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गुजरात में कांग्रेस लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई, बीजेपी में शामिल हो रहे नेता

गुजरात में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोषी ने कहा कि भाजपा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सत्ता में हिस्सेदारी देकर खरीदने की कोशिश कर रही है. उन्होंने पूछा कि भाजपा, जो खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दावा करती है, उसको कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खरीदने की जरूरत आ पड़ी है.

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Published : Jan 29, 2021, 9:14 AM IST

अहमदाबाद : गुजरात में नगर निगम, जिला और पंचायत चुनाव के एलान के बाद एक बार फिर से कांग्रेस में अराजकता फैल गई है. ऐसी खबरें मिली हैं कि बोटाड, वडोदरा और आणंद से बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं. वही, कांग्रेस के वफादार नेता पार्टी का इस स्थिति से बाहर निकालने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, केंद्रीय नेतृत्न ने पार्टी प्रभारी राजीव सातव की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस को भ्रम की स्थिति में डाल दिया है. आइए चुनाव के समय पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर डालें एक नजर...

chaos prevails in Congress
गुजरात में कांग्रेस कार्यालय

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस

छह नगर निगमों, जिला और तालुका पंचायतों के चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी में अराजकता व्याप्त है. ऐसे समय में सदी से अधिक पुरानी कांग्रेस पार्टी गुजरात में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, वहीं, एक बड़ा सवालिया निशान उठता है कि पार्टी का केंद्रीय और राज्य नेतृत्व अपने नेताओं को एक साथ रखने में असमर्थ क्यों है. जब पार्टी आलाकमान इच्छुक उम्मीदवारों से पार्टी टिकट की मांग कर रहा है, तो वहीं, बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेता पार्टी को निराश कर भाजपा में शामिल हो रहे है.

केंद्रीय नेतृत्व ने सातव को किया दरकिनार

हाल ही में कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू को चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में गुजरात में नियुक्त किया. यह उस समय हु्आ जब राजीव सातव लंबे समय से गुजरात में पार्टी के प्रभारी रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठकें करके पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से संपर्क स्थापित किया था. बता दें, सातव के बजाय साहू को टिकट वितरण की जिम्मेदारी सौंपने के निर्णय से राज्य कांग्रेस नेतृत्व को झटका लगा है. यह भी पता चला कि अमित चावड़ा, परेश धनानी और राजीव सातव कहीं गुप्त बैठक कर रहे हैं. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि बहुत जल्द डैमेज कंट्रोल को लेकर एक बड़ी घोषणा हो सकती है.

chaos prevails in Congress
कांग्रेस नेताओं ने दिए बयान

ऐसा क्या है कि कांग्रेस ने की उम्मीदवारों से मांग?

कांग्रेस सांसदों और विधायकों के बाद अब जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी बीजेपी का दामन थामना शुरू कर दिया है. केंद्रीय नेतृत्व पार्टी नेताओं के पलायन को रोकने और उनका विश्वास जीतने के बजाए उल्टे इन लोगों को ही धमकी दे रहा है. कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग करने वालों से पार्टी नहीं छोड़ेने का एक बांड भरने को कह रही है. गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवारों से कहा कि टिकट मिलने के बाद एक हलफनामा देना होगा, जिसमें लिखना होगा कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे. इसके साथ-साथ इन लोगों को इस हलफनामे पर पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर कराने होंगे. इस अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करने के बाद ही उम्मीदवारी को मंजूरी मिलेगी. कांग्रेस इस तरह की स्थिति में आ गई है कि उसने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भी संदेह करना शुरू कर दिया है. जब पार्टी नेतृत्व को अपने उम्मीदवारों पर संदेह है, तो वह कैसे मतदाताओं से भरोसे की उम्मीद कर सकती है.

टिकट के लिए कहां करें आवेदन

ऐसी स्थिति होने के बावजूद भी कांग्रेस के कार्यालय अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट के बाहर टिकट लेने के लिए उम्मीदवारों की लंबी कतार देखी जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि कुछ वार्डों में कांग्रेस टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों पर ध्यान दे रही है क्योंकि ये परंपरागत रूप से पार्टी के साथ रहे हैं. ऐसे लोग कांग्रेस के वोट बैंक हैं. बता दें, वार्ड नंबर 48 में 1,227 उम्मीदवारों ने पार्टी टिकट के लिए आवेदन किया है, जबकि पूर्वी अहमदाबाद के वार्डों में टिकट के उम्मीदवारों के बीच बहुत उत्साह देखा जा सकता है, पश्चिम अहमदाबाद के वार्डों में बहुत गर्म प्रतिक्रिया है. नवरंगपुरा और नारनपुरा के पश्चिम क्षेत्र के वार्डों में केवल नौ लोगों ने नगरपालिका चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन दाखिल किया.

chaos prevails in Congress
कांग्रेस नेताओं ने दिए बयान

राजनेताओं ने की कांग्रेस की चिंता

गुजरात कांग्रेस प्रभारी राजीव सातव पिछले चार सालों से राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, फिर भी पार्टी में कोई सेंध नहीं लगा पाया. कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा के साथ मिलकर नगर निगम चुनाव में सत्ता की लूट को साझा करने के विकल्प के रूप में शामिल हो रहे हैं. अमरेली में राज्य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के गृह क्षेत्र, परेश धनानी, बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए. इसी तरह बोटाद और वडोदरा में भी बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए हैं. अमरेली में इस पलायन की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों ने पाटीदार आंदोलन में भाग लेकर भाजपा को झटके दिए थे, वे अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. इस बारे में बताते हुए बोटाद जिला भाजपा अध्यक्ष भीखुभाई वाघेला ने कहा कि पाटीदार नेता भाजपा के विरोध में नहीं हैं क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण की उनकी मुख्य मांग को स्वीकार कर लिया गया है. पाटीदार हमेशा से भाजपा के वोट बैंक के पुष्टिकर्ता रहे हैं. आणंद जिले में, कांग्रेस के गढ़ को माधवसिंह सोलंकी के समय से माना जाता है, खंभात शहर कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजयसिंह परमार अपने 200 समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कांग्रेस की रणनीति पर प्रश्न

भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए 'कैंडीडेट नो रिपीट' सिद्धांत को लोकप्रिय बनाया था, लेकिन अब कांग्रेस ने भी इसे अपनाने का मन बना लिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि पार्टी अधिक युवाओं और महिलाओं को टिकट देगी. कांग्रेसी नेताओं चावड़ा, धनानी और सातव को उस समय अधिक चिंता हो रही थी जब पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाजपा में शामिल होने की कोशिश की और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह और जीत की भावना पैदा की है. कांग्रेस दशकों से सत्ता से बाहर है और इसलिए मतदाताओं के सामने अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. दूसरी ओर गुजरात के राजनीतिक रूप से जागरूक लोग पार्टी नेताओं से पार्टी के कमजोर केंद्रीय नेतृत्व के बारे में सवाल करेंगे और जब पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करने की बात आती है तो पार्टी गांधी परिवार से परे क्यों नहीं सोच सकती. आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में आश्चर्यजनक हार के बाद अमित चावड़ा परेशानी में हैं. इसी के चलते उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी राज्य के पार्टी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं. पार्टी नेता राहुल गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए हार्दिक पटेल गायब हो गए हैं. पार्टी में किसी को भी उसका पता नहीं है.

कांग्रेस प्रवक्ता की प्रतिक्रिया

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोषी ने कहा कि भाजपा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सत्ता में हिस्सेदारी देकर खरीदने की कोशिश कर रही है. उन्होंने मजाक में पूछा कि भाजपा, जो खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दावा करती है और पिछले 25 वर्षों से सत्ता में है, को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खरीदने की जरूरत है. यह केवल दिखाता है कि लोग भाजपा के भ्रष्ट शासन से तंग आ चुके हैं. अन्य शब्दों में स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत निश्चित है. कांग्रेस एक परिवार की तरह है. हम उन लोगों पर जीत हासिल करने की कोशिश करेंगे जिनके पास पार्टी के साथ कुछ व्यक्तिगत मुद्दे हैं. पार्टी हमेशा पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनने की कोशिश करती है और उनका समाधान करती है.

पढ़ें: आज से संसद का बजट सत्र, विपक्ष ने बनाई सरकार को घेरने की रणनीति, हंगामे के आसार

चुनाव के समय में दोष लगने पर भाजपा क्या कहती है?

बीजेपी के राज्य मीडिया संयोजक यज्ञेश दवे ने ईटीवी भारत से चुनाव के समय में लगने वाले दोषों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता केवल लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति करते हैं, लेकिन अगर कोई कार्यकर्ता किसी पार्टी की विचारधारा से सहमत नहीं है या पार्टी लोगों की सेवा के लिए उसका समर्थन नहीं करती है, तो वह दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है. वे राष्ट्रवादी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की विचारधारा से आकर्षित हैं, भाजपा में शामिल होते हैं और हम उनका स्वागत करते हैं.

अहमदाबाद : गुजरात में नगर निगम, जिला और पंचायत चुनाव के एलान के बाद एक बार फिर से कांग्रेस में अराजकता फैल गई है. ऐसी खबरें मिली हैं कि बोटाड, वडोदरा और आणंद से बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं. वही, कांग्रेस के वफादार नेता पार्टी का इस स्थिति से बाहर निकालने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, केंद्रीय नेतृत्न ने पार्टी प्रभारी राजीव सातव की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस को भ्रम की स्थिति में डाल दिया है. आइए चुनाव के समय पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर डालें एक नजर...

chaos prevails in Congress
गुजरात में कांग्रेस कार्यालय

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस

छह नगर निगमों, जिला और तालुका पंचायतों के चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी में अराजकता व्याप्त है. ऐसे समय में सदी से अधिक पुरानी कांग्रेस पार्टी गुजरात में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, वहीं, एक बड़ा सवालिया निशान उठता है कि पार्टी का केंद्रीय और राज्य नेतृत्व अपने नेताओं को एक साथ रखने में असमर्थ क्यों है. जब पार्टी आलाकमान इच्छुक उम्मीदवारों से पार्टी टिकट की मांग कर रहा है, तो वहीं, बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेता पार्टी को निराश कर भाजपा में शामिल हो रहे है.

केंद्रीय नेतृत्व ने सातव को किया दरकिनार

हाल ही में कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू को चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में गुजरात में नियुक्त किया. यह उस समय हु्आ जब राजीव सातव लंबे समय से गुजरात में पार्टी के प्रभारी रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठकें करके पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से संपर्क स्थापित किया था. बता दें, सातव के बजाय साहू को टिकट वितरण की जिम्मेदारी सौंपने के निर्णय से राज्य कांग्रेस नेतृत्व को झटका लगा है. यह भी पता चला कि अमित चावड़ा, परेश धनानी और राजीव सातव कहीं गुप्त बैठक कर रहे हैं. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि बहुत जल्द डैमेज कंट्रोल को लेकर एक बड़ी घोषणा हो सकती है.

chaos prevails in Congress
कांग्रेस नेताओं ने दिए बयान

ऐसा क्या है कि कांग्रेस ने की उम्मीदवारों से मांग?

कांग्रेस सांसदों और विधायकों के बाद अब जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी बीजेपी का दामन थामना शुरू कर दिया है. केंद्रीय नेतृत्व पार्टी नेताओं के पलायन को रोकने और उनका विश्वास जीतने के बजाए उल्टे इन लोगों को ही धमकी दे रहा है. कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग करने वालों से पार्टी नहीं छोड़ेने का एक बांड भरने को कह रही है. गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवारों से कहा कि टिकट मिलने के बाद एक हलफनामा देना होगा, जिसमें लिखना होगा कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे. इसके साथ-साथ इन लोगों को इस हलफनामे पर पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर कराने होंगे. इस अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करने के बाद ही उम्मीदवारी को मंजूरी मिलेगी. कांग्रेस इस तरह की स्थिति में आ गई है कि उसने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भी संदेह करना शुरू कर दिया है. जब पार्टी नेतृत्व को अपने उम्मीदवारों पर संदेह है, तो वह कैसे मतदाताओं से भरोसे की उम्मीद कर सकती है.

टिकट के लिए कहां करें आवेदन

ऐसी स्थिति होने के बावजूद भी कांग्रेस के कार्यालय अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट के बाहर टिकट लेने के लिए उम्मीदवारों की लंबी कतार देखी जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि कुछ वार्डों में कांग्रेस टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों पर ध्यान दे रही है क्योंकि ये परंपरागत रूप से पार्टी के साथ रहे हैं. ऐसे लोग कांग्रेस के वोट बैंक हैं. बता दें, वार्ड नंबर 48 में 1,227 उम्मीदवारों ने पार्टी टिकट के लिए आवेदन किया है, जबकि पूर्वी अहमदाबाद के वार्डों में टिकट के उम्मीदवारों के बीच बहुत उत्साह देखा जा सकता है, पश्चिम अहमदाबाद के वार्डों में बहुत गर्म प्रतिक्रिया है. नवरंगपुरा और नारनपुरा के पश्चिम क्षेत्र के वार्डों में केवल नौ लोगों ने नगरपालिका चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन दाखिल किया.

chaos prevails in Congress
कांग्रेस नेताओं ने दिए बयान

राजनेताओं ने की कांग्रेस की चिंता

गुजरात कांग्रेस प्रभारी राजीव सातव पिछले चार सालों से राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, फिर भी पार्टी में कोई सेंध नहीं लगा पाया. कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा के साथ मिलकर नगर निगम चुनाव में सत्ता की लूट को साझा करने के विकल्प के रूप में शामिल हो रहे हैं. अमरेली में राज्य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के गृह क्षेत्र, परेश धनानी, बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए. इसी तरह बोटाद और वडोदरा में भी बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए हैं. अमरेली में इस पलायन की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों ने पाटीदार आंदोलन में भाग लेकर भाजपा को झटके दिए थे, वे अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. इस बारे में बताते हुए बोटाद जिला भाजपा अध्यक्ष भीखुभाई वाघेला ने कहा कि पाटीदार नेता भाजपा के विरोध में नहीं हैं क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा नौकरियों और शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण की उनकी मुख्य मांग को स्वीकार कर लिया गया है. पाटीदार हमेशा से भाजपा के वोट बैंक के पुष्टिकर्ता रहे हैं. आणंद जिले में, कांग्रेस के गढ़ को माधवसिंह सोलंकी के समय से माना जाता है, खंभात शहर कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजयसिंह परमार अपने 200 समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कांग्रेस की रणनीति पर प्रश्न

भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए 'कैंडीडेट नो रिपीट' सिद्धांत को लोकप्रिय बनाया था, लेकिन अब कांग्रेस ने भी इसे अपनाने का मन बना लिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि पार्टी अधिक युवाओं और महिलाओं को टिकट देगी. कांग्रेसी नेताओं चावड़ा, धनानी और सातव को उस समय अधिक चिंता हो रही थी जब पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाजपा में शामिल होने की कोशिश की और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह और जीत की भावना पैदा की है. कांग्रेस दशकों से सत्ता से बाहर है और इसलिए मतदाताओं के सामने अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. दूसरी ओर गुजरात के राजनीतिक रूप से जागरूक लोग पार्टी नेताओं से पार्टी के कमजोर केंद्रीय नेतृत्व के बारे में सवाल करेंगे और जब पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करने की बात आती है तो पार्टी गांधी परिवार से परे क्यों नहीं सोच सकती. आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में आश्चर्यजनक हार के बाद अमित चावड़ा परेशानी में हैं. इसी के चलते उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी भी राज्य के पार्टी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं. पार्टी नेता राहुल गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए हार्दिक पटेल गायब हो गए हैं. पार्टी में किसी को भी उसका पता नहीं है.

कांग्रेस प्रवक्ता की प्रतिक्रिया

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोषी ने कहा कि भाजपा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सत्ता में हिस्सेदारी देकर खरीदने की कोशिश कर रही है. उन्होंने मजाक में पूछा कि भाजपा, जो खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दावा करती है और पिछले 25 वर्षों से सत्ता में है, को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खरीदने की जरूरत है. यह केवल दिखाता है कि लोग भाजपा के भ्रष्ट शासन से तंग आ चुके हैं. अन्य शब्दों में स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत निश्चित है. कांग्रेस एक परिवार की तरह है. हम उन लोगों पर जीत हासिल करने की कोशिश करेंगे जिनके पास पार्टी के साथ कुछ व्यक्तिगत मुद्दे हैं. पार्टी हमेशा पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनने की कोशिश करती है और उनका समाधान करती है.

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चुनाव के समय में दोष लगने पर भाजपा क्या कहती है?

बीजेपी के राज्य मीडिया संयोजक यज्ञेश दवे ने ईटीवी भारत से चुनाव के समय में लगने वाले दोषों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता केवल लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति करते हैं, लेकिन अगर कोई कार्यकर्ता किसी पार्टी की विचारधारा से सहमत नहीं है या पार्टी लोगों की सेवा के लिए उसका समर्थन नहीं करती है, तो वह दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है. वे राष्ट्रवादी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की विचारधारा से आकर्षित हैं, भाजपा में शामिल होते हैं और हम उनका स्वागत करते हैं.

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