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चंद्रयान-2 को टक्कर से बचाने के लिए इसरो ने किया पूर्वाभ्यास

बेंगलुरू स्थित इसरो कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (सीएच2ओ) और नासा के एलआरओ के इस साल 20 नवंबर को भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर लूनर नॉर्थ पोल के पास बहुत करीब आने की आशंका थी.

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Published : Nov 17, 2021, 9:16 PM IST

बेंगलुरू: भारत के चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान ने नासा के लूनर रीकानसन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) के साथ टक्कर से बचने के लिए पूर्वाभ्यास किया था. यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दी. बेंगलुरू स्थित इसरो कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (सीएच2ओ) और नासा के एलआरओ के इस साल 20 नवंबर को भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर लूनर नॉर्थ पोल के पास बहुत करीब आने की आशंका थी.

संभावित टक्कर से पहले एक सप्ताह की अवधि में इसरो और जेपीएल/नासा दोनों ने विश्लेषण किया जिसमें देखा गया कि दोनों अंतरिक्षयान के बीच त्रिज्यीय दूरी (रेडियल सेपरेशन) 100 मीटर से भी कम थी.

दोनों एजेंसियों को लगा कि ऐसी स्थिति में दोनों अंतरिक्षयानों के करीब आने के जोखिम को कम करने के लिए टक्कर बचाव अभ्यास (सीएएम) की जरूरत थी. दोनों के बीच परस्पर ऐसा करने की सहमति बनी.

ये पढ़ें: ISRO केस में नंबी नारायण को राहत, केरल हाईकोर्ट ने की पूर्व पुलिस अफसर विजयन की याचिका खारिज

इसरो के मुताबिक 18 अक्टूबर को यह अभ्यास किया गया. पूर्वाभ्यास के बाद के आंकड़ों के साथ इस बात की पुष्टि की गयी कि निकट भविष्य में एलआरओ के साथ आगे कोई टकराव की स्थिति नहीं बनेगी.

पृथ्वी की कक्षा में स्थित उपग्रहों में टकराव के जोखिम को कम करने के लिए सीएएम की प्रक्रिया सामान्य होती है.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरू: भारत के चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान ने नासा के लूनर रीकानसन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) के साथ टक्कर से बचने के लिए पूर्वाभ्यास किया था. यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दी. बेंगलुरू स्थित इसरो कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (सीएच2ओ) और नासा के एलआरओ के इस साल 20 नवंबर को भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर लूनर नॉर्थ पोल के पास बहुत करीब आने की आशंका थी.

संभावित टक्कर से पहले एक सप्ताह की अवधि में इसरो और जेपीएल/नासा दोनों ने विश्लेषण किया जिसमें देखा गया कि दोनों अंतरिक्षयान के बीच त्रिज्यीय दूरी (रेडियल सेपरेशन) 100 मीटर से भी कम थी.

दोनों एजेंसियों को लगा कि ऐसी स्थिति में दोनों अंतरिक्षयानों के करीब आने के जोखिम को कम करने के लिए टक्कर बचाव अभ्यास (सीएएम) की जरूरत थी. दोनों के बीच परस्पर ऐसा करने की सहमति बनी.

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इसरो के मुताबिक 18 अक्टूबर को यह अभ्यास किया गया. पूर्वाभ्यास के बाद के आंकड़ों के साथ इस बात की पुष्टि की गयी कि निकट भविष्य में एलआरओ के साथ आगे कोई टकराव की स्थिति नहीं बनेगी.

पृथ्वी की कक्षा में स्थित उपग्रहों में टकराव के जोखिम को कम करने के लिए सीएएम की प्रक्रिया सामान्य होती है.

(पीटीआई-भाषा)

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