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सिविल सेवा में जम्मू-कश्मीर कैडर खत्म करना दुर्भाग्यपूर्ण : शिवसेना

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर कैडर की सिविल सेवाओं को एजीएमयूटी कैडर के साथ मर्ज करने के फैसला का विरोध तेज होता जा रहा है. शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है.

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Published : Jan 18, 2021, 7:53 PM IST

जम्मू : केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर कैडर की सिविल सेवाओं को औपचारिक रूप से एजीएमयूटी कैडर के साथ मिश्रित करने से केंद्र शासित प्रदेश को पुनः राज्य बनाने के वादे पर सवालिया निशान खड़ा करता है. शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी ने सोमवार को यह बातें कहीं. साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर में राज्य की बहाली के लिए चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को जारी रखा.

साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को 5 अगस्त 2019 को एक अस्थायी प्रावधान के तहत एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था. इस वादे के साथ कि राज्य की बहुत ही जल्द बहाली होगी. हालांकि, केंद्र सरकार की हाल ही में जम्मू और कश्मीर कैडर ऑफ सिविल सर्विसेज (IAS, IPS और IFOS) को खत्म करने और इसे AGMUT अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों में विलय करने की अधिसूचना जारी की गई थी. जम्मू-कश्मीर कैडर का स्थायी रूप से विलय करने के निर्णय ने इस तथ्य को स्थापित किया है कि निकट भविष्य में जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा.

राज्य बहाली तक जारी रहेगा अभियान

साहनी ने कहा कि यह इतिहास का पहला उदाहरण है कि किसी राज्य का संघीय दर्जा छीन लिया गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया. ऐसा लगता है कि अगर मोदी वहां हैं, तो कुछ भी संभव है. साहनी ने सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से अपील की है कि वे लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक और एकजुट करें. राज्य की बहाली और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए नौकरियों में पूर्ण आरक्षण के लिए शिवसेना ने हस्ताक्षर अभियान चलाया है. ताकि जनता की आवाज फिर से उठे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचे.

यह भी पढ़ें-क्या चीन ने अरुणाचल प्रदेश में नया गांव बनाया है', MEA ने दिया ये जवाब

जम्मू : केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर कैडर की सिविल सेवाओं को औपचारिक रूप से एजीएमयूटी कैडर के साथ मिश्रित करने से केंद्र शासित प्रदेश को पुनः राज्य बनाने के वादे पर सवालिया निशान खड़ा करता है. शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी ने सोमवार को यह बातें कहीं. साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर में राज्य की बहाली के लिए चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को जारी रखा.

साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को 5 अगस्त 2019 को एक अस्थायी प्रावधान के तहत एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था. इस वादे के साथ कि राज्य की बहुत ही जल्द बहाली होगी. हालांकि, केंद्र सरकार की हाल ही में जम्मू और कश्मीर कैडर ऑफ सिविल सर्विसेज (IAS, IPS और IFOS) को खत्म करने और इसे AGMUT अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों में विलय करने की अधिसूचना जारी की गई थी. जम्मू-कश्मीर कैडर का स्थायी रूप से विलय करने के निर्णय ने इस तथ्य को स्थापित किया है कि निकट भविष्य में जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा.

राज्य बहाली तक जारी रहेगा अभियान

साहनी ने कहा कि यह इतिहास का पहला उदाहरण है कि किसी राज्य का संघीय दर्जा छीन लिया गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया. ऐसा लगता है कि अगर मोदी वहां हैं, तो कुछ भी संभव है. साहनी ने सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से अपील की है कि वे लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक और एकजुट करें. राज्य की बहाली और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए नौकरियों में पूर्ण आरक्षण के लिए शिवसेना ने हस्ताक्षर अभियान चलाया है. ताकि जनता की आवाज फिर से उठे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचे.

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