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'हर घर तिरंगा' अभियान से पहले माकपा सांसद ने की ध्वज संहिता में बदलाव की आलोचना - अमित शाह न्यूज़

माकपा के राज्यसभा सांसद डॉ. वी. शिवदासन ने हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मशीन से बने पॉलिएस्टर के झंडों को अनुमति देने पर चिंता जताई थी और कहा था कि जो पारिस्थितिकी और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.

'हर घर तिरंगा' अभियान से पहले माकपा सांसद ने की ध्वज संहिता में बदलाव की आलोचना
'हर घर तिरंगा' अभियान से पहले माकपा सांसद ने की ध्वज संहिता में बदलाव की आलोचना
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Published : Aug 2, 2022, 2:25 PM IST

Updated : Aug 2, 2022, 3:04 PM IST

मुंबई : राष्ट्रीय ध्वज संहिता में हाल ही में किए गए संशोधन में मशीन से बने पॉलिएस्टर झंडे के उपयोग की अनुमति दी गई है. निर्णय के पीछे मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की है. अब भारतीय झंडा संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा कि जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है. इससे पहले, तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी.
इसी तरह, झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में बदलाव करते हुए कहा गया, ‘राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा. यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना होगा. इससे पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी. माकपा के राज्यसभा सांसद डॉ. वी. शिवदासन ने हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मशीन से बने पॉलिएस्टर के झंडों को अनुमति देने पर चिंता जताई थी और कहा था कि जो पारिस्थितिकी और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. चूंकि बड़े पैमाने पर उत्पादित पॉलिएस्टर मशीन से बने झंडे सूती या हाथ से बुने हुए झंडों की तुलना में सस्ते होते हैं, इसलिए वे बाजार में आगे निकल जाएंगे. कपास और रेशम के झंडे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और जब वे हाथ से काते जाते हैं तो वे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं.

पढ़ें: प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की 'डिस्प्ले' तस्वीर पर तिरंगा लगाया

सिबदासन ने गृह मंत्री को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि नए संशोधन के कारण हमारा देश विदेशों के मशीन पर बने गैर-बायोडिग्रेडेबल झंडों से भर जाएगा. यह कदम न तो पर्यावरण के अनुकूल है और न ही कुटीर उद्योगों के अनुकूल. सांसद ने आगे गृह मंत्री से हस्तक्षेप कर ध्वज संहिता-2002 में संशोधन को रद्द करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यावरण के साथ-साथ देश में कुटीर उद्योगों के लिए हानिकारक साबित होगा.

गौरतलब है कि देश के नागरिकों को 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रेरित करने को केंद्र सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया है और देशभर में 25 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए केंद्र सरकार ने तिरंगा फहराने के नियमों में भी बदलाव किए हैं. कैट ने ध्वज विनिर्माताओं से उत्पादन बढ़ाने को कहा है ताकि बढ़ती मांग पूरी की जा सके. सोनथालिया ने बताया कि विनिर्माताओं से कहा गया है कि वे राष्ट्रीय ध्वज संहिता के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें.

कैट ने अपनी दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार और राजस्थान इकाइयों से अपने-अपने राज्यों में कपड़ा उत्पादकों से संपर्क करने और उन्हें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है. अभी बाजार में दस रुपये से लेकर 150 रुपये तक के विभिन्न आकार के तिरंगे उपलब्ध हैं. कैट की खादी ग्रामोद्योग से तिरंगे खरीदने और उन्हें कारोबारी संस्थाओं को उपलब्ध करवाने की भी योजना है.

इसी को ध्यान में रखते हुए विपक्षी नेता कह रहे हैं कि ध्वज संहिता में किए गए संशोधन स्वदेशी उद्योग के लिए खतरनाक होंगे. आयातित झंडे स्थानीय रूप से निर्मित झंडों की जगह लेंगे। . बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, सरकार ने हर व्यक्ति को झंडे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कई स्वयं सहायता संगठनों और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ भागीदारी की है, लेकिन विपक्ष ने चिंता जताई है कि आयातित उत्पाद मांग पर कब्जा कर सकते हैं। .

मुंबई : राष्ट्रीय ध्वज संहिता में हाल ही में किए गए संशोधन में मशीन से बने पॉलिएस्टर झंडे के उपयोग की अनुमति दी गई है. निर्णय के पीछे मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की है. अब भारतीय झंडा संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा कि जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है. इससे पहले, तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी.
इसी तरह, झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में बदलाव करते हुए कहा गया, ‘राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा. यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना होगा. इससे पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी. माकपा के राज्यसभा सांसद डॉ. वी. शिवदासन ने हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मशीन से बने पॉलिएस्टर के झंडों को अनुमति देने पर चिंता जताई थी और कहा था कि जो पारिस्थितिकी और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. चूंकि बड़े पैमाने पर उत्पादित पॉलिएस्टर मशीन से बने झंडे सूती या हाथ से बुने हुए झंडों की तुलना में सस्ते होते हैं, इसलिए वे बाजार में आगे निकल जाएंगे. कपास और रेशम के झंडे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और जब वे हाथ से काते जाते हैं तो वे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं.

पढ़ें: प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की 'डिस्प्ले' तस्वीर पर तिरंगा लगाया

सिबदासन ने गृह मंत्री को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि नए संशोधन के कारण हमारा देश विदेशों के मशीन पर बने गैर-बायोडिग्रेडेबल झंडों से भर जाएगा. यह कदम न तो पर्यावरण के अनुकूल है और न ही कुटीर उद्योगों के अनुकूल. सांसद ने आगे गृह मंत्री से हस्तक्षेप कर ध्वज संहिता-2002 में संशोधन को रद्द करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यावरण के साथ-साथ देश में कुटीर उद्योगों के लिए हानिकारक साबित होगा.

गौरतलब है कि देश के नागरिकों को 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रेरित करने को केंद्र सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया है और देशभर में 25 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए केंद्र सरकार ने तिरंगा फहराने के नियमों में भी बदलाव किए हैं. कैट ने ध्वज विनिर्माताओं से उत्पादन बढ़ाने को कहा है ताकि बढ़ती मांग पूरी की जा सके. सोनथालिया ने बताया कि विनिर्माताओं से कहा गया है कि वे राष्ट्रीय ध्वज संहिता के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें.

कैट ने अपनी दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार और राजस्थान इकाइयों से अपने-अपने राज्यों में कपड़ा उत्पादकों से संपर्क करने और उन्हें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है. अभी बाजार में दस रुपये से लेकर 150 रुपये तक के विभिन्न आकार के तिरंगे उपलब्ध हैं. कैट की खादी ग्रामोद्योग से तिरंगे खरीदने और उन्हें कारोबारी संस्थाओं को उपलब्ध करवाने की भी योजना है.

इसी को ध्यान में रखते हुए विपक्षी नेता कह रहे हैं कि ध्वज संहिता में किए गए संशोधन स्वदेशी उद्योग के लिए खतरनाक होंगे. आयातित झंडे स्थानीय रूप से निर्मित झंडों की जगह लेंगे। . बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, सरकार ने हर व्यक्ति को झंडे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कई स्वयं सहायता संगठनों और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ भागीदारी की है, लेकिन विपक्ष ने चिंता जताई है कि आयातित उत्पाद मांग पर कब्जा कर सकते हैं। .

Last Updated : Aug 2, 2022, 3:04 PM IST
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