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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जारी रखने की वकालत

केंद्र सरकार को 30 नवंबर के बाद भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को जारी रखना चाहिए, नहीं तो देश में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. इस वजह से करोड़ों गरीब लोग प्रभावित हो सकते हैं. उक्त बातें राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) अभियान के सदस्य निखिल डे ने कही. पढ़िए ईटीवी भारत संवाददाता शशांक कुमार की रिपोर्ट...

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Published : Nov 8, 2021, 4:26 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 5:07 PM IST

PMGKAY
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार को 30 नवंबर के बाद भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को जारी रखना चाहिए, नहीं तो देश में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. इस वजह से करोड़ों गरीब लोग प्रभावित हो सकते हैं. सेंट्रल पूल में 100 मिलियन टन अनाज पड़ा है. अनाज रखने के लिए जगह नहीं है. इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर के बाद जारी नहीं रखेगी तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

उक्त बातें राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) अभियान के सदस्य निखिल डे ने कही हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के 80 करोड़ लाभार्थियों को PMGKAY के तहत मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. हालांकि NFSA के लाभार्थियों को पहले से ही सस्ते दर पर मोटा अनाज मिलता है, लेकिन अलग से मुफ्त में अनाज मिल रहा है यह भी अच्छी बात है. केंद्र सरकार को इसको आगे भी जारी रखना चाहिए, क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है.

जानकारी देते राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) अभियान के सदस्य निखिल डे .

निखिल ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में भी रोजगार के संसाधन कम हो गए हैं, महंगाई बढ़ गयी है, गरीबों के लिए जो मूलभूत कार्यक्रम हैं. उसमें भी दिक्कत आ रही है. इसके अलावा कोरोना की तीसरी लहर भी आने की आशंका है. उन्होंने कहा कि NFSA के 80 करोड़ लाभार्थी 2011 की जनसंख्या के हिसाब से हैं. 2011 से अब तक दस साल हो गए हैं, जनसंख्या बढ़ी है. इसलिए लगभग 10-12 फीसदी और लोगों को NFSA से जोड़ना चाहिए. करीब 10 करोड़ और लोगों को जोड़ना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पिछले साल कोरोना काल व लॉकडाउन में आठ करोड़ इस प्रकार के लोगों को भी मुफ्त अनाज देने का ऐलान केंद्र सरकार ने किया था जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं राज्यों को अनाज आवंटित किया गया लेकिन सरकारें यह नहीं खोज पाईं कि बिना राशन कार्ड वाले 8 करोड़ लोग कौन-कौन हैं? बिना राशनकार्ड वाले 8 करोड़ लोगों के लिए जो अनाज आया वह 2-3 राज्यों ने ही बांटा. बाकी सारा अनाज रखा रह गया.

ये भी पढ़ें - PMGKAY के तहत जून में 66.11 करोड़ लोगों को मिला मुफ्त राशन

इसीक्रम में केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पाण्डेय ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार व ओएमएसएस नीति के तहत खुले बाजार में खाद्यान्न की अच्छी बिक्री को देखते हुए PMGKAY के जरिए मुफ्त राशन वितरण को नवंबर से आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं है. बताते चलें कि कोरोना काल एवं लॉकडाउन में कोई भूखा ना रहें, अनाज ही कमी न हो इसके लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया था. यह योजना इस साल भी जारी रही.

PMGKAY के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 80 करोड़ लाभार्थियों को अलग से मुफ्त में पांच किलो खाद्यान्न गेहूं - चावल प्रतिमाह प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया जा रहा है. राशनकार्ड धारकों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. वहीं मई से नवंबर 2021 के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 278 एलएमटी खाद्यान्न मुफ्त वितरण करने के लिए आवंटित किया गया है. जबकि पिछले साल अप्रैल से नवंबर 2020 में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त वितरण के लिए 322 एलएमटी अनाज का आवंटन किया गया था.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार को 30 नवंबर के बाद भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को जारी रखना चाहिए, नहीं तो देश में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. इस वजह से करोड़ों गरीब लोग प्रभावित हो सकते हैं. सेंट्रल पूल में 100 मिलियन टन अनाज पड़ा है. अनाज रखने के लिए जगह नहीं है. इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर के बाद जारी नहीं रखेगी तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

उक्त बातें राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) अभियान के सदस्य निखिल डे ने कही हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के 80 करोड़ लाभार्थियों को PMGKAY के तहत मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. हालांकि NFSA के लाभार्थियों को पहले से ही सस्ते दर पर मोटा अनाज मिलता है, लेकिन अलग से मुफ्त में अनाज मिल रहा है यह भी अच्छी बात है. केंद्र सरकार को इसको आगे भी जारी रखना चाहिए, क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है.

जानकारी देते राइट टू फूड (भोजन का अधिकार) अभियान के सदस्य निखिल डे .

निखिल ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में भी रोजगार के संसाधन कम हो गए हैं, महंगाई बढ़ गयी है, गरीबों के लिए जो मूलभूत कार्यक्रम हैं. उसमें भी दिक्कत आ रही है. इसके अलावा कोरोना की तीसरी लहर भी आने की आशंका है. उन्होंने कहा कि NFSA के 80 करोड़ लाभार्थी 2011 की जनसंख्या के हिसाब से हैं. 2011 से अब तक दस साल हो गए हैं, जनसंख्या बढ़ी है. इसलिए लगभग 10-12 फीसदी और लोगों को NFSA से जोड़ना चाहिए. करीब 10 करोड़ और लोगों को जोड़ना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पिछले साल कोरोना काल व लॉकडाउन में आठ करोड़ इस प्रकार के लोगों को भी मुफ्त अनाज देने का ऐलान केंद्र सरकार ने किया था जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं राज्यों को अनाज आवंटित किया गया लेकिन सरकारें यह नहीं खोज पाईं कि बिना राशन कार्ड वाले 8 करोड़ लोग कौन-कौन हैं? बिना राशनकार्ड वाले 8 करोड़ लोगों के लिए जो अनाज आया वह 2-3 राज्यों ने ही बांटा. बाकी सारा अनाज रखा रह गया.

ये भी पढ़ें - PMGKAY के तहत जून में 66.11 करोड़ लोगों को मिला मुफ्त राशन

इसीक्रम में केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पाण्डेय ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार व ओएमएसएस नीति के तहत खुले बाजार में खाद्यान्न की अच्छी बिक्री को देखते हुए PMGKAY के जरिए मुफ्त राशन वितरण को नवंबर से आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं है. बताते चलें कि कोरोना काल एवं लॉकडाउन में कोई भूखा ना रहें, अनाज ही कमी न हो इसके लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया था. यह योजना इस साल भी जारी रही.

PMGKAY के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 80 करोड़ लाभार्थियों को अलग से मुफ्त में पांच किलो खाद्यान्न गेहूं - चावल प्रतिमाह प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया जा रहा है. राशनकार्ड धारकों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. वहीं मई से नवंबर 2021 के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 278 एलएमटी खाद्यान्न मुफ्त वितरण करने के लिए आवंटित किया गया है. जबकि पिछले साल अप्रैल से नवंबर 2020 में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त वितरण के लिए 322 एलएमटी अनाज का आवंटन किया गया था.

Last Updated : Nov 8, 2021, 5:07 PM IST
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