रामनगर: वैसे तो आपने दोस्ती की कई मिसालें सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको ऐसे परिवार से रूबरू करने जा रहे हैं, जो जहरीले सांपों के दोस्त हैं. उत्तराखंड में रामनगर के सेव द स्नेक सोसाइटी (Save the Snake Society) के अध्यक्ष चंद्रसेन कश्यप (Chandrasen Kashyap) का परिवार सांपों का दोस्त है. यह परिवार पिछले 45 वर्षों से सांपों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. यह अबतक 20 हजार से भी ज्यादा सांपों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगलों में छोड़ चुके हैं.
रामनगर के मोहल्ला बंबाघेर निवासी चंद्रसेन कश्यप के पूरे परिवार को अब सांपों के साथ खेलने और उनके साथ रहने की आदत पड़ चुकी है. विरासत में मिले निस्वार्थ सेवा भाव और हुनर में उनके बच्चे भी निपुण हो चुके हैं. अपने पिता के सांपों के प्रति प्रेम भाव को देखते हुए वह भी उनकी राह पर निकल पड़े हैं, साथ ही लोगों को जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
चंद्रसेन कश्यप के तीनों बेटे सांप पकड़ने में अपने पिता की तरह माहिर हैं. कई बार चंद्रसेन और उनके बेटे को सांप का रेस्क्यू करने में सांप ने काटा भी, लेकिन इन्हें सर्पदंश के उपचार की जानकारी होने के चलते उनका जहर बेअसर हो जाता है. चंद्रसेन कश्यप कहते हैं कि जब उनके माता-पिता से सांपों के प्रति मिले ज्ञान से उनके दिलोदिमाग पर ऐसी छाप छोड़ी कि वे उनके संरक्षण में लग गए. क्षेत्र में जिन घरों में सांप घुस जाते हैं तो चंद्रसेन कश्यप ही सांप को पकड़ते हैं.
सांपों का रखवाला है कश्यप का परिवार
चंद्रसेन कश्यप के तीन बेटे और एक बेटी है. कश्यप के बड़ा बेटे का नाम किशन कश्यप (25) है, जो सांपों को रेस्क्यू करने का काम करते हैं. दूसरे बेटे का नाम अर्जुन कश्यप (22) है, जो बीए फाइनल इयर का छात्र है. अर्जुन कश्यप भी अपने पिता के हुनर को पूरी तरह सीख गया है और आगे भी अपने पिता की तरह सांप ही पकड़ना चाहता है. सबसे छोटा बेटा अनुज कश्यप (12) जो अभी 7वीं पढ़ता है. अनुज कश्यप सर्प विशेषज्ञ बनना चाहता है. बेटी ज्योति कश्यप की शादी हो चुकी है. वह भी अपने पिता के साथ सांपों को पकड़ने का कार्य करती थी.
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सांपों की करते हैं पूजा
चंद्रसेन कहते हैं कि सांपों कि वे पूजा करते हैं. सांप अटूट आस्था के केंद्र हैं. कश्यप का पूरा परिवार सांपों को देवी-देवताओं का रूप मानकर उनके संरक्षण के लिए पिछले 45 सालों से लगा हुआ है. साथ ही सांप को न मारने के लिए जागरूक भी करता है. सांपों से काटने पर लोगों की जान भी बचा रहा है. चंद्रसेन ने सबसे पहला सांप 15 साल उम्र में पकड़ा था.
सांपों को पकड़ने के बाद क्या करते हैं कश्यप
चंद्रसेन कश्यप ने बताया कि जब किसी के घर में सांप घुस जाता है, तो वो सांप को पकड़ लेते हैं और बॉक्स में रखते हैं. फिर जब वन विभाग की गाड़ी आती है, तो सांप को ले जाकर जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वो रामनगर नहीं बल्कि दूर-दराज के लोगों की भी देसी दवाइयों से मदद करते हैं.
सेव द स्नेक एंड वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी
सांपों के संरक्षण और उनको बचाने के लिए चंद्रसेन कश्यप ने सेव द स्नेक एंड वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी (Save the Snake and Wild Life Welfare Society) का गठन किया गया है. इस सोसायटी के गठन का मुख्य उद्देश्य सांपों को संरक्षित करना है. चंद्रसेन कश्यप कहते हैं कि सांपों को मारने से बेहतर है कि उनको पकड़कर जंगल में छोड़ दिया जाए, इसी उद्देश्य को लेकर इस संस्था का गठन किया गया है.
वन विभाग के कर्मचारी भी लेते हैं मदद
चंद्रसेन कश्यप के इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग की टीम भी इनकी मदद लेती है. सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए कश्यप को बुलाते हैं कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है. चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं. वह अब तक कई लोगों की जान बचा चुके हैं.
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इन प्रजाति के सांपों का किया रेस्क्यू
चंद्रसेन कश्यप बताते हैं कि वो अब तक रेड कोरल कुकरी (red coral kukri snake), ब्लैक हेडेड , ओलिव कीलबैक, बैंडेड कुकरी (Banded kukri), बफ स्ट्रिपड (Buff striped), कॉमन क्रेट, येलो बैंडेड करैत (yellow banded krait ), रैट स्नेक (धामिन), स्पेक्टकल्स कोबरा, किंग कोबरा (King Cobra), रसेल वाइपर (Russell Viper), स्लेंडर ब्लाइंड (slender blind), ब्रह्मिनी ब्लाइंड (Brahminy blind), बम्बू पिट वाइपर (bamboo pit viper), ट्विन स्पॉटेड वुल्फ (Twin Spotted Wolf) आदि सांपों को आज तक रेस्क्यू कर चुके हैं.
सांपों से ना करें खिलवाड़
चंद्रसेन कश्यप ने ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों से अपील करते हुए कहा है कि कोई भी सांपों से खिलवाड़ न करें. उनके पास सांपों को काबू करने का हुनर है, लेकिन अगर कोई ऐसा करते हैं, तो खतरनाक साबित हो सकता है. अगर किसी के घर में सांप मिलता है तो बिना देरी किए वन विभाग या सोसाइटी को सूचित करें. सांपों की जान बनाने के साथ-साथ अपनी भी सुरक्षा करें.
कश्यप परिवार को मिले इंश्योरेंस
समाजसेवी श्वेता मासीवाल (Social worker Shweta Masiwal) कहती हैं कि रामनगर कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास होने के कारण यहां कई प्रजाति के जहरीले सांप निकलते हैं. ऐसे में रामनगर के लिए बहुत ही गौरव की बात है कि यहां चंद्रसेन कश्यप जैसे सर्प विशेषज्ञ मौजूद हैं. उनकी वजह से यहां की जनता आज खुद को सुरक्षित महसूस करती है क्योंकि चंद्रसेन कश्यप एक फोन पर लोगों की मदद करने के लिए पहुंच जाते हैं. ये परिवार लोगों की मदद करने के खुद को अपना और अपने बच्चों की जीवन दांव पर लगाता है. ऐसे में उन्होंने चंद्रसेन कश्यप और उनके पूरे परिवार को वन विभाग की तरफ से इंश्योरेंस मिलना चाहिए क्योंकि इन सांपों के साथ काम करना खतरे से खाली नहीं है.