नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ एस सोमनाथ ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) को इस साल जुलाई में लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने यह टिप्पणी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रह NSV-01 के सफल प्रक्षेपण के बाद की.
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#WATCH | "Chandrayaan-3 will be launched in July this year," says S Somanath, chief of Indian Space Research Organisation (ISRO) pic.twitter.com/J98aXfgmmI
— ANI (@ANI) May 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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मिशन का उद्देश्य इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है. लैंडर के पास एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंड करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी, जो इसकी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह के इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा. भारतीय चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम, इसरो द्वारा बाहरी अंतरिक्ष मिशनों की एक सतत श्रृंखला है.
चंद्रयान -2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था और 2019 में चंद्र की कक्षा में पहुंचाया गया था, लेकिन इसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर 'दुर्घटनाग्रस्त' हो गया, जब यह एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ के कारण 6 सितंबर, 2019 को उतरने का प्रयास करते समय अपने प्रक्षेपवक्र से भटक गया था.
जानिए चंद्रयान 3 के बारे में : चंद्रयान -3 चंद्रयान -2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है. इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल हैं. इसे LVM3 द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा.
प्रणोदन मॉड्यूल 100 किमी चंद्र कक्षा तक लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को ले जाएगा. प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापों का अध्ययन करने के लिए हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (शेप) पेलोड की स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री होगी.
गौरतलब है कि इसरो ने सोमवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से अपने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.