धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण को अशुभ मानने के कारण सभी लोगों को ध्यान रखना चाहिए, विशेषकर गर्भवती अगर घर से बाहर नहीं निकलती हैं तो महिला और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ता है और कुछ विशेष उपाय करना चाहिए। ग्रहण के प्रकोप से सभी लोग खुद को और महिला गर्भस्थ शिशु को बचाने के लिए मंत्रों का जाप करें, चंद्र देव की पूजा भी कर सकती हैं. इसके अलावा उन्हें अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप और पाठ करना चाहिए. सबसे सरल उपाय है श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ या उसको सुनना चाहिए. Reading Shrimad Bhagavad Gita .
वैदिक पंचाग के अनुसार चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल वैसे तो दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर शुरू हो रहा है, लेकिन भारत में शाम 5 बजकर 20 मिनट पर दिखाई देगा जो 6 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा. इस दौरान घर में भी भगवान के मंदिर को ढक देना चाहिए.पूजा-पाठ करना चाहिए. किसी भी स्त्री, पुरुष, बच्चे को सुई में धागा नहीं डालना चाहिए, साथ ही कुछ भी काटने, छीलने से बचाना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए, उन्हें अपना ख्याल रखना चाहिए. आइए जानते हैं गर्भवती इस चंद्रग्रहण के दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए. चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वह भोजन ना करें. इस दौरान वह केवल फलाहार करें. इसके अलावा किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं से दूर रहें. इससे होने वाले शिशु को नुकसान हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि चंद्र ग्रहण के दौरान बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए. ग्रहण जब खत्म हो जाएं तब सबसे पहले गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिए, अगर यह संभव हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं.
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