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Chhattisgarh CAG Report On PDS: छत्तीसगढ़ में PDS पर कैग की रिपोर्ट , कोरोना काल में केंद्रीय योजना के तहत लोगों को नहीं मिला खाद्यान्न योजना का लाभ

Chhattisgarh CAG Report On PDS राष्ट्रीय लेखा परीक्षक, सीएजी ने कहा है कि कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में कोविड 19 महामारी के दौरान प्राथमिकता वाले घरेलू राशन कार्ड रखने वाले 167.32 लाख लाभार्थियों को केंद्रीय योजना के तहत अतिरिक्त खाद्यान्न नहीं दिया गया था. PDS During Corona Period

Chhattisgarh CAG Report On PDS
छत्तीसगढ़ में खाद्यान्न बंटवारे पर कैग की रिपोर्ट
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Published : Jul 21, 2023, 8:58 PM IST

रायपुर: 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की अनुपालन लेखापरीक्षा रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में पेश की. इस रिपोर्ट में उचित मूल्य की दुकानों के कामकाज में अनियमितताओं को भी उजागर किया गया है.

केंद्र सरकार ने खाद्यान्न बांटने का लिया था फैसला: रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने COVID-19 महामारी की वजह से आर्थिक परेशानियों को लेकर गरीब लोगों को खाद्यान्न बांटने का फैसला किया. इसके लिए मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) शुरू की गई. योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को वितरण के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त चावल प्रदान किया जाना था. एनएफएसए के तहत कवरेज दो श्रेणियों के तहत किया जाना था. जिसमें अंत्योदय अन्न योजना भी शामिल थी.

खाद्यान्न आवंटन में क्या मापदंड थे: अतिरिक्त चावल प्रदान करने की योजना शुरू में 2020 में अप्रैल से नवंबर तक आठ महीने की अवधि के लिए लागू की गई थी. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने इसे अप्रैल 2021 में मई से नवंबर 2021 की अवधि के लिए फिर से लागू किया, जिसे मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया. छत्तीसगढ़ सरकार, पीएमजीकेएवाई के लॉन्च से पहले (जुलाई 2019 से) इन पीएचएच लाभार्थियों को प्रत्येक राशन कार्ड में दर्शाए व्यक्तियों की संख्या के आधार पर हर महीने रियायती मूल्य पर अतिरिक्त मात्रा में चावल दे रही थी.केवल एक व्यक्ति वाले पीएचएच कार्ड धारकों को कुल 10 किलोग्राम, दो व्यक्तियों को 20 किलोग्राम, तीन से पांच व्यक्तियों को 35 किलोग्राम और पांच से अधिक व्यक्तियों को 7 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया गया. इन मात्राओं में पीएमजीकेएवाई के शुभारंभ से पहले एनएफएसए के तहत केंद्र द्वारा नियमित रूप से प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम चावल दिया गया था.

कोरोना काल में खाद्यान्न वितरण में बरती गई लापरवाही: पीएमजीकेएवाई के शुभारंभ के बाद, राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुफ्त चावल की मात्रा के संदर्भ में एक आदेश (अप्रैल 2020 में) जारी किया. जिसमें राज्य के पीएचएच लाभार्थियों को प्रदान किए जाने वाले चावल की कुल मात्रा को संशोधित किया गया. हालांकि संशोधित मात्राएं या तो पहले जैसी ही थीं या थोड़ी अधिक थीं. राज्य सरकार द्वारा लाभार्थियों को पहले उपलब्ध कराए गए चावल की अतिरिक्त मात्रा को वापस लेने लिया गया. इस वजह से, एनएफएसए और सीजी खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एफएसए) के लाभार्थियों को मौजूदा पात्रता के अलावा 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की दर से अतिरिक्त चावल का लाभ नहीं मिला.

राशन कार्ड धारकों को नहीं मिला पूरा लाभ: ऑडिट में पाया गया कि एनएफएसए-पीएचएच राशन कार्डधारक परिवारों के एक से तीन सदस्यों को अतिरिक्त चावल का लाभ नहीं मिला. तीन से अधिक सदस्यों वाले पीएचएच कार्डधारकों को 5 किलो प्रति व्यक्ति के बजाय 3 किलो अतिरिक्त चावल का लाभ मिला. जैसा कि पीएमजीकेएवाई के तहत परिकल्पना की गई है. राज्य में कुल 31.05 लाख एनएफएसए-पीएचएच लाभार्थियों (एक से तीन सदस्य) को उतनी ही मात्रा में चावल उपलब्ध कराया गया. जितना उन्हें पीएमजीकेएवाई के कार्यान्वयन से पहले मिलता था. 136.27 लाख लाभार्थियों (तीन से अधिक सदस्यों वाले पीएचएच कार्ड) को प्रति माह केवल 3 किलोग्राम की अतिरिक्त मात्रा दी गई.

केंद्र की खाद्यान्न योजना का नहीं मिला लोगों को फायदा: राज्य में 167.32 लाख एनएफएसए-पीएचएच लाभार्थियों को योजना के तहत अपेक्षित अतिरिक्त सहायता से लाभ नहीं मिला. भारत सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो मुफ्त चावल देने का फैसला किया. इसके अलावा प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों के प्रत्येक परिवार को 1 किलो मुफ्त चना देने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस) शुरू की. जो महामारी के दौरान एनएफएसए या राज्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) राशन कार्ड योजना के तहत कवर नहीं थे. हालांकि राज्य सरकार 30,218 प्रवासी/फंसे हुए व्यक्तियों को मुफ्त चावल और एएनबीएस के तहत पहचाने गए 20,395 प्रवासी परिवारों को मुफ्त चना वितरित नहीं कर सकी.

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राशन दुकानों में नहीं हुई सोशल ऑडिट: कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 177 उचित मूल्य दुकानों (एफपीएस) का संयुक्त निरीक्षण किया गया. इसके साथ ही 1,177 बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान, यह पाया गया कि विभाग द्वारा 80 प्रतिशत एफपीएस में मासिक निरीक्षण नहीं किया गया. निरीक्षण रजिस्टर भी बनाए नहीं रखा गया था. 98 फीसदी उचित मूल्य की दुकानों में सोशल ऑडिट नहीं किया गया.

रायपुर: 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की अनुपालन लेखापरीक्षा रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में पेश की. इस रिपोर्ट में उचित मूल्य की दुकानों के कामकाज में अनियमितताओं को भी उजागर किया गया है.

केंद्र सरकार ने खाद्यान्न बांटने का लिया था फैसला: रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने COVID-19 महामारी की वजह से आर्थिक परेशानियों को लेकर गरीब लोगों को खाद्यान्न बांटने का फैसला किया. इसके लिए मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) शुरू की गई. योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को वितरण के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त चावल प्रदान किया जाना था. एनएफएसए के तहत कवरेज दो श्रेणियों के तहत किया जाना था. जिसमें अंत्योदय अन्न योजना भी शामिल थी.

खाद्यान्न आवंटन में क्या मापदंड थे: अतिरिक्त चावल प्रदान करने की योजना शुरू में 2020 में अप्रैल से नवंबर तक आठ महीने की अवधि के लिए लागू की गई थी. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र ने इसे अप्रैल 2021 में मई से नवंबर 2021 की अवधि के लिए फिर से लागू किया, जिसे मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया. छत्तीसगढ़ सरकार, पीएमजीकेएवाई के लॉन्च से पहले (जुलाई 2019 से) इन पीएचएच लाभार्थियों को प्रत्येक राशन कार्ड में दर्शाए व्यक्तियों की संख्या के आधार पर हर महीने रियायती मूल्य पर अतिरिक्त मात्रा में चावल दे रही थी.केवल एक व्यक्ति वाले पीएचएच कार्ड धारकों को कुल 10 किलोग्राम, दो व्यक्तियों को 20 किलोग्राम, तीन से पांच व्यक्तियों को 35 किलोग्राम और पांच से अधिक व्यक्तियों को 7 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया गया. इन मात्राओं में पीएमजीकेएवाई के शुभारंभ से पहले एनएफएसए के तहत केंद्र द्वारा नियमित रूप से प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम चावल दिया गया था.

कोरोना काल में खाद्यान्न वितरण में बरती गई लापरवाही: पीएमजीकेएवाई के शुभारंभ के बाद, राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुफ्त चावल की मात्रा के संदर्भ में एक आदेश (अप्रैल 2020 में) जारी किया. जिसमें राज्य के पीएचएच लाभार्थियों को प्रदान किए जाने वाले चावल की कुल मात्रा को संशोधित किया गया. हालांकि संशोधित मात्राएं या तो पहले जैसी ही थीं या थोड़ी अधिक थीं. राज्य सरकार द्वारा लाभार्थियों को पहले उपलब्ध कराए गए चावल की अतिरिक्त मात्रा को वापस लेने लिया गया. इस वजह से, एनएफएसए और सीजी खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एफएसए) के लाभार्थियों को मौजूदा पात्रता के अलावा 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की दर से अतिरिक्त चावल का लाभ नहीं मिला.

राशन कार्ड धारकों को नहीं मिला पूरा लाभ: ऑडिट में पाया गया कि एनएफएसए-पीएचएच राशन कार्डधारक परिवारों के एक से तीन सदस्यों को अतिरिक्त चावल का लाभ नहीं मिला. तीन से अधिक सदस्यों वाले पीएचएच कार्डधारकों को 5 किलो प्रति व्यक्ति के बजाय 3 किलो अतिरिक्त चावल का लाभ मिला. जैसा कि पीएमजीकेएवाई के तहत परिकल्पना की गई है. राज्य में कुल 31.05 लाख एनएफएसए-पीएचएच लाभार्थियों (एक से तीन सदस्य) को उतनी ही मात्रा में चावल उपलब्ध कराया गया. जितना उन्हें पीएमजीकेएवाई के कार्यान्वयन से पहले मिलता था. 136.27 लाख लाभार्थियों (तीन से अधिक सदस्यों वाले पीएचएच कार्ड) को प्रति माह केवल 3 किलोग्राम की अतिरिक्त मात्रा दी गई.

केंद्र की खाद्यान्न योजना का नहीं मिला लोगों को फायदा: राज्य में 167.32 लाख एनएफएसए-पीएचएच लाभार्थियों को योजना के तहत अपेक्षित अतिरिक्त सहायता से लाभ नहीं मिला. भारत सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो मुफ्त चावल देने का फैसला किया. इसके अलावा प्रवासियों/फंसे हुए प्रवासियों के प्रत्येक परिवार को 1 किलो मुफ्त चना देने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस) शुरू की. जो महामारी के दौरान एनएफएसए या राज्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) राशन कार्ड योजना के तहत कवर नहीं थे. हालांकि राज्य सरकार 30,218 प्रवासी/फंसे हुए व्यक्तियों को मुफ्त चावल और एएनबीएस के तहत पहचाने गए 20,395 प्रवासी परिवारों को मुफ्त चना वितरित नहीं कर सकी.

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राशन दुकानों में नहीं हुई सोशल ऑडिट: कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 177 उचित मूल्य दुकानों (एफपीएस) का संयुक्त निरीक्षण किया गया. इसके साथ ही 1,177 बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान, यह पाया गया कि विभाग द्वारा 80 प्रतिशत एफपीएस में मासिक निरीक्षण नहीं किया गया. निरीक्षण रजिस्टर भी बनाए नहीं रखा गया था. 98 फीसदी उचित मूल्य की दुकानों में सोशल ऑडिट नहीं किया गया.

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