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केंद्र-राज्यों ने वर्ष 2020 में कोरोना को रोकने के लिए कई विधायी कदम उठाए

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Published : Jun 19, 2021, 2:29 AM IST

केंद्र और राज्य सरकारों ने वर्ष 2020 में कोरोना को रोकने के लिए कई विधायी कदम उठाए. इस बात का खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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नई दिल्ली : केंद्र और राज्य सरकारों (Centre and states) ने वर्ष 2020 में कोरोना वायरस ( coronavirus ) की महामारी पर देश में नियंत्रण के लिए कई विधायी कदम उठाए. एक थिकं-टैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इनका उल्लेख किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने महामारी से निपटने की प्राथमिक जिम्मेदारी के तहत आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 को लागू किया. वहीं, राज्य सरकारों ने केंद्रीय कानून महामारी रोग अधिनियम-1897 को अपने प्रदेश के हिसाब से संशोधित किया या इस कानून के तहत अस्थायी नियम बनाए.

महामारी रोग अधिनियम-1897 (pidemic Diseases Act, 1897) देश में खतरनाक महामारी रोगों के प्रसार की रोकथाम के लिए बनाया गया था. यह कानून राज्यों को महामारी रोग को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने का अधिकार देता है.

पीआरएस लेजिस्टेटिव रिसर्च (PRS Legislative Research) ने राज्यों के कानून पर तैयार वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट-2020 में कहा कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब और तेलंगाना सहित कई राज्यों ने संक्रमण को रोकने के लिए कोविड-19 नियम जारी किए. वहीं, कर्नाटक, केरल,राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने महामारी रोग के प्रसार की रोकथाम के लिए अपने-अपने राज्यों में कई अध्यादेश जारी किए.

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया कि ये अध्यादेश या तो महामारी रोग अधिनियम -1897 के स्थान पर नया कानून लाने या पुराने कानून में संशोधन के लिए थे. इन अध्यादेशों ने संबंधित राज्यों को किसी बीमारी को अपने राज्य में महामारी घोषित करने का अधिकार दिया.

रिपोर्ट में कहा गया कि राज्यों ने लॉकडाउन जैसी पाबंदी लगाई, यात्रियों का निरीक्षण, राज्य की सीमाओं को सील करना और सार्वजनिक और निजी यातायात को स्थगित करने जैसे कदम भी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए.

पीआरएस लेजिस्टेटिव रिसर्च के मुताबिक राज्यों ने नियमों को तोड़ने पर जुर्माने की राशि भी बढ़ाई. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश ने अध्यादेश के जरिये पृथकवास नियम तोड़ने और इलाज के दौरान अस्पताल से भागने पर तीन साल कैद और 10 हजार से एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया.'

रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 का असर विधेयक के अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला. उदाहरण के लिए कुछ राज्य स्थानीय शासन के चुनाव में बदलाव के लिए कानून लाए. महाराष्ट्र सरकार ने नगर निगमों के महापौर और उप महापौर के चुनाव स्थगित करने के लिए कानून बनाया. इसी प्रकार केरल ने पंचायत और नगर निकाय चुनाव में कोरोना वायरस संक्रमितों या पृथकवास में रह रहे लोगों को डाक मतपत्र से मतदान करने की अनुमति देने के लिए चुनाव कानून में बदलाव किया.'

इसी प्रकार अन्य विधायी कदम विधायकों के वेतन घटाने और वित्तीय संसाधनों की बचत करने के लिए उठाए गए.

गौरतलब है कि 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस से संक्रमण को वैश्विक महामारी घोषित किया था.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र और राज्य सरकारों (Centre and states) ने वर्ष 2020 में कोरोना वायरस ( coronavirus ) की महामारी पर देश में नियंत्रण के लिए कई विधायी कदम उठाए. एक थिकं-टैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इनका उल्लेख किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने महामारी से निपटने की प्राथमिक जिम्मेदारी के तहत आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 को लागू किया. वहीं, राज्य सरकारों ने केंद्रीय कानून महामारी रोग अधिनियम-1897 को अपने प्रदेश के हिसाब से संशोधित किया या इस कानून के तहत अस्थायी नियम बनाए.

महामारी रोग अधिनियम-1897 (pidemic Diseases Act, 1897) देश में खतरनाक महामारी रोगों के प्रसार की रोकथाम के लिए बनाया गया था. यह कानून राज्यों को महामारी रोग को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने का अधिकार देता है.

पीआरएस लेजिस्टेटिव रिसर्च (PRS Legislative Research) ने राज्यों के कानून पर तैयार वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट-2020 में कहा कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब और तेलंगाना सहित कई राज्यों ने संक्रमण को रोकने के लिए कोविड-19 नियम जारी किए. वहीं, कर्नाटक, केरल,राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने महामारी रोग के प्रसार की रोकथाम के लिए अपने-अपने राज्यों में कई अध्यादेश जारी किए.

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया कि ये अध्यादेश या तो महामारी रोग अधिनियम -1897 के स्थान पर नया कानून लाने या पुराने कानून में संशोधन के लिए थे. इन अध्यादेशों ने संबंधित राज्यों को किसी बीमारी को अपने राज्य में महामारी घोषित करने का अधिकार दिया.

रिपोर्ट में कहा गया कि राज्यों ने लॉकडाउन जैसी पाबंदी लगाई, यात्रियों का निरीक्षण, राज्य की सीमाओं को सील करना और सार्वजनिक और निजी यातायात को स्थगित करने जैसे कदम भी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए.

पीआरएस लेजिस्टेटिव रिसर्च के मुताबिक राज्यों ने नियमों को तोड़ने पर जुर्माने की राशि भी बढ़ाई. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश ने अध्यादेश के जरिये पृथकवास नियम तोड़ने और इलाज के दौरान अस्पताल से भागने पर तीन साल कैद और 10 हजार से एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया.'

रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 का असर विधेयक के अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला. उदाहरण के लिए कुछ राज्य स्थानीय शासन के चुनाव में बदलाव के लिए कानून लाए. महाराष्ट्र सरकार ने नगर निगमों के महापौर और उप महापौर के चुनाव स्थगित करने के लिए कानून बनाया. इसी प्रकार केरल ने पंचायत और नगर निकाय चुनाव में कोरोना वायरस संक्रमितों या पृथकवास में रह रहे लोगों को डाक मतपत्र से मतदान करने की अनुमति देने के लिए चुनाव कानून में बदलाव किया.'

इसी प्रकार अन्य विधायी कदम विधायकों के वेतन घटाने और वित्तीय संसाधनों की बचत करने के लिए उठाए गए.

गौरतलब है कि 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस से संक्रमण को वैश्विक महामारी घोषित किया था.

(पीटीआई भाषा)

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