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पंजाब में भाजपा के सामने जनता का विश्वास जीतने की चुनौती - राणा भानु प्रताप

किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार के रुख के कारण पंजाब में भाजपा हाशिए पर आ चुकी है. जनता के बीच विश्वास जीतने के लिए वह नशे का मुद्दा उठा रही है. पढ़ें खास खबर.

राणा भानु प्रताप
राणा भानु प्रताप
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Published : Jul 5, 2021, 10:43 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 11:02 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब में बिजली संकट को मुद्दा बनाकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरती नजर आ रही हैं. वहीं, किसान आंदोलन को लेकर हाशिए पर आ चुकी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती पंजाब के लोगों का विश्वास जीतने की है.

किसान जत्थेबंदिया बाकी राज्यों की तरह पंजाब में भी भाजपा के खिलाफ वोट डालकर सबक सिखाने का एलान कर चुकी हैं. ऐसे में भाजपा की तरफ से पंजाब में नशे का मुद्दा उठाया गया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसे मुद्दों को लेकर पंजाब में भाजपा सत्ता पर काबिज हो पाएगी?

भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राणा भानु प्रताप

बीते दिनों पंजाब भाजपा की तरफ से कई बार स्थिति को लेकर मंथन किया जा चुका है. हालांकि इन बैठकों के बाद पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सहित बड़े लीडर यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पंजाब में उनकी स्थिति पहले से अच्छी हुई है, लेकिन राजनीति के जानकार यही मानते हैं कि भाजपा को अब यह पता चल चुका है कि किसान विरोध के कारण पंजाब में जो हालात बने हुए हैं उसमें कोई बड़ा सुधार भविष्य में देखने को नहीं मिलेगा. ऐसे में इन परिस्थितियों से हाथ मिला कर ही चुनाव की तैयारी शुरू करनी होगी.

भाजपा उठा रही नशे का मुद्दा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कोठी का घेराव करने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं सहित पंजाब भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राणा भानु प्रताप ने कहा कि 'हालांकि पंजाब में बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सरकार ने काम नहीं किया है लेकिन हमारा सबसे अहम मुद्दा पंजाब और पंजाब के नौजवानों को नशे से मुक्त कराना है.'

पहली बार भाजपा में ये बदलाव
बहरहाल किसान आंदोलन के दौरान ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि भाजपा की तरफ से भी किसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री का घेराव करने का कार्यक्रम किया गया हो. जानकारी के मुताबिक 2022 को देखते हुए भाजपा ने अपनी गतिविधियां बढ़ाने की योजना बनाई है. भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में इसको लेकर पूरी तरीके से चर्चा की गई. अश्विनी शर्मा की तरफ से सभी को यह साफ कर दिया गया है कि वह पंजाब में कांग्रेस के वादों को हथियार बनाकर लोगों के सामने जाएगी.

भाजपा के सामने बड़ी चुनौती

भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जिस तरीके से अब उनके खुद के लीडर अनिल जोशी की तरफ से भी केंद्र सरकार को किसान मुद्दे पर विचार करने और प्रदेश लीडरशिप को लेकर भी सवाल खड़े किए गए ऐसे में किसान विरोध के बीच पंजाब भाजपा और उनकी लीडरशिप का भविष्य क्या होगा ? इंतजार रहेगा कि नशे के मुद्दे के अलावा और कौन-कौन से मुद्दों को लेकर भाजपा लीडरशिप जनता के बीच सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करेगी.

2017 से उठाया जा रहा नशे का मुद्दा

नशे का मुद्दा 2017 के विधानसभा चुनावों के वक्त भी उठाया गया था और उस दौरान नशे के नाम पर पंजाब को काफी बदनामी भी सहनी पड़ी थी. राजनीतिक माहिर भी यही मानते हैं कि अकाली-भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने में बिजली के अलावा दूसरा अहम मुद्दा नशे का ही रहा है. इसका सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी पार्टी ने उठाया था, हालांकि इस मुद्दे को लेकर अरविंद केजरीवाल की तरफ से जिस तरीके से शिरोमणि अकाली दल के लीडर और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को बदनाम करने की कोशिश और बाद में मांगी गई माफी से आम आदमी पार्टी की काफी किरकिरी हुई. यही वजह है कि इस बार 'आप' की लिस्ट में नशे का मुद्दा गायब दिखता है.
जनता के सामने जल्द रोडमैप पेश करेंगे : मान

आम आदमी पार्टी पंजाब के अध्यक्ष एवं सांसद भगवंत मान का कहना है कि 'हमारे लिए बेरोजगारी, किसानी, दलित परिवारों को मिलने वाली स्कॉलरशिप, कल्चर सहित नशे का मुद्दा अहम है. इसको लेकर हम जल्द अपना रोडमैप भी लोगों के सामने पेश करेंगे.' वह कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई तो यही है कि अभी तक नशे का मुद्दा आम आदमी पार्टी की तरफ से कहीं भी नहीं उठाया गया.

पढ़ें- बिजली सौदों पर विधानसभा में लाया जाए श्वेत पत्र : नवजोत सिद्धू

चंडीगढ़ : पंजाब में बिजली संकट को मुद्दा बनाकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरती नजर आ रही हैं. वहीं, किसान आंदोलन को लेकर हाशिए पर आ चुकी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती पंजाब के लोगों का विश्वास जीतने की है.

किसान जत्थेबंदिया बाकी राज्यों की तरह पंजाब में भी भाजपा के खिलाफ वोट डालकर सबक सिखाने का एलान कर चुकी हैं. ऐसे में भाजपा की तरफ से पंजाब में नशे का मुद्दा उठाया गया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसे मुद्दों को लेकर पंजाब में भाजपा सत्ता पर काबिज हो पाएगी?

भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राणा भानु प्रताप

बीते दिनों पंजाब भाजपा की तरफ से कई बार स्थिति को लेकर मंथन किया जा चुका है. हालांकि इन बैठकों के बाद पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सहित बड़े लीडर यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पंजाब में उनकी स्थिति पहले से अच्छी हुई है, लेकिन राजनीति के जानकार यही मानते हैं कि भाजपा को अब यह पता चल चुका है कि किसान विरोध के कारण पंजाब में जो हालात बने हुए हैं उसमें कोई बड़ा सुधार भविष्य में देखने को नहीं मिलेगा. ऐसे में इन परिस्थितियों से हाथ मिला कर ही चुनाव की तैयारी शुरू करनी होगी.

भाजपा उठा रही नशे का मुद्दा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कोठी का घेराव करने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं सहित पंजाब भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राणा भानु प्रताप ने कहा कि 'हालांकि पंजाब में बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सरकार ने काम नहीं किया है लेकिन हमारा सबसे अहम मुद्दा पंजाब और पंजाब के नौजवानों को नशे से मुक्त कराना है.'

पहली बार भाजपा में ये बदलाव
बहरहाल किसान आंदोलन के दौरान ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि भाजपा की तरफ से भी किसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री का घेराव करने का कार्यक्रम किया गया हो. जानकारी के मुताबिक 2022 को देखते हुए भाजपा ने अपनी गतिविधियां बढ़ाने की योजना बनाई है. भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में इसको लेकर पूरी तरीके से चर्चा की गई. अश्विनी शर्मा की तरफ से सभी को यह साफ कर दिया गया है कि वह पंजाब में कांग्रेस के वादों को हथियार बनाकर लोगों के सामने जाएगी.

भाजपा के सामने बड़ी चुनौती

भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जिस तरीके से अब उनके खुद के लीडर अनिल जोशी की तरफ से भी केंद्र सरकार को किसान मुद्दे पर विचार करने और प्रदेश लीडरशिप को लेकर भी सवाल खड़े किए गए ऐसे में किसान विरोध के बीच पंजाब भाजपा और उनकी लीडरशिप का भविष्य क्या होगा ? इंतजार रहेगा कि नशे के मुद्दे के अलावा और कौन-कौन से मुद्दों को लेकर भाजपा लीडरशिप जनता के बीच सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करेगी.

2017 से उठाया जा रहा नशे का मुद्दा

नशे का मुद्दा 2017 के विधानसभा चुनावों के वक्त भी उठाया गया था और उस दौरान नशे के नाम पर पंजाब को काफी बदनामी भी सहनी पड़ी थी. राजनीतिक माहिर भी यही मानते हैं कि अकाली-भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने में बिजली के अलावा दूसरा अहम मुद्दा नशे का ही रहा है. इसका सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी पार्टी ने उठाया था, हालांकि इस मुद्दे को लेकर अरविंद केजरीवाल की तरफ से जिस तरीके से शिरोमणि अकाली दल के लीडर और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को बदनाम करने की कोशिश और बाद में मांगी गई माफी से आम आदमी पार्टी की काफी किरकिरी हुई. यही वजह है कि इस बार 'आप' की लिस्ट में नशे का मुद्दा गायब दिखता है.
जनता के सामने जल्द रोडमैप पेश करेंगे : मान

आम आदमी पार्टी पंजाब के अध्यक्ष एवं सांसद भगवंत मान का कहना है कि 'हमारे लिए बेरोजगारी, किसानी, दलित परिवारों को मिलने वाली स्कॉलरशिप, कल्चर सहित नशे का मुद्दा अहम है. इसको लेकर हम जल्द अपना रोडमैप भी लोगों के सामने पेश करेंगे.' वह कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई तो यही है कि अभी तक नशे का मुद्दा आम आदमी पार्टी की तरफ से कहीं भी नहीं उठाया गया.

पढ़ें- बिजली सौदों पर विधानसभा में लाया जाए श्वेत पत्र : नवजोत सिद्धू

Last Updated : Jul 5, 2021, 11:02 PM IST
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