्राफ्टिंग तकनीक से बिरनपुर गांव में टमाटर की खेती की है.150 एकड़ के खेत में अरुण ने टमाटर लगाए हैं. ये सभी ग्राफ्टिंग पौधे हैं.जिनमें पैदावार तो टमाटर की हो रही है.लेकिन इन पौधों की जड़े बैंगन की हैं. यही कारण है कि बारिश और पानी में भी टमाटर की फसल खराब नहीं हुई.अरुण ने हाईटेक खेती को समझने के लिए विमल भाई चावड़ा नाम के एक शख्स से सलाह ली और खेती करने का तरीका बदला. अरुण फिलहाल 150 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे हैं.

बार-बार की असफलता से मिली सफलता : धमतरी जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 300 एकड़ से ज्यादा की खेती अरुण कुमार साहू करते हैं.अरुण साहू का सपना शुरु से ही किसान बनने का था.इसलिए वो पढ़ाई के बाद गांव आ गए. इसके बाद अरुण ने अपने पुश्तैनी खेत में पहले धान उगाया, जो बारिश की वजह से खराब हो गया. तब किसानों को धान का सही मूल्य भी सरकार से नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने 105 एकड़ में चना की फसल ली. लेकिन उस साल तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने उनकी ये फसल भी बर्बाद कर दी. लेकिन जब से उन्होंने खेती के नए तरीके अपनाएं हैं, तब से उन्हें खेती में फायदा हो रहा है. अरुण कुमार की मानें तो किसानों ने अपनी फसल को दाम नहीं मिलने पर नष्ट कर दिया.जिसके कारण आज स्टॉक कम होने से मांग ज्यादा है और दाम भी.

क्या है रूट ग्राफ्टिंग खेती : अरुण ने अपने खेत में रुट ग्राफ्टिंग विधि अपनाई है. ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है. यह मूल पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन करता है. ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किये गए पौधे की खास बात ये होती है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं होती हैं. आपको बता दें कि, ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग कई तरह के पौधों को विकसित करने के लिए किया जाता है. ग्राफ्टिंग द्वारा विकसित पौधे का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इनमें फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं.

Cultivation by root grafting technique
रूट ग्राफ्टिंग तकनीक से किसानी

ग्राफ्टिंग की तकनीक : पहले पौधे के ऊपरी हिस्से को साइअन कहा जाता है, जो दूसरे पौधे की जड़ प्रणाली पर बढ़ता है, जिसे रूटस्टॉक कहा जाता है. फिर हमारे पास एक ऐसा पौधा होता है, जो दोनों पौधों की विशेषताओं को लिए होता है. किसान, रूटस्टॉक और साइअन दोनों के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले पौधों को बीज से खुद उगाना पसंद करते हैं. इसके बाद खुद ग्राफ्टिंग करते हैं. वहीं अन्य किसान वैध विक्रेताओं से प्रमाणित ग्राफ्टेड पौधे खरीदना पसंद करते हैं.

Chhattisgarh Farmer Rich By Selling Tomatoes
रूट ग्राफ्टिंग से बंपर कमाई
सरगुजा में आधुनिक खेती का कमाल, आठ फीट ऊंचे टमाटर के पौधों की खेती, किसान को हुई बंपर कमाई
SPECIAL: लॉकडाउन से टमाटर किसान बेहाल, फसल किया मवेशियों के हवाले
Farmer killed for Tomato: टमाटर से कमाए रुपये लूटने के लिए किसान की कर दी हत्या

बैंगन की जड़ से टमाटर उत्पादन : 25 दिन के बैंगन के पौधे पर 18 दिन के टमाटर की रूट ग्राफ्टिड की जाती है. इससे फंगल, बैक्टीरियल समस्या नहीं होती. वाटर लोगिंग कंडीशन में भी बेहतर उत्पादन देता है. इस तकनीक से टमाटर का 60 से 70 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है.इस फसल को लेने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि खराब मौसम में भी नुकसान नहीं होता.

जानकारों के मुताबिक मार्च माह में छत्तीसगढ़ में कोई टमाटर नहीं लगाता है. क्योंकि यहां का मौसम इसके अनुकूल नहीं रहता है. लेकिन नगरी के किसान अरूण कुमार अपने खेतों से रोजाना 600-700 कैरेट टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं और टमाटर से बंपर कमाई भी कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 16, 2023, 6:03 AM IST
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