नई दिल्ली : पर्यावरण में तेजी से हो रहे बदलाव को लेकर बायो डायवर्सिटी पार्क के चीफ वैज्ञानिक डॉ. फ़ैयाज़ ख़ुदसर ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने बताया कि क्लाइमेटिक चेंज से इंसान अछूता नहीं रह सकता है. हाल के वर्षों में तेजी से आए पर्यावरणीय बदलाव का असर तमाम जीव-जंतुओं पर पड़ा है. परिदों से लेकर इंसानों तक पर इसका दुष्प्रभाव देखा जा सकता है.
इस साल पड़ रही भीषण गर्मी को भी उन्होंने क्लाइमेटिक चेंज का ही नतीजा बताया है. उन्होंने लोगों को आगाह किया ये लोगों ने अपनी जीवन शैली न बदली, पर्यावरण संरक्षण पर काम नहीं किया तो हालात इससे भी बुरे हो सकते हैं.
फिलहाल लगातार बढ़ती गर्मी, प्रदूषण और नीचे जाता भूगर्भीय जल स्तर चिंता का कारण है. भीषण गर्मी के चलते ज्यादातर जल स्रोत सूख रहे हैं, जिसका सीधा असर इसके ईकोसिस्टम पर पड़ रहा है.
लगातार पेड़ों की कटाई होने से जंगल और हरियाली के साथ ही जीव-जंतुओं के लिए कुदरती आवास खत्म होते जा रहे हैं. जिसका असर ये है कि कई तरह के जीव-जंतु गायब होने लगे हैं. कई जीवों का अस्तित्व मिट गया है और बहुत से अपने वजूद की जंग लड़ रहे हैं. इसलिए पर्यावरण को संवारने, सहेजने के साथ ही इन्हें बेहतर हालत में रखने के उपाय करने होंगे.
उन्होंने दिल्ली के पर्यावरणीय दशाओं को बेहतर करने के लिए यमुना को बहुत अहम बताया है. पर्यावरण संरक्षण के लिए यमुना की भी दशा सुधारनी होगी. यमुना के बाढ़ प्रबंधन के साथ ही गर्मियों में यमुना के पानी में प्रदूषण कम करना भी गंभीर विषय है. यमुना को साफ-सुधरी किए बिना पर्यावरण संरक्षण का काम अधूरा ही रहेगा.
यमुना इसी तरह सूखती और विलुप्त होती रही तो आने वाले दौर में दिल्ली का तापमान तेजी से बढ़ सकता है. यमुना का संरक्षण जीव-जंतुओं को आवास और भोजन के साथ ही जीवन का नया सहारा देगा. जिससे न सिर्फ कई तरह के प्रदूषण और अन्य समस्याओं पर लगाम लगेगी. बल्कि बायोलॉजिकल कल्चर भी बढ़ेगा.
दिल्ली में गर्मी का तापक्रम लगातार बढ़ रहा है. बीते दिनों पारा 49 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया गया और अभी भी गर्मी 45 डिग्री के आसपास है. इस पर पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. खुदसर का कहना है कि सबसे पहले अपने इको सिस्टम को मजबूत बनाना होगा. दिल्ली में बायो डायवर्सिटी पार्कों की तादाद भी बढ़ानी होगी.
बायो डायवर्सिटी पार्क में पौधों की विभिनता और अधिकता होने की वजह से बाहर के तापमान और अंदर के तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस का फर्क है. बायो डायवर्सिटी पार्क में तापक्रम को कम करने के लिए ऐसा सिस्टम बनाया गया है. जहां जीव-जंतु आराम से रह सकते हैं.
काफी मेहनत करने के बाद इस ईकोसिस्टम को तैयार किया गया है. यहां जानवर और मनुष्य बायोलॉजिकल कम्यूनिटी की तरह रह सकते हैं. जिस तरह का क्लाइमेट रेसिलिएंट सिस्टम बायोडायवर्सिटी पार्क में बनाया गया है. दिल्ली और इसके बाहर भी इसी तरह के और भी क्लाइमेट रेसिलिएंट सिस्टम बनाने की जरूरत है.